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मॉनीटरिंग ग्रुप की निगरानी में रोडवेज बसों का 'कायाकल्प', एमडी के रडार पर लापरवाह अधिकारी

यात्रियों को सहूलियत भरा सफर कराने के लिए परिवहन निगम की कायाकल्प योजना लागू की है. कायाकल्प योजना की निगरानी के लिए अभियान कायाकल्प मॉनिटरिंग ग्रुप भी बनाया गया है. योजना का उद्देश बसों के रखरखाव की निगरानी के साथ यात्री सुविधाओं का ख्याल भी रखना है.

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Published : Dec 28, 2022, 1:17 PM IST

जानकारी देते संवाददाता अखिलेश्वर पांडेय व परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) अजीत कुमार सिंह.

लखनऊ : यात्रियों को खटारा बसों में सफर न करना पड़े इसके लिए परिवहन निगम ने कायाकल्प योजना के तहत सभी कार्यशालाओं को दो-दो करोड़ रुपये बसों की मेंटेनेंस के लिए उपलब्ध कराए गए. बावजूद इसके बसें अभी भी मेंटेन नहीं हो पाई हैं. बस स्टेशन से यात्रियों को लेकर मंजिल की तरफ रवाना होने वाली बसें रास्ते में ही खड़ी हो जाती हैं. इससे यात्रियों को सफर में दिक्कत होती है. अब बसों के मेंटेनेंस में कोई कोताही न हो इस पर नजर रखने के लिए उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों की तरफ से अभियान कायाकल्प मॉनिटरिंग ग्रुप बनाया गया है. इस ग्रुप में परिवहन निगम के एमडी (MD of Transport Corporation) के अलावा प्रदेश के सीजीएम टेक्निकल, जीएम टेक्निकल आरएम, एसएम, एआरएम के साथ ही अन्य अधिकारी भी जुड़े हैं. इस योजना का उद्देश्य है कि परिवहन निगम की सभी बसें पूरी तरह से साफ सुधरी और चमकती नजर आएं. बसों के खराब होने पर तत्काल उन्हें दुरुस्त कर रूट पर भेजा जाए जिससे समय पर यात्रा पूरी हो सके.

परिवहन निगम के अधिकारी (Transport Corporation Officer) बताते हैं कि बसों की क्रॉस चेकिंग भी कराई जा रही है. बस स्टेशन पर तैनात अधिकारी निरीक्षण कर ग्रुप में फोटो भेज रहे हैं. जिससे सम्बंधित अधिकारी कमियों को तत्काल दूर कर सकें. परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) व प्रवक्ता अजीत कुमार सिंह (Principal Manager (Technical) and Spokesperson of Transport Corporation Ajit Kumar Singh) बताते हैं कि किसी भी डिपो की बस जब किसी भी बस स्टेशन पर यात्रियों को लेकर पहुंचती है इसके बाद यहां अधिकारी बस का निरीक्षण करते हैं. इंस्पेक्शन के दौरान बस में जो भी कमी नजर आती है उसकी अभियान कायाकल्प मानिटरिंग ग्रुप (Kayakalp Monitoring Group) में फोटो शेयर कर देते हैं. इसके बाद जिस डिपो की बस होती है उससे संबंधित अधिकारी इस फोटो पर जवाब देता है. इसके बाद जब कमी को दूर कर यह बस पूरी तरह से दुरुस्त कर रूट पर भेजी जाती है तो उसकी फोटो संबंधित अधिकारी इसी ग्रुप पर शेयर कर जानकारी उपलब्ध कराते हैं. इससे जहां अफसरों की जवाबदेही तय हो रही है. वहीं यात्रियों को यात्रा के दौरान बस में असुविधा भी नहीं हो रही है.

हर रोज कई फोटो होती हैं शेयर : परिवहन निगम के अधिकारी (Transport Corporation Officer) बताते हैं कि अभियान कायाकल्प मॉनिटरिंग ग्रुप (Kayakalp Monitoring Group) में हर रोज विभिन्न रूटों पर रवाना हुई बसों के स्टेशन पहुंचने पर निरीक्षण के दौरान कमियों की कई फोटो साझा होती हैं. इसके बाद संबंधित अधिकारी डिपो में वापस बस पहुंचने पर इन कमियों को दूर कराने के बाद भी रूट पर बस भेजते हैं. ज्यादातर कमियां बस में साइड मिरर न होना, बस की स्थिति दुरुस्त न होना या फिर बस गंदी होना जैसी निकलती हैं. बस के गंदे होने पर अब संबंधित बस स्टेशन पर ही साफ सफाई की व्यवस्था भी कर दी गई है. रोडवेज के अधिकारी बताते हैं कि इस ग्रुप में कई अधिकारियों की लापरवाही एमडी की नजर में सामने आई है. अब यह अधिकारी एमडी के रडार पर हैं. इन अधिकारियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. यात्रियों को बसों में सफर के दौरान किसी तरह की कोई दिक्कत हो, यह परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को मंजूर नहीं है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ पुलिस के आंकड़ों में ट्रैफिक व साइबर क्राइम चुनौती, कमिश्नर ने कही यह बात

जानकारी देते संवाददाता अखिलेश्वर पांडेय व परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) अजीत कुमार सिंह.

