लखनऊः गोण्डा जिले में चुनाव कोई भी हो लेकिन बीजेपी के उम्मीदवारों का फैसला कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ही तय करते हैं. इनको जिले की सियासत में सबसे मजबूत बीजेपी चेहरा माना जाता है. अब सवाल ये उठता है कि देश की सबसे बड़ी पंचायत के सियासतदां सबसे छोटी पंचायत में जोर आजमाइश क्यों कर रहे हैं? ऐसे सभी सवालों का जवाब गोण्डा के दिवंगत कवि अदम गोंडवी की एक कविता में छुपा है..वो लिखते हैं कि 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है.
बृजभूषण जिसको चाहेंगे वही बनेगा जिला पंचायत अध्यक्ष
अदम गोंडवी की ये पंक्तियां साबित करती हैं कि पंचायत चुनाव में जिले के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का हस्तक्षेप बढ़ने की वजह ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए आने वाला करोड़ों रुपये का बजट है. यही भारी-भरकम बजट सांसदों, विधायकों और स्थानीय प्रभावशाली नेताओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जो बढ़ता ही जा रहा है. गोण्डा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर दंगल तेज हो गया है. ये दंगल इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी को जिले की 65 में से केवल 17 जिला पंचायत सदस्य की सीटों पर ही जीत मिली है. सीटें कम होने के पीछे की वजह कुछ लोग सांसद और विधायक को ही बता रहे हैं. जिले में पार्टी की खराब स्थिति होने के बाद पार्टी ने बृजभूषण शरण सिंह को बीजेपी का जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है. जिले में अबतक दूसरे दलों और निर्दलीय को मिलाकर करीब 18 सदस्य भाजपा के मंच पर लाये जा चुके हैं. बीजेपी अवध क्षेत्र के एक पदाधिकारी कहते हैं कि गोण्डा में अध्यक्ष वही बनेगा जिसे केसरगंज सांसद चाहेंगे.
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पंडित सिंह के निधन होने से जिले में टक्कर लेने वाला कोई नहीं
जिले में सांसद बृजभूषण शरण सिंह और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह धुर विरोधी माने जाते रहे हैं. पंडित सिंह के निधन के बाद सांसद बृजभूषण के सामने कोई लोहा लेने वाला विपक्षी नेता जिले में नहीं बचा है. इसलिए ये माना जा रहा है कि जिले की सियासी शतरंज की चाल सत्ता पक्ष की हो या फिर विपक्ष की वजीर कौन होगा ये बृजभूषण शरण सिंह ही तय करेंगे. यानि जिले की राजनीतिक दिशा बृजभूषण शरण सिंह ही तय करेंगे. हालांकि ये देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी खेमे से कौन सा नेता निकल कर सामने आता है, या फिर अखाड़े के पहलवान सांसद के सामने सियासी अखाड़े में लड़ने वाला कोई पहलवान ही नहीं होगा.