लखनऊ: मध्यप्रदेश के राज्यपाल और लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टंडन का मंगलवार सुबह निधन हो गया. वह पुराने लखनऊ के घने मोहल्ले की तंग गलियों में रहा करते थे. शायद यही वजह थी कि उनके चाहने वाले हर मज़हब और हर तबके में मौजूद हैं. मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली भी लालजी टंडन को सांप्रदायिक सौहार्द के दूत की तरह याद करते हैं. मौलाना फरंगी महली ने लालजी टंडन को पुराने दिनों में हिन्दू-मुस्लिम के बीच के मामलों को सुलझाने के साथ-साथ शिया-सुन्नी जुलूसों पर लगी रोक को हटवाने में अहम किरदार निभाने वाले शख्स बताया.
लखनऊ ईदगाह के इमाम और दारुल उलूम फरंगी महल के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लालजी टंडन को याद करते हुए कहा कि वह इस प्रदेश और लखनऊ की अदब और तहजीब की एक जीती-जागती मिसाल थे. उन्होंने कहा कि लालजी हमारे शहर लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की एक बड़ी अलामत थे. वे हमेशा इस बात का लिहाज रखते थे कि समाज में तमाम लोगों को साथ लेकर चला जाए. लिहाजा कभी हिन्दू-मुस्लिम मामला हुआ हो या शिया-सुन्नी के बीच कोई मसला खड़ा हुआ, तो उन्होंने हर मामले को हल करने की कोशिश की.
लालजी टंडन के निधन से हम बहुत दुखी हैं
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि लखनऊ शहर में शिया और सुन्नी के जुलूसों का मसला हल करने में लालजी टंडन ने बहुत अहम किरदार अदा किया है. पुराने दिनों को याद करते हुए मौलाना बताते हैं कि हमारे पिता से लालजी टंडन को बहुत ही मोहब्बत और अकीदत थी. इसके चलते वह हर कार्यक्रम में फरंगी महल आते थे और मुलाकात करते थे. मौलाना खालिद राशिद ने कहा कि उनके निधन से हम सब बहुत दुखी हैं. हम सबके बीच से एक बेहतरीन राजनेता आज रुखसत हो गया है.