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माया ने पंजाब CM पर साधा निशाना, कहा- चुनावी स्वार्थ की राजनीति से कांग्रेस को नहीं मिलने वाला कोई लाभ

मायावती ने ट्वीट में लिखा कि, पंजाब के कांग्रेसी सीएम द्वारा किसानों के आन्दोलन को लेकर विभिन्न आशंकाएं व्यक्त करते हुए पीएम को लिखे गये पत्र में नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे किसानों के आन्दोलन को बदनाम करने की साजिश की गई है.

माया ने पंजाब CM पर साधा निशाना
माया ने पंजाब CM पर साधा निशाना
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Published : Jul 17, 2021, 1:12 PM IST

लखनऊ: साल 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव(up assembly elections 2022) होने हैं. ऐसे में सारी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हैं. वहीं बसपा प्रमुख मायावती(mayawati)भी इस बार जोर-शोर से चुनावी रणनीति तैयार करने में लगी हैं. मायावती इन दिनों लगभग हर मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देती हैं. इसी क्रम में उन्होंने आज ट्वीटर के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधा है. मायावती ने पंजाब के कांग्रेसी सीएम द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में किसान आंदोलन (farmers protest) को बदनाम करने पर प्रकिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि चुनावी स्वार्थ की राजनीति को जनता खूब समझती है. कांग्रेस (congress) को ऐसा करके कोई लाभ मिलने वाला नहीं है.

मायावती का ट्वीट

  • 1. पंजाब के कांग्रेसी सीएम द्वारा किसानों के आन्दोलन को लेकर विभिन्न आशंकाएं व्यक्त करते हुए पीएम को लिखा गया पत्र नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दे रहे किसानों के आन्दोलन को बदनाम करने की साजिश व उसकी आड़ में चुनावी राजनीति करना घोर अनुचित।

    — Mayawati (@Mayawati) July 17, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • 2. सीमावर्ती राज्य पंजाब की सरकार को जिन भी चुनौतियों का सामना है उसके प्रति गंभीर होकर केन्द्र का सहयोग लेना तो अनुचित नहीं, लेकिन इसकी आड़ में किसानों के आन्दोलन को बदनाम करना व चुनावी स्वार्थ की राजनीति को जनता खूब समझती है। कांग्रेस को ऐसा करके कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।

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मायावती ने ट्वीट में लिखा कि, पंजाब के कांग्रेसी सीएम द्वारा किसानों के आन्दोलन को लेकर विभिन्न आशंकाएं व्यक्त करते हुए पीएम को लिखे गये पत्र में नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे किसानों के आन्दोलन को बदनाम करने की साजिश की गई है. उन्होंने लिखा कि किसानों के आन्दोलन की आड़ में चुनावी राजनीति करना अनुचित है.

उन्होंने एक के बाद एक दो ट्वीट किए. दूसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा, सीमावर्ती राज्य पंजाब की सरकार को जिन भी चुनौतियों का सामना करना है, उसके प्रति गंभीर होकर केन्द्र का सहयोग लेना, अनुचित नहीं है, लेकिन इसकी आड़ में किसानों के आन्दोलन को बदनाम करना और चुनावी स्वार्थ की राजनीति को जनता खूब समझती है. कांग्रेस को ऐसा करके कोई लाभ मिलने वाला नहीं है.

दरअसल, शुक्रवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (punjab cm captain amarinder singh) ने पीएम मोदी (pm modi) को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत करने की अपील की थी. पत्र में उन्होंने सीमापार के आतंकी खतरे का हवाला भी दिया था और लिखा था कि खालिस्तानी संगठन किसान नेताओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्होंने लिखा कि किसानों के गुस्से को राज्य के विरुद्ध प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि पंजाब की सीमा पड़ोसी देश पाकिस्तान से लगती है.

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा, 'फिलहाल राज्य में स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन मुझे डर है कि कुछ राजनीतिक दलों के भड़काऊ बयानों, आचरण और भावनात्मक प्रक्रिया के कारण कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. इससे राज्य में शांति भंग हो सकती है.'

