लखनऊ : उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का मुद्दा एक बार फिर से जोरों पर है. UP ATS ने जहांगीर और उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद जांच पड़ताल तेज कर दी है. एटीएस ने मलिहाबाद के करीब रहमान खेड़ा स्तिथ अल हसन एजुकेशन एन्ड वेलफेयर फाउंडेशन पहुंचकर छापेमारी भी की. इस मामले पर जहां एक ओर सियासत तेज हो गई है तो वहीं दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने इन कार्रवाई को आगामी चुनाव से जोड़ते हुए जनता के मुद्दों पर सरकार को फेल बताया है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि सरकार की प्रथमिकता स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार होती है, लेकिन बेरोजगारी कितनी बढ़ गई है सभी को मालूम है साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की पोल कोरोना काल में खुल गई. ऐसे में जब सरकार तमाम मुद्दों पर फेल हो जाए तो चुनाव से पहले उन्हें एक ऐसा मुद्दा चाहिए ही था जो उन्हें सूट भी करता हो और उनकी राजनीति पर भी सटीक बैठता हो. हिन्दू मुस्लिम एक ऐसा मुद्दा है जो देश की राजनीति में हमेशा से बड़ा किरदार निभाता रहा है. यही वजह है कि फिर से एक बार जनसंख्या नियंत्रण कानून, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को भुनाने की कोशिश की जा रही है. मौलाना ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाकर और जनता को गुमराह कर एक बार फिर से सत्ता हासिल करने की कोशिश हो रही है.
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कार्रवाई पर मौलाना ने उठाए सवाल
मौलाना ने ATS की कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इससे पहले भी मुस्लिम नौजवानों को कोरोना फैलाने का आरोप लगाकर जेलों में डाला गया, लेकिन कोर्ट ने सख्त टिप्पड़ी करते हुए सबकों बरी किया. उन्होंने कहा कि ऐसी कहानियां गढ़ी जाती है, जिनका हकीकत से वास्ता नहीं होता. मौलाना ने कहा कि लिस्ट में कई ऐसे भी लोगों के नाम है जो डॉक्टर, इंजीनियर और काफी पढ़े लिखें लोग है. इससे सवाल खड़ा होता है कि कैसे कोई इतने पढ़े लिखे लोगों का जबरन या बहला-फुसलाकर धर्म बदलवा देगा. धर्म परिवतर्न जो होता है वह आस्था की बुनियाद पर होता है और अगर कोई शख्स इस्लाम धर्म में आस्था रखना चाह रहा है तो उसको कानून के नाम पर या टॉर्चर कर की वह खुद चाहते हुए भी ऐसा ना करें तो यह अभिव्यक्ति की आजादी के साथ भी खिलवाड़ है.
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ध्रुवीकरण की राजनीति के तहत बनाया गया मुद्दा
मौलाना ने इस मुद्दे पर कहा कि संवैधानिक तरीके के तहत काम किया जाए तो किसी को आपत्ति नहीं होगी. अगर आरोप जबरन धर्म परिवर्तन का लगाया जा रहा है तो उसके लिए देश में कोर्ट है जो तय करेगी कि कौन दोषी है और कौन नहीं, लेकिन बिना वजह मुद्दों को खड़ा करना और लोगों को उनमें भटकाना की चुनाव से पहले फिर एक बार गुमराह कर सकें यह डेमोक्रेटिक लिहाज से सही नहीं है. मौलाना ने सरकार पर धर्म और जाति के नाम पर ध्रुवीकरण करने का भी आरोप लगाया है.