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संविधान से सेकुलर और समाजवाद शब्द हटाने की कोशिशों को रोकने के लिए राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन - socialism in indian constitution

अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजकर संविधान की प्रस्तावना में बदलाव करने की कोशिशों पर रोक लगाने की मांग की है. अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने विधान की प्रस्तावना से सेकुलर शब्द हटाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

शाहनवाज आलम
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Published : Dec 24, 2021, 8:03 PM IST

लखनऊ: अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजकर संविधान की प्रस्तावना में बदलाव करने की कोशिशों पर रोक लगाने और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि 8 दिसंबर को भाजपा सांसद केजे अल्फोंस ने राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाकर संविधान की प्रस्तावना से सेकुलर शब्द हटाने का प्रस्ताव लाया. जिसके खिलाफ नो बोलने वालों की आवाजें अधिक थीं लेकिन राज्यसभा के उपसभापति ने संविधान विरोधी आचरण दिखाते हुए उसे रिजर्व में रख लिया.

शाहनवाज आलम ने कहा कि इसी तरह पिछले साल 20 जून को भी भाजपा के राज्य सभा सदस्य राकेश सिन्हा ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद शब्द हटाने की मांग की थी. जबकि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि संविधान की प्रस्तावना में संसद भी कोई बदलाव नहीं कर सकती. इसके बावजूद राज्य सभा के उपसभापति हरि हरिवंश के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं की गयी.

शाहनवाज आलम ने कहा कि इसी तरह बीते 8 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल ने भी कहा कि संविधान से सेकुलर शब्द हटा देना चाहिए. इस बयान पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान ले कर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी.

इसे भी पढ़ें-बीजेपी पर बरसे अखिलेश यादव, कहा- सपा के कार्यक्रमों में जनसैलाब देखकर बौखलाया BJP नेतृत्व

शाहनवाज आलम ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में इंदिरा गांधी ने 42 वां संशोधन करके समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़ कर गरीबों और अल्पसंख्यक वर्गों को अधिकार संपन्न किया था. भाजपा इन शब्दों को निकालकर गरीबों और अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है. लेकिन कांग्रेस भाजपा के इस साज़िश को सफल नहीं होने देगी. उन्होंने कहा कि सपा और बसपा की इस मुद्दे पर चुप्पी साबित करती है कि उनकी भाजपा से मिलीभगत है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति संविधान के कस्टोडियन हैं, इसलिए उन्हें ऐसी कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

लखनऊ: अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजकर संविधान की प्रस्तावना में बदलाव करने की कोशिशों पर रोक लगाने और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि 8 दिसंबर को भाजपा सांसद केजे अल्फोंस ने राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाकर संविधान की प्रस्तावना से सेकुलर शब्द हटाने का प्रस्ताव लाया. जिसके खिलाफ नो बोलने वालों की आवाजें अधिक थीं लेकिन राज्यसभा के उपसभापति ने संविधान विरोधी आचरण दिखाते हुए उसे रिजर्व में रख लिया.

शाहनवाज आलम ने कहा कि इसी तरह पिछले साल 20 जून को भी भाजपा के राज्य सभा सदस्य राकेश सिन्हा ने संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद शब्द हटाने की मांग की थी. जबकि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि संविधान की प्रस्तावना में संसद भी कोई बदलाव नहीं कर सकती. इसके बावजूद राज्य सभा के उपसभापति हरि हरिवंश के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं की गयी.

शाहनवाज आलम ने कहा कि इसी तरह बीते 8 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल ने भी कहा कि संविधान से सेकुलर शब्द हटा देना चाहिए. इस बयान पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान ले कर उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी.

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शाहनवाज आलम ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में इंदिरा गांधी ने 42 वां संशोधन करके समाजवाद और सेकुलर शब्द जोड़ कर गरीबों और अल्पसंख्यक वर्गों को अधिकार संपन्न किया था. भाजपा इन शब्दों को निकालकर गरीबों और अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है. लेकिन कांग्रेस भाजपा के इस साज़िश को सफल नहीं होने देगी. उन्होंने कहा कि सपा और बसपा की इस मुद्दे पर चुप्पी साबित करती है कि उनकी भाजपा से मिलीभगत है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति संविधान के कस्टोडियन हैं, इसलिए उन्हें ऐसी कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

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