सीएम अमरिंदर सिंह (captain amarinder singh) के पीएम को पत्र लिखने से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को चेताते हुए 2 महीने का समय सीमा दिया था. उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि इसके बाद गृह युद्ध की समस्या उत्पन्न हो सकती है.

इसे भी पढें- कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के मौन धरने पर एफआईआर दर्ज

लखनऊ: साल 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव(up assembly elections 2022) होने हैं. ऐसे में सारी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हैं. वहीं बसपा प्रमुख मायावती(mayawati)भी इस बार जोर-शोर से चुनावी रणनीति तैयार करने में लगी हैं. मायावती इन दिनों लगभग हर मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देती हैं. इसी क्रम में उन्होंने आज ट्वीटर के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधा है. मायावती ने पंजाब के कांग्रेसी सीएम द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में किसान आंदोलन (farmers protest) को बदनाम करने पर प्रकिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि चुनावी स्वार्थ की राजनीति को जनता खूब समझती है. कांग्रेस (congress) को ऐसा करके कोई लाभ मिलने वाला नहीं है.

मायावती का ट्वीट

  • 1. पंजाब के कांग्रेसी सीएम द्वारा किसानों के आन्दोलन को लेकर विभिन्न आशंकाएं व्यक्त करते हुए पीएम को लिखा गया पत्र नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दे रहे किसानों के आन्दोलन को बदनाम करने की साजिश व उसकी आड़ में चुनावी राजनीति करना घोर अनुचित।

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  • 2. सीमावर्ती राज्य पंजाब की सरकार को जिन भी चुनौतियों का सामना है उसके प्रति गंभीर होकर केन्द्र का सहयोग लेना तो अनुचित नहीं, लेकिन इसकी आड़ में किसानों के आन्दोलन को बदनाम करना व चुनावी स्वार्थ की राजनीति को जनता खूब समझती है। कांग्रेस को ऐसा करके कोई लाभ मिलने वाला नहीं है।

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मायावती ने ट्वीट में लिखा कि, पंजाब के कांग्रेसी सीएम द्वारा किसानों के आन्दोलन को लेकर विभिन्न आशंकाएं व्यक्त करते हुए पीएम को लिखे गये पत्र में नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रहे किसानों के आन्दोलन को बदनाम करने की साजिश की गई है. उन्होंने लिखा कि किसानों के आन्दोलन की आड़ में चुनावी राजनीति करना अनुचित है.

उन्होंने एक के बाद एक दो ट्वीट किए. दूसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा, सीमावर्ती राज्य पंजाब की सरकार को जिन भी चुनौतियों का सामना करना है, उसके प्रति गंभीर होकर केन्द्र का सहयोग लेना, अनुचित नहीं है, लेकिन इसकी आड़ में किसानों के आन्दोलन को बदनाम करना और चुनावी स्वार्थ की राजनीति को जनता खूब समझती है. कांग्रेस को ऐसा करके कोई लाभ मिलने वाला नहीं है.

दरअसल, शुक्रवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (punjab cm captain amarinder singh) ने पीएम मोदी (pm modi) को पत्र लिखकर किसानों से बातचीत करने की अपील की थी. पत्र में उन्होंने सीमापार के आतंकी खतरे का हवाला भी दिया था और लिखा था कि खालिस्तानी संगठन किसान नेताओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. उन्होंने लिखा कि किसानों के गुस्से को राज्य के विरुद्ध प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि पंजाब की सीमा पड़ोसी देश पाकिस्तान से लगती है.

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में लिखा, 'फिलहाल राज्य में स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन मुझे डर है कि कुछ राजनीतिक दलों के भड़काऊ बयानों, आचरण और भावनात्मक प्रक्रिया के कारण कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है. इससे राज्य में शांति भंग हो सकती है.'

सीएम अमरिंदर सिंह (captain amarinder singh) के पीएम को पत्र लिखने से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को चेताते हुए 2 महीने का समय सीमा दिया था. उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि इसके बाद गृह युद्ध की समस्या उत्पन्न हो सकती है.

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