लखनऊः अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के मंदिर निर्माण के आए फैसले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड रिव्यू पिटीशन दायर करने का निर्णय लिया है. यह बात अलग है की पर्सनल ला बोर्ड अलग-अलग भागों में विभाजित होता हुआ दिखाई दे रहा है. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रदेश की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है. वह नहीं चाहती कि इस प्रकरण को लेकर अब कोई बिखराव हो.
अपने ट्वीट में मायावती ने कहा था कि परम पूज्य बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के धर्मनिरपेक्ष संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के संबंध में आम सहमति से दिए गए ऐतिहासिक फैसले का सभी को सम्मान करते हुए अब इस पर सौहार्दपूर्ण वातावरण में ही आगे का काम करना चाहिए. ऐसी अपील व सलाह है. जाहिर है मायावती की अपील को मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के रिव्यू पिटीशन दायर करने के एलान से जोड़कर देखा जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट का गत नौ नवंबर को अयोध्या मसले पर फैसला आया था. इस फैसले से पहले सभी पक्ष कोर्ट के फैसले को मानने की वकालत कर रहे थे. फैसला आने के बाद मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का एक धड़ा इस पर सवाल खड़ा करने लगा. पर्सनल ला बोर्ड कि गत रविवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बैठक हुई. इस बैठक में एआईएमआईएम के चीफ व हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी जैसे बड़े चेहरे समेत अन्य लोग मौजूद थे. बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर रिव्यू पिटीशन दायर करने का एलान किया.
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के इस कदम से उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड हो या सुन्नी वक्फ बोर्ड सहमत नहीं है. बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार अंसारी भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि वह हिंदुस्तानी मुसलमान हैं. उन्हें भारत के संविधान पर पूरा भरोसा है. सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उसे वह मान रहे हैं. सभी को मानना चाहिए. इसी बीच सोमवार को बसपा के प्रदेश कार्यालय ने मायावती के उस ट्वीट को जारी किया जो उन्होंने नौ नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर किया था.