ETV Bharat / state

यूपी की जेलों से अब तक 2399 कैदी पैरोल, 10560 अंतरिम जमानत पर रिहा

यूपी की लगभग सभी जेल में क्षमता से ज्यादा कैदी बंद हैं. ऐसे में कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने और उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए प्रदेश की जेलों में बंद 2,399 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया है. जबकि, 10,560 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है.

author img

By

Published : Jun 10, 2021, 11:16 AM IST

Updated : Jun 10, 2021, 11:38 AM IST

यूपी की जेलों से पैरोल और जमानत पर कैदी रिहा
यूपी की जेलों से पैरोल और जमानत पर कैदी रिहा

लखनऊ: कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर में बन्दियों को वायरस के संक्रमण से बचाने और यूपी की ओवर क्राउडेड जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ा जा रहा है. प्रदेश की जेलों से बंद 2399 कैदियों को अब तक पैरोल दी जा चुकी है, जबकि 10,560 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है. कैदियों को पैरोल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार की गई है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कैदियों को किया गया रिहा

डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि प्रदेश के 71 कारागारों में कुल 1,06,026 कैदी बंद हैं. जिनमें 2,399 सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल पर रिहा करने के अलावा 10,560 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है. डीजी जेल के मुताबिक, कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर में भी बन्दियों को बचाने के लिए जेलों में ओवर क्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा सिद्धदोष बन्दियों तथा जनपद न्यायाधीश स्तर से विचाराधीन बन्दियों की 60 दिन के पैरोल व अंतरिम जमानत पर रिहाई निरंतर हो रही है.

इन बंदियों को मिल रहा लाभ

  • जो कैदी पेरोल पर हैं, उनकी पैरोल अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.
  • जो शांतिपूर्ण पैरोल के बाद समर्पण कर चुके हैं, उन्हें फिर से 60 दिन की पैरोल दी जायेगी.
  • जो सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपी हैं, उन्हें 60 दिन की विशेष पैरोल या अंतरिम जमानत दी जाएगी, बशर्ते जेल में उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की गई है.
  • जो कैदी 2020-21 में या 5 साल के भीतर कभी पैरोल पर छूटे हों, उन्हे भी 60 दिन की पैंडेमिक पेरोल दी जाएगी.
  • जिनकी अर्जी सरकार के समक्ष लंबित है, एक हफ्ते मे 60 दिन के पैरोल पर रिहाई का फैसला लिया जाएगा.


प्राधिकरण ने एसपी व जिलाधिकारी को पैंडेमिक पैरोल देने का आंकलन करने को कहा है. प्राधिकरण ने अपने पत्र मे कहा है कि न्याय प्रशासन के हित में, लोक शांति, सुरक्षा व संरक्षा बनाये रखने के लिए जेलों में बंद 65 साल से अधिक के महिला-पुरूष कैदियों, 50 साल से अधिक की महिला कैदियों, सजायाफ्ता गर्भवती महिलाओं, कैंसर, हार्ट, जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त सभी कैदियों को 60 दिन का पैरोल पाने का हक हैं. जिला एवं सत्र न्यायाधीश व संबंधित न्यायिक अधिकारियों को जेल मे जाकर कार्रवाई पूरी करने को कहा गया है.

इसे भी पढ़ें : बागपत में नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद डेढ़ लाख में समझौते का दबाव



इन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत नहीं

हत्या, आजीवन कारावास, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या के लिए अपहरण या उत्प्रेरण, जिनकी उम्र 65 साल से कम हो, राज्य व सेना के विरूद्ध अपराध, स्टाम्प अपराध, डकैती, उद्दापन व इसके उत्प्रेरण, दुराचार, दुराचार का प्रयास, मनी लॉन्ड्रिंग, यूपीकोका, पॉक्सो, संगठित अपराध, विदेशी नागरिक, बैंक नोट, करेंसी, एसिड अटैक, समाज या पीड़ित के लिए खतरा, सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी लंबित या खारिज की हो. ऐसे आरोपियों व सजायाफ्ता कैदियों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा. सभी सत्र न्यायालयों से कहा गया है कि अर्जी पर 45 दिन की जमानत दे सकते हैं. 2018 में बनी योजना अनुसार भी कार्य किये जाने की छूट दी गयी है.

