प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में पिछले महीने 24 जनवरी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने के बाद चर्चा में आईं अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने अब पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा है कि मैं पिछले 25 साल से साध्वी हूं और आगे भी रहूंगी. मेरे महामंडलेश्वर पद से बहुतों को आपत्ति हो गई. इसलिए मैं यह पद छोड़ रही हूं.
#WATCH | Prayagraj | Mamta Kulkarni says, " i am resigning from the post of mahamandaleshwar of kinnar akhada. i have been 'sadhvi' since my childhood and i'll continue to be so..."
— ANI (@ANI) February 10, 2025
(source - mamta kulkarni) pic.twitter.com/iQAmmBkjVR
24 जनवरी को पकड़ी थी संन्यास की राह: बॉलीवुड अदाकारा ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में 24 जनवरी को संन्यास की राह पकड़ी थी. किन्नर अखाड़े ने उनको महामंडलेश्वर की पदवी दी थी. ममता ने संगम किनारे बाकायदा अपना और अपने परिवार वालों का पिंडदान कर दिया था. किन्नर अखाड़े में उनका पट्टाभिषेक हुआ. अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता कुलकर्णी को अखाड़े में शामिल करने और महामंडलेश्वर की पदवी देने की जानकारी देते हुए उनका नाम भी रख दिया. ममता को श्री यामाई ममता नंद गिरि का नाम दिया गया. आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा था कि ममता को वृंदावन स्थित आश्रम की जिम्मेदारी दी जाएगी. अब उनका पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित रहेगा.
![महाकुंभ में ममता 24 जनवरी को बनाई गई थीं महामंडलेश्वर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2025/23513913_sunil73.jpg)
महामंडलेश्वर बनने के बाद हो रहा था विरोध: यह खबर मीडिया में सुर्खियां बनी थी. उन्होंने महाकुंभ में अपना पिंडदान किया था. हालांकि अपने केस नहीं बनवाए थे. इसको लेकर भी सवाल खड़े हुए थे. ममता को विवादों के बीच महामंडलेश्वर पद से नवाजा गया था. किन्नर अखाड़े की प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें यह पद दिया था. इसके बाद हिमांगी सखी ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कर दी थी. इसका घोर विरोध किया था. ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद दिए जाने के बाद से ही सवाल उठ रहे थे. हालांकि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने ममता कुलकर्णी का समर्थन किया था और कहा था कि लक्ष्मी नारायण ही अखाड़े के अधिकृत मुखिया हैं, लिहाजा वह ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना सकते हैं. अब न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में ममता कुलकर्णी ने पद छोड़ने की बात कही है. ममता के अनुसार, मैं यामाई ममता नंद गिरि महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं. किन्नर अखाड़े या दो अखाड़े में, मेरे महामंडलेश्वर के पद को लेकर काफी समस्याएं हो रही हैं. मैं पिछले 25 साल से साध्वी थी, साध्वी ही रहूंगी. यह मुझे महामंडलेश्वर का जो नया सम्मान दिया गया था, वह ऐसा सम्मान होता है, जिसने करीब 25 साल स्विमिंग की हो, उससे कहा जाए कि अब वह बच्चे जो आएंगे, उन्हें स्विमिंग सिखाएंगे.
![महाकुंभ में ममता 24 जनवरी को बनाई गई थीं महामंडलेश्वर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2025/23513913_sunil71.jpg)
अजय दास ने लगाए थे आरोप: किन्नर अखाड़े के संस्थापक होने का दावा करने वाले ऋषि अजय दास ने स्पष्ट आरोप लगाए थे कि, आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने निजी स्वार्थ के कारण नियमों को दरकिनार करते हुए अभिनेत्री को रातों रात महामंडलेश्वर जैसा बड़ा और प्रतिष्ठित पद दे दिया. जिस स्थान तक पहुंचने के लिए संतों को 12 साल या उससे ज्यादा तक का समय लग जाता है. कितने लोग पूरी जिंदगी धर्म की राह पर चलकर भी इस प्रतिष्ठित पद को हासिल नहीं कर पाते हैं. अजय दास ने आरोप लगाया कि महामंडलेश्वर जैसा पद 20 सालों से ज्यादा समय विदेश में बिताने वाली उस अभिनेत्री को दे दिया, जिसके ऊपर ड्रग्स तस्करों से लेकर अंडरवर्ल्ड तक के साथ संबंध के आरोप लगे थे. अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को 12 घंटे के भीतर महामंडलेश्वर का पद दे दिया गया. जिससे साबित होता है कि इसके पीछे कोई लालच या निजी स्वार्थ छिपा हुआ है.ऋषि अजय कुमार का यह भी कहना है कि अब जब उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को ही बाहर निकाल दिया है तो ममता कुलकर्णी स्वतः बाहर हो जाएंगी.
