लखनऊ: लोहिया संस्थान में मरीजों से ऑनलाइन शुल्क लिया जाता है. वहीं, मरीजों द्वारा जमा किया गया पैसा तीन साल तक गायब होता रहा. लंबे वक्त से हो रही इस धांधली के खेल पर अफसर सोते रहे.
दरअसल, लोहिया संस्थान में ओपीडी में भर्ती मरीज नगद व कार्ड से शुल्क जमा करते हैं. हर दिन करीब आठ लाख रुपये संस्थान में जमा किए जाते हैं. ऑनलाइन पैसे जमा करने के लिए बैंक से करार किया गया. बैंक ने स्वाइप मशीनें संस्थान प्रशासन को मुहैया कराईं. इन मशीनों को बैंक खाते से जोड़ा गया. इसमें संस्थान के कुछ अधिकारियों के मोबाइल नंबर भी दर्ज किए गए. इससे जमा हो रहे धन एसएमएस की जानकारी भी मिलती रहे.
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वहीं, अफसर ऑनलाइन शुल्क सिस्टम की मॉनिटरिंग से बेपरवाह बने रहे. ओपीडी व शुल्क जमा करने की जिम्मेदारी संविदा कर्मचारियों के भरोसे रही. यहां व्याप्त बदइंतजामी को दूर करने की अधिकारियों ने ठोस कदम नहीं उठाए गए.
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