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अब मायावती के इस 'मंत्र' से मूर्छित होंगे अखिलेश, बदली हाथी चाल !

बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के ओबीसी, मुस्लिम और जाट समाज से आने वाले बड़े नेताओं संग बैठक कर विशेष रणनीति बनाई है. पार्टी सूत्रों की मानें तो बैठक में मायावती ने अनुसूचित वर्ग की आरक्षित 86 सीटों पर जाट और मुस्लिम वर्ग को जोड़ने को लेकर चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा की.

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Published : Dec 4, 2021, 1:38 PM IST

इस 'मंत्र' से मूर्छित होंगे अखिलेश!
इस 'मंत्र' से मूर्छित होंगे अखिलेश!

हैदराबाद: यूपी में भले ही विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को अभी वक्त हो. लेकिन सभी सियासी पार्टियां अपनी तैयारियों के साथ ही दांव-पेंच की गणित में लग गई हैं. सभी एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी करने को जाति कार्ड को हथियार बनाए हुए हैं. ऐसे में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ गठबंधन कर पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम समीकरण को साधने का दांव खेला है. लेकिन, बसपा सुप्रीमो मायावती भी कहीं पीछे नहीं हैं. वे अखिलेश के दांव उल्टा उन्हीं पर चलने की कोशिश कर रही हैं. साथ ही यादव-चौधरी के सियासी कॉम्बीनेशन पर नजरें बनाए हुए हैं.

दरअसल, मायावती पश्चिम यूपी में जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर फोकस कर रही हैं. इस बात के संकेत उन्होंने पहले ही दे दिए थे. वहीं, पश्चिम में जाट और मुस्लिमों को साधने के लिए मायावती ने ओबीसी, मुस्लिम और जाट समाज के मुख्य और वरिष्ठ नेताओं के साथ मीटिंग भी की. इसी बैठक में उन्होंने अनुसूचित वर्ग की आरक्षित 86 सीटों पर जाट और मुस्लिम वर्ग को जोड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा भी की थी.

मायावती और अखिलेश यादव
मायावती और अखिलेश यादव

इसे भी पढ़ें -पूर्वांचल में भाजपा को सता रहा पराजय का भय !

इधर, सुरक्षित सीटों पर पार्टी जाट-मुस्लिम-दलित कॉम्बीनेशन के साथ चुनावी बाजी जीतने की कोशिश कर रही है. इसी को लेकर मायावती ने जाट और मुस्लिम नेताओं से कहा कि सुरक्षित सीटों पर अपने-अपने समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ें. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने और समाज की छोटी-छोटी बैठकें लेने का मंत्र मायावती ने अपने इन दो वर्गों के नेताओं को दिया है.

साथ ही बसपा सुप्रीमो ने सूबे की योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि भाजपा मुस्लिमों के साथ अन्याय कर रही है. प्रदेश में मुस्लिम समाज दुखी है और उनकी तरक्की नहीं हो रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार में मुस्लिमों पर फर्जी मुकदमे लाद उन्हें फंसाया जा रहा है. मायावती ने कहा कि सिर्फ, मुस्लिम समाज ही नहीं, बल्कि जाटों पर भी भाजपा हमला करती रही है.

अखिलेश यादव और जयंत चौधरी
अखिलेश यादव और जयंत चौधरी

योगी सरकार का रवैया जाटों के लिए साफ दिखता है. खैर, जब बसपा की सरकार थी तो मुस्लिमों को तरक्की के साथ ही उनकी हिफाजत भी की जाती थी. इसी के साथ जाट समाज की तरक्की का भी पूरा ध्यान रखा जाता था. ऐसे में मायावती ने दावा किया कि बसपा की सरकार बनते ही मुस्लिमों और जाट वर्ग के हित व कल्याण का ध्यान रखा जाएगा.