इसे भी पढ़ें : सावधान: ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे हो रहे 'एंग्जाइटी' का शिकार, इस तरह रखें ख्याल

लखनऊ: कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर में बन्दियों को वायरस के संक्रमण से बचाने और यूपी की ओवर क्राउडेड जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ा जा रहा है. प्रदेश की जेलों से बंद 2399 कैदियों को अब तक पैरोल दी जा चुकी है, जबकि 10,560 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है. कैदियों को पैरोल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार की गई है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कैदियों को किया गया रिहा

डीजी जेल आनंद कुमार ने बताया कि प्रदेश के 71 कारागारों में कुल 1,06,026 कैदी बंद हैं. जिनमें 2,399 सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल पर रिहा करने के अलावा 10,560 कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा चुका है. डीजी जेल के मुताबिक, कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर में भी बन्दियों को बचाने के लिए जेलों में ओवर क्राउडिंग कम करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा सिद्धदोष बन्दियों तथा जनपद न्यायाधीश स्तर से विचाराधीन बन्दियों की 60 दिन के पैरोल व अंतरिम जमानत पर रिहाई निरंतर हो रही है.

इन बंदियों को मिल रहा लाभ

  • जो कैदी पेरोल पर हैं, उनकी पैरोल अगले 60 दिन के लिए बढ़ा दी जाएगी.
  • जो शांतिपूर्ण पैरोल के बाद समर्पण कर चुके हैं, उन्हें फिर से 60 दिन की पैरोल दी जायेगी.
  • जो सात साल से कम सजा के अपराधी या आरोपी हैं, उन्हें 60 दिन की विशेष पैरोल या अंतरिम जमानत दी जाएगी, बशर्ते जेल में उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की गई है.
  • जो कैदी 2020-21 में या 5 साल के भीतर कभी पैरोल पर छूटे हों, उन्हे भी 60 दिन की पैंडेमिक पेरोल दी जाएगी.
  • जिनकी अर्जी सरकार के समक्ष लंबित है, एक हफ्ते मे 60 दिन के पैरोल पर रिहाई का फैसला लिया जाएगा.


प्राधिकरण ने एसपी व जिलाधिकारी को पैंडेमिक पैरोल देने का आंकलन करने को कहा है. प्राधिकरण ने अपने पत्र मे कहा है कि न्याय प्रशासन के हित में, लोक शांति, सुरक्षा व संरक्षा बनाये रखने के लिए जेलों में बंद 65 साल से अधिक के महिला-पुरूष कैदियों, 50 साल से अधिक की महिला कैदियों, सजायाफ्ता गर्भवती महिलाओं, कैंसर, हार्ट, जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त सभी कैदियों को 60 दिन का पैरोल पाने का हक हैं. जिला एवं सत्र न्यायाधीश व संबंधित न्यायिक अधिकारियों को जेल मे जाकर कार्रवाई पूरी करने को कहा गया है.

इसे भी पढ़ें : बागपत में नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद डेढ़ लाख में समझौते का दबाव



इन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत नहीं

हत्या, आजीवन कारावास, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या के लिए अपहरण या उत्प्रेरण, जिनकी उम्र 65 साल से कम हो, राज्य व सेना के विरूद्ध अपराध, स्टाम्प अपराध, डकैती, उद्दापन व इसके उत्प्रेरण, दुराचार, दुराचार का प्रयास, मनी लॉन्ड्रिंग, यूपीकोका, पॉक्सो, संगठित अपराध, विदेशी नागरिक, बैंक नोट, करेंसी, एसिड अटैक, समाज या पीड़ित के लिए खतरा, सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी लंबित या खारिज की हो. ऐसे आरोपियों व सजायाफ्ता कैदियों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा. सभी सत्र न्यायालयों से कहा गया है कि अर्जी पर 45 दिन की जमानत दे सकते हैं. 2018 में बनी योजना अनुसार भी कार्य किये जाने की छूट दी गयी है.

इसे भी पढ़ें : सावधान: ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे हो रहे 'एंग्जाइटी' का शिकार, इस तरह रखें ख्याल

Last Updated : Jun 10, 2021, 11:38 AM IST

For All Latest Updates

TAGGED:

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.