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जेलकर्मियों पर हमले के मामले में नहीं हुई मुख्तार की पेशी, कोर्ट ने जताई नाराजगी

जेलकर्मियों के हमले के एक मामले में मुख्तार अंसारी (Mukhatar Ansari) को पेश न किए जाने पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है. इस मामले में कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र भेजने के आदेश दिए हैं.

जेलकर्मियों पर हमले के मामले में नहीं हुई मुख्तार की पेशी.
जेलकर्मियों पर हमले के मामले में नहीं हुई मुख्तार की पेशी.
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Published : Sep 29, 2021, 9:49 PM IST

लखनऊः एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेज जज पवन कुमार राय ने जेलकर्मियों पर हमले, पथराव व जानमाल की धमकी देने के मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को पेश न करने पर गहरी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने फिर से मुख्तार अंसारी की व्यक्तिगत पेशी के लिए प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, लखनऊ के पुलिस कमिश्नर, डीएम व बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक को पत्र जारी किया है. इसके साथ ही न्यायालय ने मुख्य सचिव को भी पत्र भेजने का आदेश दिया है.

यह भी पढ़ेंः गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह

कोर्ट ने आदेश में कहा है कि यह मामला 20 साल से लंबित है. बावजूद इसके कई आदेशों के बावजूद मुख्तार अंसारी को पेश नहीं किया जा रहा है. कोई आख्या भी नहीं भेजी जा रही है. कोर्ट ने कहा कि इस रवैये के चलते पिछली सुनवाई पर मुख्तार अंसारी की पत्रावली अलग कर अन्य अभियुक्तों लालजी यादव, कल्लू पंडित, युसुफ चिश्ती व आलम के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं. अब साक्ष्य की कार्यवाही शुरू होनी है.

मुख्तार अंसारी पर आरोप की कार्यवाही नहीं होने से साक्ष्य की कार्यवाही नहीं हो पा रही है. कोर्ट ने हैरानी जताई कि अभियोजन में कोई रुचि नहीं ले रहा है, यह अत्यन्त आपित्तजनक है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को तय करते हुए आख्या तलब की है. उल्लेखनीय है कि 3 अप्रैल 2000 को इस मामले की एफआईआर लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी.

लखनऊः एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेज जज पवन कुमार राय ने जेलकर्मियों पर हमले, पथराव व जानमाल की धमकी देने के मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को पेश न करने पर गहरी नाराजगी जताई है. कोर्ट ने फिर से मुख्तार अंसारी की व्यक्तिगत पेशी के लिए प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, लखनऊ के पुलिस कमिश्नर, डीएम व बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक को पत्र जारी किया है. इसके साथ ही न्यायालय ने मुख्य सचिव को भी पत्र भेजने का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने आदेश में कहा है कि यह मामला 20 साल से लंबित है. बावजूद इसके कई आदेशों के बावजूद मुख्तार अंसारी को पेश नहीं किया जा रहा है. कोई आख्या भी नहीं भेजी जा रही है. कोर्ट ने कहा कि इस रवैये के चलते पिछली सुनवाई पर मुख्तार अंसारी की पत्रावली अलग कर अन्य अभियुक्तों लालजी यादव, कल्लू पंडित, युसुफ चिश्ती व आलम के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं. अब साक्ष्य की कार्यवाही शुरू होनी है.

मुख्तार अंसारी पर आरोप की कार्यवाही नहीं होने से साक्ष्य की कार्यवाही नहीं हो पा रही है. कोर्ट ने हैरानी जताई कि अभियोजन में कोई रुचि नहीं ले रहा है, यह अत्यन्त आपित्तजनक है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को तय करते हुए आख्या तलब की है. उल्लेखनीय है कि 3 अप्रैल 2000 को इस मामले की एफआईआर लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी.

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