गौर हो कि पश्चिम यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित मतदाता निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. एक समय था, जब मायावती दलित-मुस्लिम वर्ग की मदद से पश्चिमी यूपी में जीतती थीं. लेकिन अब सियासी समीकरण बदल रहे हैं. किसान आंदोलन की वजह से रालोद को सियासी संजीवनी मिल गई है. ऐसे में जाट वोटर फिर से रालोद की तरफ झुक रहे हैं. जिसे देखते हुए ही समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन कर लिया है.

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हैदराबाद: यूपी में भले ही विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को अभी वक्त हो. लेकिन सभी सियासी पार्टियां अपनी तैयारियों के साथ ही दांव-पेंच की गणित में लग गई हैं. सभी एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी करने को जाति कार्ड को हथियार बनाए हुए हैं. ऐसे में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ गठबंधन कर पश्चिमी यूपी में जाट-मुस्लिम समीकरण को साधने का दांव खेला है. लेकिन, बसपा सुप्रीमो मायावती भी कहीं पीछे नहीं हैं. वे अखिलेश के दांव उल्टा उन्हीं पर चलने की कोशिश कर रही हैं. साथ ही यादव-चौधरी के सियासी कॉम्बीनेशन पर नजरें बनाए हुए हैं.

दरअसल, मायावती पश्चिम यूपी में जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण पर फोकस कर रही हैं. इस बात के संकेत उन्होंने पहले ही दे दिए थे. वहीं, पश्चिम में जाट और मुस्लिमों को साधने के लिए मायावती ने ओबीसी, मुस्लिम और जाट समाज के मुख्य और वरिष्ठ नेताओं के साथ मीटिंग भी की. इसी बैठक में उन्होंने अनुसूचित वर्ग की आरक्षित 86 सीटों पर जाट और मुस्लिम वर्ग को जोड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा भी की थी.

मायावती और अखिलेश यादव
मायावती और अखिलेश यादव

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इधर, सुरक्षित सीटों पर पार्टी जाट-मुस्लिम-दलित कॉम्बीनेशन के साथ चुनावी बाजी जीतने की कोशिश कर रही है. इसी को लेकर मायावती ने जाट और मुस्लिम नेताओं से कहा कि सुरक्षित सीटों पर अपने-अपने समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ें. इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने और समाज की छोटी-छोटी बैठकें लेने का मंत्र मायावती ने अपने इन दो वर्गों के नेताओं को दिया है.

साथ ही बसपा सुप्रीमो ने सूबे की योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि भाजपा मुस्लिमों के साथ अन्याय कर रही है. प्रदेश में मुस्लिम समाज दुखी है और उनकी तरक्की नहीं हो रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार में मुस्लिमों पर फर्जी मुकदमे लाद उन्हें फंसाया जा रहा है. मायावती ने कहा कि सिर्फ, मुस्लिम समाज ही नहीं, बल्कि जाटों पर भी भाजपा हमला करती रही है.

अखिलेश यादव और जयंत चौधरी
अखिलेश यादव और जयंत चौधरी

योगी सरकार का रवैया जाटों के लिए साफ दिखता है. खैर, जब बसपा की सरकार थी तो मुस्लिमों को तरक्की के साथ ही उनकी हिफाजत भी की जाती थी. इसी के साथ जाट समाज की तरक्की का भी पूरा ध्यान रखा जाता था. ऐसे में मायावती ने दावा किया कि बसपा की सरकार बनते ही मुस्लिमों और जाट वर्ग के हित व कल्याण का ध्यान रखा जाएगा.

गौर हो कि पश्चिम यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित मतदाता निर्णायक की भूमिका निभाते हैं. एक समय था, जब मायावती दलित-मुस्लिम वर्ग की मदद से पश्चिमी यूपी में जीतती थीं. लेकिन अब सियासी समीकरण बदल रहे हैं. किसान आंदोलन की वजह से रालोद को सियासी संजीवनी मिल गई है. ऐसे में जाट वोटर फिर से रालोद की तरफ झुक रहे हैं. जिसे देखते हुए ही समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन कर लिया है.

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