लखनऊः उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले करीब 3.5 लाख शिक्षक हैं. जो करीब 1.85 करोड़ छात्रों के आधार सत्यापन कराने में इतने बेहाल हैं कि इनके पसीने छूट गए हैं. हालत यह है कि पढ़ाई छोड़कर शिक्षक छात्रों के डाटा फीडिंग में लगे हुए हैं. इन शिक्षकों की शिकायत है कि विभाग की तरफ से कोई प्रशिक्षित व्यक्ति न लगाने की वजह से सारी फीडिंग शिक्षकों को ही दर्ज करानी पड़ रही है. ऑनलाइन पोर्टल पर तकनीकी खामियों से उन्हें और परेशानी उठानी पड़ रही है.
इस बारे में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि विभाग की तरफ से बनाए गए पोर्टल और ऐप में सूचनाएं उपलब्ध कराने में परेशानी हो रही है. एक-एक छात्र की सूचनाओं को कई-कई बार भरना पड़ रहा है. इसके चलते घंटों समय बर्बाद हो रहा है. वहीं, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि लगातार पोर्टल और ऐप को अपडेट किया जा रहा है, जिससे जल्द ही तकनीकी समस्याओं में सुधार कर लिया जाएगा.
इस समय उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या 3.5 लाख से ज्यादा है. इसके अलावा प्रदेश में शिक्षामित्र और अनुदेशक भी हैं, जो स्कूलों में पढ़ाने का काम कर रहे हैं. सरकार की तरफ से इस सत्र में स्कूलों में छात्रों की संख्या को दो करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य दिया गया है. इन सभी छात्र-छात्राओं की सूचनाएं डीबीटी ऐप और प्रेरणा पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराई जानी है. खास बात है कि इन स्कूलों में दाखिला लेने वाले हर बच्चे का ब्योरा विभाग को ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा. इसके अलावा, बच्चों के आधार कार्ड का भी सत्यापन हो रहा है, जिससे सरकार की तरफ से डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं का कोई गलत इस्तेमाल न हो सके.
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शिक्षकों ने बताया कि इन दिनों उनका सारा समय डीबीटी ऐप पर ही गुजर रहा है. इनमें नए छात्रों का पंजीकरण, पुराने छात्रों को यूनिफार्म पहनाकर फोटो अपलोड करने व छात्रों के आधार सत्यापन जैसे कार्य शामिल हैं. सबसे बड़ी समस्या आधार व स्कूल रिकार्ड में जन्मतिथि की भिन्नता है. इसके चलते छात्रों के आधार सत्यापन में मुश्किलें आ रही हैं. शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभिभावकों ने आधार में जन्मतिथि अंकित कराने को लेकर समुचित गंभीरता नहीं बरती थी. इस कारण से आधार सेंटर के फीडिंग कर्मी ने अपनी मर्जी से बच्चों की गलत जन्मतिथि आधार में अंकित कर दी थी. जबकि, अभिभावकों ने स्कूलों में प्रवेश के लिए दूसरी जन्मतिथि अंकित कराई है. जन्मतिथि का यह अंतर कई स्कूलों में सामने आ रहा है. जानकारी के अनुसार बच्चों की वास्तविक जन्मतिथि से उन्हें आधार में अधिक उम्र का दिखाया गया है, जिससे भविष्य में छात्रों का नुकसान हो सकता है. ये एक आयु वर्ग के अनुसार कक्षाओं को पास नहीं कर पाएंगे.
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