लखनऊ : सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) पर गर्भवती महिला समेत अन्य जरूरतमंद मरीजों को अल्ट्रासाउंड की सुविधा के लिए अल्ट्रासाउंड मशीनों की संख्या बढ़ाई जा रही है. ये अल्ट्रासाउंड मशीनें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) द्वारा स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके अलावा हर साल प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) के 30 डॉक्टर अल्ट्रासाउंड का प्रशिक्षण प्राप्त करके विशेषज्ञ बन रहे हैं. ऐसे में यूपी में स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर होने के दावे किए जा रहे हैं.
डॉक्टरों को शार्ट टर्म प्रशिक्षण |
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ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं : स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. जिन अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड या रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक का अभाव हैं, उन अस्पतालों में प्राइवेट पैथोलॉजी के माध्यम से सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. अब आने वाली 200 फिक्स अल्ट्रासाउंड मशीनों को उन सीएचसी पर भेजा जाएगा, जहां पर अल्ट्रासाउंड जांच में प्रशिक्षित चिकित्सक मौजूद हैं. बीते दिनों 331 मोबाइल अल्ट्रासाउंड मशीनें, स्वास्थ्य विभाग को मिल चुकी हैं, जिन्हें विभिन्न सीएचसी पर भेजा जा चुका है.
सीएचसी में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञों की तैनाती होगी : डॉ. दीपा त्यागी ने कहा कि अल्ट्रासाउंड के लिए सीएचसी में डॉक्टरों का होना जरूरी है. हर क्षेत्र में जहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है वहां पर अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ जरूर होंगे. कई बार यह देखा गया कि सीएससी में जब गर्भवती महिलाएं अल्ट्रासाउंड के लिए जाती है तो वहां पर या तो मशीन खराब रहती हैं या फिर कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं तैनात रहते हैं. ऐसे में जब जिला अस्पताल को में या फिर महिला अस्पतालों में महिलाएं अल्ट्रासाउंड के लिए जाती है. वहां पर उन्हें अगले महीने की तारीख दी जाती है. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए सीएचसी में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ तैनात करने की प्रक्रिया चल रही है.
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