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आसमान से तारे तोड़ने जैसा है अमेरिकी लड़की महोगनी उर्फ राखी के मां बाप का पता लगाना, अधिकारी कह रहे यह बात - महोगनी उर्फ राखी

वर्ष 2000 में चारबाग रेलवे स्टेशन पर लावारिस मिली अबोध बच्ची राखी अब 23 साल की अमेरिकन गर्ल महोगनी बन चुकी है. महोगनी अब अपने असली मां-बाप की तलाश में अमेरिका से लखनऊ पहुंची है. बहरहाल तमाम प्रयास के बावजूद अभी तक कोई ऐसी सूत्र नहीं मिला है जिससे महोगनी के असली माता पिता की पहचान हो सके. जानिए क्या है महोगनी के बचपन की कहानी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 28, 2023, 2:20 PM IST

लखनऊ : 23 वर्ष बाद सात समंदर पार अमेरिका से लखनऊ आई महोगनी उर्फ राखी के असली मां बाप को ढूंढना रूई के ढेर से सूई निकालने जैसा काम है. किसी भी दस्तावेज में उसके मां बाप की जानकारी या तस्वीर नहीं है. वह असल में रहने वाली कहां की थी, यह तक नहीं मालूम. वर्ष 2000 में भी हजारों यात्री रोजाना चारबाग रेलवे स्टेशन पर अलग अलग जगहों से आते थे. ऐसे में कोई तरीका नहीं दिख रहा, जिससे महोगनी के माता-पिता को ढूंढा जा सके. यह कहना है लखनऊ के जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह का जो आजकल अमेरिका की महोगनी (23) के असली मां बाप को ढूंढने के लिए दो दशक पुरानी फाइलें खंगाल रहे हैं.

महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.
महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.

यूपी के न जाने किस कोने की रहने वाली हो राखी : DPO

अमेरिका से बीते मंगलवार को लखनऊ में मां बाप को ढूंढने पहुंची महोगनी अपने दोस्त क्रिस्टोफर के साथ जिला प्रोबेशन अधिकारी के दफ्तर पहुंची. हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद महोगनी को भरोसा था कि शायद यहां उसे कोई भी सहायता मिल सके. हालांकि यहां भी उसे अपने मां-बाप के विषय में कोई जानकारी नहीं मिल सकी. विकास सिंह ने बताया कि मोतीनगर के लीलावती बाल गृह से महोगनी की फाइल मंगवाई गई थी. फाइल में उसके चारबाग में लावारिस मिलने से लेकर उसका राखी नाम रखने और उसके इलाज को लेकर तमाम जानकारियां हैं, लेकिन उसके मां बाप की कोई भी जानकारी नहीं मिली. ऐसे में अब महोगनी उर्फ राखी के मां बाप को ढूंढना कपास के ढेर से सुई ढूंढने के बराबर है और शायद उससे भी कठिन है.

महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.
महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.
दोस्त क्रिस्टोफर के साथ महोगनी.
दोस्त क्रिस्टोफर के साथ महोगनी.



जीआरपी को जब राखी मिली तो नाक में पड़ी हुई थी नली

जीआरपी का कहना है कि हमे जब भी कोई लावारिस बच्चा मिलता है तो चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित किया जाता है. फिर चाइल्ड हेल्पलाइन मोतीनगर स्थिति लीलावती बाल गृह को सुपुर्द कर देती है. यही वर्ष 2000 में भी हुआ. चारबाग में राखी लावारिस मिली थी तो उसके नाक में नली लगी हुई थी और वह रो रही थी. तत्कालीन जीआरपी पुलिस ने चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित किया और फिर लीलावती बाल गृह को सुपुर्द कर दिया गया.



यह भी पढ़ें : नवजात शिशुओं के जीवन को संकट में डाल रहे राजकीय बाल गृह के लापरवाह कर्मचारी

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लखनऊ : 23 वर्ष बाद सात समंदर पार अमेरिका से लखनऊ आई महोगनी उर्फ राखी के असली मां बाप को ढूंढना रूई के ढेर से सूई निकालने जैसा काम है. किसी भी दस्तावेज में उसके मां बाप की जानकारी या तस्वीर नहीं है. वह असल में रहने वाली कहां की थी, यह तक नहीं मालूम. वर्ष 2000 में भी हजारों यात्री रोजाना चारबाग रेलवे स्टेशन पर अलग अलग जगहों से आते थे. ऐसे में कोई तरीका नहीं दिख रहा, जिससे महोगनी के माता-पिता को ढूंढा जा सके. यह कहना है लखनऊ के जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह का जो आजकल अमेरिका की महोगनी (23) के असली मां बाप को ढूंढने के लिए दो दशक पुरानी फाइलें खंगाल रहे हैं.

महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.
महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.

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अमेरिका से बीते मंगलवार को लखनऊ में मां बाप को ढूंढने पहुंची महोगनी अपने दोस्त क्रिस्टोफर के साथ जिला प्रोबेशन अधिकारी के दफ्तर पहुंची. हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद महोगनी को भरोसा था कि शायद यहां उसे कोई भी सहायता मिल सके. हालांकि यहां भी उसे अपने मां-बाप के विषय में कोई जानकारी नहीं मिल सकी. विकास सिंह ने बताया कि मोतीनगर के लीलावती बाल गृह से महोगनी की फाइल मंगवाई गई थी. फाइल में उसके चारबाग में लावारिस मिलने से लेकर उसका राखी नाम रखने और उसके इलाज को लेकर तमाम जानकारियां हैं, लेकिन उसके मां बाप की कोई भी जानकारी नहीं मिली. ऐसे में अब महोगनी उर्फ राखी के मां बाप को ढूंढना कपास के ढेर से सुई ढूंढने के बराबर है और शायद उससे भी कठिन है.

महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.
महोगनी उर्फ राखी के बचपन की कहानी.
दोस्त क्रिस्टोफर के साथ महोगनी.
दोस्त क्रिस्टोफर के साथ महोगनी.



जीआरपी को जब राखी मिली तो नाक में पड़ी हुई थी नली

जीआरपी का कहना है कि हमे जब भी कोई लावारिस बच्चा मिलता है तो चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित किया जाता है. फिर चाइल्ड हेल्पलाइन मोतीनगर स्थिति लीलावती बाल गृह को सुपुर्द कर देती है. यही वर्ष 2000 में भी हुआ. चारबाग में राखी लावारिस मिली थी तो उसके नाक में नली लगी हुई थी और वह रो रही थी. तत्कालीन जीआरपी पुलिस ने चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचित किया और फिर लीलावती बाल गृह को सुपुर्द कर दिया गया.



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