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... जब मायावती ने लालजी की कलाई पर बांधी थीं राखी

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Published : Jul 21, 2020, 8:28 AM IST

Updated : Jul 21, 2020, 11:24 AM IST

भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार को निधन हो गया. वे 85 साल के थे. खास बात ये है कि लालजी टंडन भले ही बीजेपी के नेता रहे हों, लेकिन विपक्षी पार्टी बसपा (बहुजन समाज पार्टी) की सुप्रीमो मायावती से उनका भाई-बहन का रिश्ता काफी चर्चा में रहा है.

मायावती ने लालजी टंडन को चांदी की राखी बांधी थीं. फाइल फोटो
मायावती ने लालजी टंडन को चांदी की राखी बांधी थीं. फाइल फोटो

लखनऊ: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार को निधन हो गया. वे 85 साल के थे. बीते कई दिनों से खराब सेहत के कारण मेदांता अस्पताल में भर्ती थे. खास बात ये है कि लालजी टंडन भले ही बीजेपी के नेता रहे हों, लेकिन विपक्षी पार्टी बसपा (बहुजन समाज पार्टी) की सुप्रीमो मायावती से उनका भाई-बहन का रिश्ता काफी चर्चा में रहा है. 18 साल पहले मायावती ने उन्हें चांदी की राखी बांधी थीं और उन्हें अपना भाई बनाया था. उस समय इसकी चर्चा मीडिया में खूब रही.

22 अगस्त 2002 को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लालजी टंडन की कलाई पर राखी बांधकर अपना भाई बनाया था. मायावती ने उन्हें चांदी की राखी बांधी थी. हालांकि, बाद में उनका यह रिश्ता ऐसा नहीं दिखा. कुछ भी हो, दोनों का यह रिश्ता खूब चर्चा में रहा.

बता दें, मेदांता अस्पताल में भर्ती मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. डॉक्टर ने उनकी तबीयत गंभीर होने की बात कही थी. दरअसल, बीते 11 जून को मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए लालजी टंडन की तबीयत 15 जून को अधिक बिगड़ गई थी. पेट में ब्लीडिंग होने पर उनका ऑपरेशन भी किया गया था. इसके बाद से वह लगातार वेंटिलेटर पर थे.

लालजी टंडन का जीवन परिचय

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में हुआ था. उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की है. अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे. 1958 में लालजी का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ. संघ से जुड़ने के दौरान ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी मुलाकात हुई. लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे.

राजनीतिक सफर

लालजी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ. दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे. उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. 90 के दशक में प्रदेश में भाजपा और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है. 1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे. इस दौरान 1991-92 की उत्तर प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी रहे. 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे. साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद लखनऊ लोकसभा सीट खाली हो गई. इसके बाद भाजपा ने लालजी टंडन को ही यह सीट सौंपी. लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की और संसद पहुंचे. 21 अगस्त 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 20 जुलाई 2019 को मध्य प्रेदश के राज्यपाल बनाए गए थे.

लखनऊ: भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का मंगलवार को निधन हो गया. वे 85 साल के थे. बीते कई दिनों से खराब सेहत के कारण मेदांता अस्पताल में भर्ती थे. खास बात ये है कि लालजी टंडन भले ही बीजेपी के नेता रहे हों, लेकिन विपक्षी पार्टी बसपा (बहुजन समाज पार्टी) की सुप्रीमो मायावती से उनका भाई-बहन का रिश्ता काफी चर्चा में रहा है. 18 साल पहले मायावती ने उन्हें चांदी की राखी बांधी थीं और उन्हें अपना भाई बनाया था. उस समय इसकी चर्चा मीडिया में खूब रही.

22 अगस्त 2002 को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लालजी टंडन की कलाई पर राखी बांधकर अपना भाई बनाया था. मायावती ने उन्हें चांदी की राखी बांधी थी. हालांकि, बाद में उनका यह रिश्ता ऐसा नहीं दिखा. कुछ भी हो, दोनों का यह रिश्ता खूब चर्चा में रहा.

बता दें, मेदांता अस्पताल में भर्ती मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. डॉक्टर ने उनकी तबीयत गंभीर होने की बात कही थी. दरअसल, बीते 11 जून को मेदांता अस्पताल में भर्ती हुए लालजी टंडन की तबीयत 15 जून को अधिक बिगड़ गई थी. पेट में ब्लीडिंग होने पर उनका ऑपरेशन भी किया गया था. इसके बाद से वह लगातार वेंटिलेटर पर थे.

लालजी टंडन का जीवन परिचय

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में हुआ था. उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की है. अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे. 1958 में लालजी का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ. संघ से जुड़ने के दौरान ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी मुलाकात हुई. लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे.

राजनीतिक सफर

लालजी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ. दो बार पार्षद चुने गए और दो बार विधान परिषद के सदस्य रहे. उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. 90 के दशक में प्रदेश में भाजपा और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है. 1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे. इस दौरान 1991-92 की उत्तर प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी रहे. 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे. साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद लखनऊ लोकसभा सीट खाली हो गई. इसके बाद भाजपा ने लालजी टंडन को ही यह सीट सौंपी. लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की और संसद पहुंचे. 21 अगस्त 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 20 जुलाई 2019 को मध्य प्रेदश के राज्यपाल बनाए गए थे.

Last Updated : Jul 21, 2020, 11:24 AM IST
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