नई दिल्ली: असम और कुछ अन्य राज्यों ने संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़की हिंसा में कथित कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका स्थापित की है. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
जहां उत्तर प्रदेश सरकार ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंध लगाने की मांग की है, वहीं असम सरकार ने 11 दिसंबर को गुवाहाटी में हुई हिंसा में पीएफआई की भूमिका पर एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यूपी पुलिस, असम पुलिस और कई अन्य राज्यों के पुलिस बलों ने हाल की हिंसाओं में पीएफआई की भूमिका पायी है.
पिछले महीने, यूपी पुलिस ने राज्य में कथित तौर पर हिंसा भड़काने के लिए पीएफआई के कम से कम 14 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जबकि असम पुलिस ने गुवाहाटी में हिंसा में कथित भूमिका के आरोप में पीएफआई की राज्य इकाई के अध्यक्ष अमीनुल हक और संगठन के प्रेस सचिव मोहम्मद मुजम्मिल हक को हिरासत में लिया था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भी गृह मंत्रालय को समूह पर रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें दावा किया गया कि यह समूह आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त है, जिसमें आतंकवादी शिविर चलाना और बम बनाना शामिल है. इसे यूएपीए के तहत प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
हालांकि, गृह मंत्रालय के अधिकारी पीएफआई के खिलाफ संभावित कार्रवाई को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि मंत्रालय कोई भी कार्रवाई करने से पहले किसी निजी संगठन पर टिप्पणी नहीं करना चाहेगा.