लखनऊ : यात्रियों को खटारा बसों में सफर न करना पड़े इसके लिए परिवहन निगम ने कायाकल्प योजना के तहत सभी कार्यशालाओं को दो-दो करोड़ रुपये बसों की मेंटेनेंस के लिए उपलब्ध कराए गए. बावजूद इसके बसें अभी भी मेंटेन नहीं हो पाई हैं. बस स्टेशन से यात्रियों को लेकर मंजिल की तरफ रवाना होने वाली बसें रास्ते में ही खड़ी हो जाती हैं. इससे यात्रियों को सफर में दिक्कत होती है. अब बसों के मेंटेनेंस में कोई कोताही न हो इस पर नजर रखने के लिए उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों की तरफ से अभियान कायाकल्प मॉनिटरिंग ग्रुप बनाया गया है. इस ग्रुप में परिवहन निगम के एमडी (MD of Transport Corporation) के अलावा प्रदेश के सीजीएम टेक्निकल, जीएम टेक्निकल आरएम, एसएम, एआरएम के साथ ही अन्य अधिकारी भी जुड़े हैं. इस योजना का उद्देश्य है कि परिवहन निगम की सभी बसें पूरी तरह से साफ सुधरी और चमकती नजर आएं. बसों के खराब होने पर तत्काल उन्हें दुरुस्त कर रूट पर भेजा जाए जिससे समय पर यात्रा पूरी हो सके.

परिवहन निगम के अधिकारी (Transport Corporation Officer) बताते हैं कि बसों की क्रॉस चेकिंग भी कराई जा रही है. बस स्टेशन पर तैनात अधिकारी निरीक्षण कर ग्रुप में फोटो भेज रहे हैं. जिससे सम्बंधित अधिकारी कमियों को तत्काल दूर कर सकें. परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) व प्रवक्ता अजीत कुमार सिंह (Principal Manager (Technical) and Spokesperson of Transport Corporation Ajit Kumar Singh) बताते हैं कि किसी भी डिपो की बस जब किसी भी बस स्टेशन पर यात्रियों को लेकर पहुंचती है इसके बाद यहां अधिकारी बस का निरीक्षण करते हैं. इंस्पेक्शन के दौरान बस में जो भी कमी नजर आती है उसकी अभियान कायाकल्प मानिटरिंग ग्रुप (Kayakalp Monitoring Group) में फोटो शेयर कर देते हैं. इसके बाद जिस डिपो की बस होती है उससे संबंधित अधिकारी इस फोटो पर जवाब देता है. इसके बाद जब कमी को दूर कर यह बस पूरी तरह से दुरुस्त कर रूट पर भेजी जाती है तो उसकी फोटो संबंधित अधिकारी इसी ग्रुप पर शेयर कर जानकारी उपलब्ध कराते हैं. इससे जहां अफसरों की जवाबदेही तय हो रही है. वहीं यात्रियों को यात्रा के दौरान बस में असुविधा भी नहीं हो रही है.

हर रोज कई फोटो होती हैं शेयर : परिवहन निगम के अधिकारी (Transport Corporation Officer) बताते हैं कि अभियान कायाकल्प मॉनिटरिंग ग्रुप (Kayakalp Monitoring Group) में हर रोज विभिन्न रूटों पर रवाना हुई बसों के स्टेशन पहुंचने पर निरीक्षण के दौरान कमियों की कई फोटो साझा होती हैं. इसके बाद संबंधित अधिकारी डिपो में वापस बस पहुंचने पर इन कमियों को दूर कराने के बाद भी रूट पर बस भेजते हैं. ज्यादातर कमियां बस में साइड मिरर न होना, बस की स्थिति दुरुस्त न होना या फिर बस गंदी होना जैसी निकलती हैं. बस के गंदे होने पर अब संबंधित बस स्टेशन पर ही साफ सफाई की व्यवस्था भी कर दी गई है. रोडवेज के अधिकारी बताते हैं कि इस ग्रुप में कई अधिकारियों की लापरवाही एमडी की नजर में सामने आई है. अब यह अधिकारी एमडी के रडार पर हैं. इन अधिकारियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा गया है. यात्रियों को बसों में सफर के दौरान किसी तरह की कोई दिक्कत हो, यह परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को मंजूर नहीं है.

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