लखनऊ: राजधानी के निजी और सरकारी अस्पतालों में करीब 3 हजार बेड गुरुवार को खाली रहे. एइंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर पोर्टल पर सुबह 8 बजे अपलोड सूचना के मुताबिक खाली बेडों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर युक्त बेड शामिल हैं. जिन अस्पतालों में बेड खाली है, उनमें सरकारी क्षेत्र के भी अधिकांश अस्पताल शामिल हैं. सिर्फ तीन निजी अस्पताल में ही खाली बेड की स्थिति शून्य रही.
सरकारी अस्पतालों में यह रही स्थिति
सरकारी अस्पताल | रिक्त बेडों की संख्या |
अटल बिहारी वाजपेयी कोविड अस्पताल | 82 |
इंट्रीगल मेडिकल कॉलेज | 278 |
बलरामपुर अस्पताल | 160 |
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान | 90 |
नॉर्दन रेलवे डिविजनल अस्पताल | 73 |
लोकबंधु राजनारायण अस्पताल | 121 |
लखनऊ हेरिटेज अस्पताल | 32 |
एसजीपीजीआई | 68 |
टीएसएम मेडिकल कॉलेज | 89 |
सुपर स्पेशलिटी कैंसर अस्पताल | 04 |
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय | 246 |
हॉल यूपी कोविड हॉस्पिटल | 132 |
निजी अस्पतालों की यह स्थिति
निजी अस्पताल | रिक्त बेडों की संख्या |
विनायक ट्रामा सेंटर | 26 |
एसएचएम अस्पताल | 10 |
आस्था हॉस्पिटल | 04 |
निशात हॉस्पिटल | 02 |
श्री साईं हॉस्पिटल | 17 |
मां चंद्रिका देवी हॉस्पिटल | 91 |
अथर्व मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल | 30 |
सीएनएस हास्पिटल | 33 |
चंदन हॉस्पिटल | 08 |
जीसीआरजी हॉस्पिटल | 29 |
वागा हॉस्पिटल | 06 |
किंग मेडिकल सेंटर | 21 |
मेक वेल हॉस्पिटल | 32 |
कोवा हॉस्पिटल | 22 |
अपराजिता हॉस्पिटल | 16 |
रॉकलैंड अस्पताल | 24 |
लखनऊ मेट्रो हॉस्पिटल | 24 |
कामाख्या हॉस्पिटल | 32 |
ग्रीन सिटी हॉस्पिटल | 31 |
डॉ. ओपी चौधरी हॉस्पिटल | 43 |
चरक हॉस्पिटल | 22 |
एडवांस न्यूरो हॉस्पिटल | 14 |
जगरानी हॉस्पिटल | 09 |
शताब्दी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल | 34 |
मेडिकल हॉस्पिटल | 15 |
विद्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर | 55 |
शिवा हॉस्पिटल | 14 |
मेयो मेडिकल सेंटर | 17 |
संजीवनी हॉस्पिटल | 19 |
केके हॉस्पिटल | 05 |
आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल | 319 |
राजधानी हॉस्पिटल | 11 |
मेडिकल केयर सेंटर | 11 |
अपेक्स हॉस्पिटल | 12 |
विवेकानंद पॉलीक्लिनिक | 41 |
जेपी हॉस्पिटल | 24 |
इन निजी अस्पतालों में नहीं है कोई बेड
डीएसओ पोर्टल पर डाली गई सूचना के मुताबिक, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल, मेदांता हास्पिटल, मिडलैंड हेल्थकेयर और सहारा हॉस्पिटल में कोई भी बेड खाली नहीं है. जिन अस्पतालों में बड़ी संख्या में बैठ खाली हैं, वहां ऑक्सीजन की कमी बताई जा रही है. जबकि सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर वाले बेड भी खाली हैं.