लखनऊ: अगर आप शाम 6 से 9 बजे तक सूबे में कोलकाता-दिल्ली नेशनल हाईवे से गुजर रहे हैं तो जरा संभल कर. क्योंकि ये 3 घंटे वाहन स्वामियों के लिए फर्राटे भरना मुफीद नहीं है. इन समय पर हाईवे पर हादसों में सबसे अधिक मौतें होती हैं. बीते मंगलवार को रात 7.30 बजे कानपुर के पास सचेंडी में भीषण हादसे में एसी बस और टेंपो की टक्कर में 18 लोगों की मौत हुई थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि नेशनल हाईवे पर होने वाले एक्सीडेंट से मौतों के मामले में कानपुर नंबर-1 पर है. नेशनल रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की जून 2020 और 2019 के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं. हालांकि, एक्सीडेंट और मौतों में करीब 6.5 फीसदी की कमी आई है, लेकिन जो आंकड़े दर्ज हैं वो बेहद ही चौंकाने वाले हैं.
एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो कानपुर से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे पर साल 2019 में शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच 168 हादसे हुए. जो किसी भी वक्त होने वाले हादसों में सबसे अधिक हैं. इसके बाद सुबह 6 से 9 और 9 से दोपहर 12 बजे के बीच भी हादसों की संख्या 142 है. जबकि रात 3 बजे से सुबह 6 बजे के बीच हादसों की संख्या सबसे कम औसतन 108 दर्ज की गई है.
कानपुर घायलों को बचाने में भी फिसड्डी
यही नहीं, मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट की रिपोर्ट में भी कानपुर में एक्सीडेंट होने के बाद लोगों की जान बचा पाने में भी सबसे पीछे 45 फीसदी है. इससे ये साफ होता है कि कानपुर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे ड्राइविंग के लिहाज से बेहद असुरक्षित हैं.
हादसे की बड़ी वजह
कानपुर से सचेंडी के बीच हाईवे पर करीब 9 अवैध कट हैं. जहां से लोग रॉन्ग साइड से ही निकलते हैं. सचेंडी हादसे की बड़ी वजह टेपों को रॉन्ग साइड से ही निकलना ही था. हाईवे पर स्थानीय लोगों के गुजरने के लिए अंडरपास जरूर बनाए गए हैं, लेकिन दूर अधिक होने पर हाईवे के बीच में अवैध कट बना लेते हैं. इसके अलावा कई लोग रॉन्ग साइड भी चलते हैं, जिससे हादसे और बढ़ते हैं.
सड़क हादसों में यूपी में मौतें सबसे ज्यादा
कानपुर के अलावा यूपी के आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद और लखनऊ भी एक्सीडेंट और मौतों में पीछे नहीं हैं. यहां होने वाले हादसों में भी एक्सीडेंट और मौतें यूपी में सबसे ज्यादा हैं. कानपुर में सचेंडी हादसा कानपुर-हमीरपुर-सागर हाईवे नेशनल हाईवे-24 पर हुआ था. ये हाईवे भी बेहद असुरक्षित है. इसके अलावा एनएच-2, जीटी रोड, यमुना एक्सप्रेस भी कानपुर से होकर गुजरते हैं. इन सभी हाईवे पर कुल 334 लोगों की डेथ हुई. इसके बाद चेन्नई का नंबर आता है. जहां 283 लोगों ने नेशनल हाईवे पर हुए हादसों में दम तोड़ दिया. उसके बाद दिल्ली में 271, जयपुर में 241 और विजयवाड़ा में 209 लोगों ने एनएच पर हुए हादसों में दम तोड़ दिया.
24 घंटे तैनात रहती एंबुलेंस: असीम अरुण
पुलिस कमिश्नर कानपुर असीम अरुण ने कहा कि एक्सीडेंट कम करने के लिए ब्लैक स्पॉट को चिन्हित किया गया है. वहां हादसों को रोकने के लिए प्रयास भी जारी हैं. हाईवे पर एंबुलेंस भी 24 घंटे तैनात रहती हैं. कानपुर में हादसों पर अंकुश लगाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं. शहर में यातायात पुलिस को चौराहों पर मुस्तैद रहने के साथ चालकों को यातायात के नियमों के पालन करने के लिए जागरूक किया जा रहा. यदि चालक यातायात नियमों का पालन कर लें तो हादसे की संभावना लगभग शून्य हो जाती है. हादसे की जानकारी पर 15 मिनट के भीतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित कराया गया है.
शाम 7 से 9 बजे तक हाईवे पर ट्रैफिक लोड ज्यादा
यातायात व्यवस्था से जुड़े जानकारों का मानना है कि, शाम को 7 बजे के बाद रात 9 बजे तक सड़कों पर ट्रैफिक लोड अधिक होता है. लंबा सफर तय करने वाले मुसाफिरों के वाहन एवं भारी वाहन का सड़क पर निकलने का भी यही समय है. बस जरा सी चूक उनकी जिंदगी के लिए खतरा बन जाती है. इस दौरान कोलकाता-दिल्ली नेशनल हाईवे पर सबसे ज्यादा हादसा होना भी इसकी तस्दीक कर रहा है. वर्ष 2019 में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा संख्या 30-44 उम्र के लोगों की हैं.
रेट ऑफ एक्सीडेंटल डेथ कानपुर का औसत ज्यादा
एनसीआरबी के मुताबिक, साल के चौथे क्वार्टर में सड़क हादसों का प्रतिशत (3.1) सबसे ज्यादा रहता है जो देश के औसत (2.4) प्रतिशत से काफी ज्यादा है. हालांकि सड़क हादसों में मौत के राष्ट्रीय औसत 44.5 प्रतिशत के मुकाबले कानपुर में रेट ऑफ एक्सीडेंटल डेथ (24.7) काफी कम है. कानपुर के अलावा अमृतसर, चेन्नई, कोलकाता, मदुरै और पटना भी इस सूची में शामिल हैं, लेकिन प्रदेश के रेट ऑफ एक्सीडेंटल डेथ (16.5 प्रतिशत) में कानपुर का औसत ज्यादा है.
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