लखनऊः उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने शहरवासियों से अपील की है कि मेटालिक थ्रेड, वायर, तारों और चाइनीज मांझे का उपयोग करते हुए संचालित मेट्रो कॉरिडोर के आस-पास पतंग उड़ाने से बचें. मेट्रो कॉरिडोर के आसपास निशातगंज, बादशाह नगर और आलमबाग से सटे कई इलाकों में यूपीएमआरसी के कर्मचारियों ने पतंगों से ढके हुए आसमान को देखा. जिससे उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं.
मेट्रो के आवागमन में बाधा पहुंचाने पर 10 साल की सजा
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा है कि 25 हजार वॉट के वोल्टेज की धारा प्रवाह वाली ओवर हेड इक्विपमेंट (ओएचई) से इलेक्ट्रोक्यूशन के कारण दुर्घटना भी हो सकती है. मेट्रो कॉरिडोर के पास पतंग उड़ाना बेहद खतरनाक है. यह पतंग उड़ाने वाले व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि लखनऊ मेट्रो 25 हजार वोल्ट की धाराप्रवाह वाली ओवर हेड इक्विपमेंट की सहायता से चलती है. अगर किसी पतंगबाज की डोर इसके संपर्क में आती है तो ओएचई ट्रिप कर जाती है. जिससे मेट्रो संचालन में तो बाधा पैदा होती ही है. साथ ही इलेक्ट्रॉक्यूशन के कारण वह व्यक्ति भी गंभीर रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है. पिछले दिनों भी ओएचई ट्रिपिंग की ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जिसके कारण मेट्रो सेवाएं बाधित रहीं. यह सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के अलावा बेहद जानलेवा भी साबित हो सकती हैं. एमडी ने बताया कि कई मौकों पर तो मेटालिक थ्रेड, वायर, तार ओएचई के तारों में उलझे भी पाए गए हैं. मेटो एक्ट 2002 के तहत मेट्रो का आवागमन बाधित करने के अपराध में 10 साल तक की सजा का भी प्रावधान है.