जयपुर: बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी पार्टी के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है. ट्वीट कर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने गैर भरोसेमंद और धोखेबाज पार्टी होने का प्रमाण दे दिया है.
मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि आज कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह गैर भरोसेमंद और धोखेबाज पार्टी है. इसके साथ ही मायावती ने कांग्रेस पार्टी का दलित विरोधी होने के साथ ही बड़ा आरोप यह लगाया कि कांग्रेस पार्टी नहीं डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लोकसभा में जाने से रोका और कभी उनको भारत रत्न नहीं दिया जो दुखद और शर्मनाक है.
वहीं मायावती के इस ट्वीट के बाद सक्रिय हुई राजस्थान बसपा ने भी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है. राजस्थान बसपा ने ट्वीट करते हुए कहा कि अब कांग्रेस को समाप्त होने से कोई नहीं रोक सकता. अब ना तो कांग्रेस की सरकार दोबारा राजस्थान में बनेगी और ना गहलोत दोबारा मुख्यमंत्री. वहीं बसपा के राजस्थान प्रभारी ने आरोप लगाया कि यह गहलोत की जादूगरी नहीं बल्कि लालच का कमाल है, जो बसपा विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़ी.
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1. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने एक बार फिर बीएसपी के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है। यह बीएसपी मूवमेन्ट के साथ विश्वासघात है जो दोबारा तब किया गया है जब बीएसपी वहाँ कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी।
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राजस्थान बसपा के प्रदेश प्रभारी भगवान सिंह बाबा ने कहा कि कांग्रेस ने एक बार फिर से वही दोहराया है जो पिछली सरकार के समय किया था. उन्होंने कहा कि राजस्थान की गहलोत सरकार ने केवल लालच देकर सभी विधायकों को साथ लिया है. इसके अलावा किसी तरह की नाराजगी बसपा के विधायकों में बसपा से नहीं थी.
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2. कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं। कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी,ओबीसी विरोधी पार्टी है तथा इन वर्गों के आरक्षण के हक के प्रति कभी गंभीर व ईमानदार नहीं रही है।
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उन्होंने कहा कि वह पहले भी इस लड़ाई को लड़ चुके हैं और अगर मायावती कहेंगी तो फिर से इस लड़ाई को लड़ने के लिए तैयार हैं. वहीं उन्होंने कहा कि बसपा का वोट किसी विधायक के साथ नहीं होता, केवल पार्टी के साथ होता है. यही कारण है कि साल 2008 में बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए गए विधायकों में से 3 ही जीत पाए. बसपा ने फिर पिछले चुनाव में 3 विधायक अपनी पार्टी के दम पर जितवाए थे. अब एक बार फिर से 16 विधायक पार्टी छोड़ कर गए हैं.
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3.कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही। इसी कारण डा अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया। अति-दुःखद व शर्मनाक।
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भगवान सिंह ने कहा कि बसपा का वोट केवल बसपा के साथ है और आगामी निकाय चुनाव में कांग्रेस को इसका पता चल जाएगा. जब दलित विरोधी पार्टी को जनता सबक सिखाएगी. सिंह ने कहा कि कांग्रेस को बसपा ने वैसे ही समर्थन दे रखा था. ऐसे में अपनी ही तरह की विचारधारा की पार्टी को समाप्त करने के प्रयास का नतीजा कांग्रेस को भुगतना होगा.