लखनऊ: शिया धर्मगुरु व इमाम-ए-जुमा मौलाना कलबे जवाद ने मुहर्रम के महीने में बड़े इमामबाड़े में आयोजित मजलिसों के खिलाफ प्रशासन द्वारा दर्ज की गई एफआईआर और अदालत में दायर चार्जशीट की निंदा की है. उन्होंने कहा कि प्रशासन इमामबाड़े को पर्यटन स्थल बनाना चाहता है. मौलाना ने चेतावनी दी है कि हम प्रशासन को एक बार फिर बताना चाहते हैं कि बड़ा इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है. यहां हमेशा की तरह मजलिसें होती रहेंगी. यदि मजलिसों पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो हम इसके खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे. पर्यटकों को भी इमामबाड़े में आने नहीं दिया जायेगा.
मौलाना ने बयान में कहा
शुक्रवार को जारी किए गए बयान में मौलाना ने कहा कि इमामबाड़े में मजलिसें करना कब से जुर्म हो गया. इस कार्रवाई ने प्रशासन की मंशा को जाहिर किया है. यदि वह इमामबाड़े की धार्मिक स्थिति को मानते, तो फिर इमामबाड़े में मजलिसें आयोजित करने को लेकर हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की जाती. मौलाना ने कहा कि मुहर्रम में जब हमने बड़े इमामबाड़ा में मजलिसों का एलान किया, उसी समय प्रशासन ने कहा था कि हम अभी जांच कर रहे हैं कि बड़ा इमामबाड़ा धार्मिक स्थल है या नहीं.
शिया धर्मगुरु समेत कई के नाम शामिल
मौलाना ने बताया कि प्रशासन की तरफ से अदालत में दाखिल की गई चार्जशीट में मेरा नाम है. साथ ही मौलाना रज़ा हुसैन, मौलाना हबीब हैदर, मौलाना फिरोज़ हुसैन और अन्य लोगों का भी नाम है. इससे साबित होता है कि प्रशासन की मंशा क्या है. वह इमामबाड़े को पर्यटन स्थल बनाना चाहता है. उन्होंने कहा कि हम प्रशासन को एक बार फिर बताना चाहते हैं कि बड़ा इमामबाड़ा एक धार्मिक स्थल है. यहां हमेशा की तरह मजलिसें होती रहेंगी.
भ्रष्टाचार पर नहीं दर्ज होती एफआईआर
मौलाना ने कहा कि इमामबाड़े में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं, जिनमें बहुत लोगों के पास टिकट नहीं होता है. प्रशासन इस भ्रष्टाचार पर एफआईआर क्यों दर्ज नहीं करता? मौलाना ने कहा कि जब से पर्यटकों को इमामबाड़े में आने की अनुमति दी गई है, तब से अब तक बड़े और छोटे इमामबाड़े में 90 प्रतिशत पर्यटक कोविड नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिनकी तस्वीरें उपलब्ध हैं. इसके बाद भी उन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस संबंध में कोई एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?.