लखनऊः शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने 24 सितम्बर से पर्यटकों के लिए खुल रहे इमामबाड़े पर अपना विरोध जताया है. मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि जब इमामबाड़े में अजादारी के लिए इजाजत नहीं दी जा रही तो फिर पर्यटकों को आने के लिए कैसे इजाजत दी जा सकती है.
मौलाना कल्बे जवाद ने इमामबाड़े के गेट पर बुधवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हुसैनाबाद ट्रस्ट के चेयरमैन या जिलाधिकारी के उस फैसले का हम विरोध करते हैं, जिसमें कोरोना महामारी के नाम पर ऐतिहासिक इमामबाड़ा आसिफी और छोटे इमामबाड़े को टूरिज्म के लिए गुरुवार से खोला जाना है.
मौलाना ने कहा कि इमामबाड़े की तामीर अजादारी के लिए की गई है और अज़ादारी की अनुमति दिए बगैर इमामबाड़े में पर्यटकों के प्रवेश की अनुमति देना शिया समुदाय के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार करने जैसा है. मौलाना कल्बे जवाद ने कहा के प्रशासन में बैठे हुए कुछ लोग लगातार हमारी भावनाओं को आहत करने वाले फैसले ले रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमारी कौम एक जिम्मेदार कौम है और उसने कोरोना महामारी पर पूरे देश में मोहर्रम पर हर तरह का सहयोग दिया. जिस तरह से इमामबाड़े में अज़ादारी की रसुमात को रोका गया तो लोगों के जज्बातों को काबू करना हर किसी के लिए मुश्किल होगा. मौलाना ने प्रशासन को चेताया और कहा कि इमामबाड़े में प्रशाशन पूरी इजाजत अजादारी की दे और हम लोग भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सभी मानकों को पूरा करते हुए इसे निभाएंगे.
मौलाना ने कहा कि अगर प्रशासन ने शिया समुदाय की इस मांग को नजरअंदाज करके केवल पर्यटकों को ही प्रवेश की अनुमति दी तो फिर हमें भी बिना किसी अनुमति के अजादारी करेंगे और हमें कोई रोक नहीं पाएगा.