![महाकुंभ में ममता 24 जनवरी को बनाई गई थीं महामंडलेश्वर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2025/23513913_sunil72.jpg)
लक्षमी नारायण ने आरोप को किया था खारिज: आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अजय दास की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा था कि, ऋषि अजय कुमार को कई साल पहले अखाड़े से बाहर किया जा चुका है. क्योंकि वो संन्यास के निमयों का पालन नहीं कर रहे थे और अपनी पत्नी-बेटी के साथ रहते थे. इसलिए उनके पास अखाड़े से किसी को बाहर करने और शामिल करने का कोई अधिकार नहीं है. यही नहीं, उन्होंने ये भी कहा था कि वो ही किन्नर अखाड़े की संस्थापक हैं, इसलिए उन्हें कोई नहीं हटा सकता है.
ममता ने कहा था- सनातन की राह में आगे बढ़ूंगी: ममता कुलकर्णी काफी बोल्ड एक्ट्रेस मानी जाती रही हैं. महाकुंभ मेले में आकर उन्होंने संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया था. उनका कहना था कि उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों के दर्शन इस कुंभ में हुए. उन्होंने आदेश दिया कि वह अब शिव-पार्वती रूप किन्नर के साथ मिलकर सनातन की सेवा करें. ममता कुलकर्णी ने संन्यास लेने के बाद अगले दिन शुक्रवार को मीडिया को बताया था कि मैं अपना पूरा पिछला जीवन भूल चुकी हूं. संन्यास के दौरान आंखों में आंसू आने के सवाल पर कहा था कि मन में दुख और सुख दोनों था. आनंद की अनुभूति हो रही थी, मुझे यह लग रहा था कि मैं अब तक जो कुछ हासिल किया वह सब छोड़ा. अब मैं सनातन की राह पर आगे बढूंगी. सनातन धर्म को मजबूत करूंगी, क्योंकि मुझे मेरे गुरु ने 23 साल पहले दीक्षा दी थी.
ममता का दावा-कुंडलिनी जागृत की: महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद ममता कुलकर्णी ने कहा था, 'गुरू की दीक्षा के बल पर कठिन तपस्या की. 12 सालों तक मैंने अन्न जल को त्याग कर सिर्फ फलाहार और जल पर अपना जीवन जिया. कठिन तपस्या के बीच मैंने अपनी कुंडलिनी को जागृत किया.ममता कुलकर्णी ने कहा कि मुझे भगवान का ज्ञान हुआ. मेरे साथ मेरे गुरु का आशीर्वाद हमेशा रहा. मैं कुंभ में 2012 में आई थी और उस दौरान मुझे संन्यासियों के साथ रहने का मन करता था. उन्होंने कहा कि मैं संन्यास के तीन पथ को फॉलो करते हुए आगे बढ़ी. मध्यस्थ पंथ के तौर पर मैंने किन्नर अखाड़े को चुना. किन्नर अखाड़े को चुनने के पीछे उन्होंने वजह बताई कि यह अखाड़ा मुझे पूर्ण स्वतंत्रता देता है. मैं संन्यास लेने के बाद भी सामाजिक जीवन में बनी रह सकती हूं. अपने मन मुताबिक कार्य कर सकती हूं.' इसके साथ ममता ने फिल्म इंडस्ट्री में वापसी से इंकार किया था.