ETV Bharat / state

पुलिस ने यूपी, असम में प्रदर्शनों के दौरान हिंसा में PFI की भूमिका की पुष्टि की

उत्तर प्रदेश और असम में संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़की. इसमें कथित कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका की पुष्टि पुलिस ने की है.

etv bharat
PFI की भूमिका स्थापित.
author img

By

Published : Jan 3, 2020, 11:55 PM IST

नई दिल्ली: असम और कुछ अन्य राज्यों ने संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में कथित कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका स्थापित की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध लगाने की मांग की है, वहीं असम सरकार ने 11 दिसंबर को गुवाहाटी में हुई हिंसा में पीएफआई की भूमिका पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यूपी पुलिस, असम पुलिस और कई अन्य राज्यों के पुलिस बलों ने हाल की हिंसाओं में पीएफआई की भूमिका पायी है.

पिछले महीने, यूपी पुलिस ने राज्य में कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिए पीएफआई के कम से कम 14 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जबकि असम पुलिस ने गुवाहाटी में हिंसा में कथित भूमिका के आरोप में पीएफआई की राज्य इकाई के अध्यक्ष अमीनुल हक और संगठन के प्रेस सचिव मोहम्मद मुजम्मिल हक को हिरासत में लिया था.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी गृह मंत्रालय को समूह पर रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें दावा किया गया कि यह समूह आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है, जिसमें आतंकवादी शिविर चलाना और बम बनाना शामिल है. इसे यूएपीए के तहत प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

हालांकि, गृह मंत्रालय के अधिकारी पीएफआई के खिलाफ संभावित कार्रवाई को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप गलत : तस्लीम रहमानी

उन्होंने कहा कि मंत्रालय कोई भी कार्रवाई करने से पहले किसी निजी संगठन पर टिप्पणी नहीं करना चाहेगा.

नई दिल्ली: असम और कुछ अन्य राज्यों ने संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में कथित कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका स्थापित की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध लगाने की मांग की है, वहीं असम सरकार ने 11 दिसंबर को गुवाहाटी में हुई हिंसा में पीएफआई की भूमिका पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यूपी पुलिस, असम पुलिस और कई अन्य राज्यों के पुलिस बलों ने हाल की हिंसाओं में पीएफआई की भूमिका पायी है.

पिछले महीने, यूपी पुलिस ने राज्य में कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिए पीएफआई के कम से कम 14 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जबकि असम पुलिस ने गुवाहाटी में हिंसा में कथित भूमिका के आरोप में पीएफआई की राज्य इकाई के अध्यक्ष अमीनुल हक और संगठन के प्रेस सचिव मोहम्मद मुजम्मिल हक को हिरासत में लिया था.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी गृह मंत्रालय को समूह पर रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें दावा किया गया कि यह समूह आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है, जिसमें आतंकवादी शिविर चलाना और बम बनाना शामिल है. इसे यूएपीए के तहत प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

हालांकि, गृह मंत्रालय के अधिकारी पीएफआई के खिलाफ संभावित कार्रवाई को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पीएफआई पर हिंसा भड़काने का आरोप गलत : तस्लीम रहमानी

उन्होंने कहा कि मंत्रालय कोई भी कार्रवाई करने से पहले किसी निजी संगठन पर टिप्पणी नहीं करना चाहेगा.

Intro:New Delhi: After Uttar Pradesh, Assam and Karnataka government have also sought a ban on the Popular Front of India (PFI), days after violence in different parts of the country over the Citizenship Amendment Act, 2019.


Body:"MHA has received a received a report from Uttar Pradesh government on activities of Popular Front of India in the state. The report submitted to MHA claims that UP protests became violent due to PFI plot," said home ministry sources.

Sources said that the report received by the Internal security division of Ministry of Home Sources has already started scrutinising PFI's activities and links across the country.

Meanwhile, UP DGP OP Singh has said that PFI was actively involved in the recent violence, which
is why they have arrested 25 of their members and the state police have ample proof against them.

However, PFI has rubbished the allegations by the UP police and said that allegations for triggering violence during the ant-CAA protests were "absurd" and a "face-saving" act by the UP police.



Conclusion:Notably, PFI is banned in Jharkhand for its alleged links with the Islamic State (IS). PFI was banned under Section 16 of The Criminal Law Amendment Act, 1908. It has been on the National Investigation Agency (NIA)'s radar for a long time. In 2013, NIA had taken over a case where PFI members were accused of running arms' training camp in Kannur's Narath.

PFI was established in 2006 and it describes itself as a 'socio-economic movement' which aims to empower Muslims as well as the deprived and the downtrodden in nation at large.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.