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लखनऊः सम्मान राशि पाने को भटक रहा शहीद का परिवार, शौर्य मेडल वापस करने का लिया फैसला

यूपी की राजधानी लखनऊ में शहीद विवेक सक्सेना का परिवार 17 साल से सम्मान राशि पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहें. इससे नाराज शहीद का परिवार बेटे को मिले शौर्य मेडल को वापस करने का फैसला लिया है. साथ ही शहीद की मां ने कहा कि जब सरकार द्वारा घोषित सम्मान राशि ही हमें नहीं मिल रही है तो इस मेडल का हम क्या करेंगे.

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Published : Oct 15, 2020, 3:55 PM IST

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शहीद विवेक सक्सेना के माता-पिता.

लखनऊः जिले के सरोजनी नगर क्षेत्र स्थित कृष्णा लोक कॉलोनी में रहने वाली शहीद विवेक सक्सेना का परिवार 17 सालों से सम्मान राशि पाने को पाने से वंचित है. साथ ही सरकार द्वारा उनके शहीद बेटे के लिए किए गए वादों को पूरा अभी तक पूरा नहीं किया किया है. नाराज शहीद की मां सरकार द्वारा दिए गए शौर्य मेडल को वापस करने का फैसला लिया है. शहीद की मां का कहना है कि जब सरकार द्वारा घोषित सम्मान राशि ही हमें नहीं मिल रही है तो इस मेडल का हम क्या करेंगे. यह मेडल जब तक हमारे घर में रहेगा. हमें अपने बेटे की याद आती रहेगी और जो सरकार ने उनके साथ नाइंसाफी की है. इसके लिए भी मन दुखी रहेगा. इसी को देखते हुए उन्होंने सरकार द्वारा दिए गए मैडम को वापस करने का फैसला लिया है.

शहीद विवेक सक्सेना के परिवार को नहीं मिली सम्मान राशि.

शहीद विवेक सक्सेना की मां ने बताया कि उनका बेटा मणिपुर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए 2003 में शहीद हो गया था. जिसके बाद प्रदेश की मायावती सरकार ने शहीद बेटे के लिए 10 लाख रुपये व जमीन देने का वादा किया था. 17 साल बीत जाने के बावजूद अभी तक शासन और प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली है. जिससे सरकार द्वारा दिए गए शौर्य चक्र व पुलिस मेडल बेमानी साबित होते दिख रहे हैं.

शहीद की मां सावित्री ने बताया कि विवेक सक्सेना केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई में उत्तीर्ण होकर सेना को लेकर अपना मुख्य लक्ष्य बनाया. क्योंकि शहीद विवेक सक्सेना के पिता राम स्वरूप सक्सेना एयरफोर्स में फ्लाइट लेफ्टिनेंट पद पर रहकर देश के लिए 1965 और 1971 की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. उसके बाद विवेक सक्सेना ने अपनी पढ़ाई पूरी करके सेना का दामन थामा.

4 जनवरी 1999 में खुफिया विभाग आईबी को ज्वाइन किया. आईबी में कुछ समय रहने के बाद 22 जुलाई सन 2000 में सीमा सुरक्षा बल में दाखिला लिया और अपने कार्यों से चर्चित रहते हुए मणिपुर में तैनाती के दौरान खतरों के खिलाड़ी नाम से मशहूर विवेक सक्सेना 2 जनवरी सन 2003 में मणिपुर में आतंकवादियों की घुसपैठ में सेना ऑपरेशन ज्वाला चलाया गया. 7 दिन तक लगातार युद्ध के दौरान 8 जनवरी 2003 को राकेट लांचर से विवेक सक्सेना देश के लिए शहीद हो गए.

विवेक सक्सेना के शहीद होने के बाद उनका शव सम्मान पूर्वक उनके निवास स्थान राजधानी के सरोजनी नगर स्थित आवास कृष्णा लोक कॉलोनी लाया गया. जहां पूर्ण सम्मान देने के लिए प्रदेश के क्षेत्रीय विधायक और सेना के अधिकारी क्षेत्रवासियों ने वीर जवान की शहादत पर शोक व्यक्त किया. उसी दौरान कृष्णा लोक कॉलोनी में शहीद स्मारक बनाने तथा सरकार द्वारा तमाम सहायता राशि देने का पूर्ण आश्वासन दिया गया था, लेकिन 17 वर्ष बीतने पर भी परिवार को कोई सुविधा नहीं मिली है.

सरकार विवेक सक्सेना के परिवार को सहायता राशि दिए जाने के वायदे को पूरी तरह भूल चुकी है. यहां तक कि तहसील प्रशासन शहीद विवेक सक्सेना के परिवार को लखनऊ का निवासी नहीं मानता है. जिसके कारण तहसील प्रशासन ने कोई भी सहायता करने में अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. प्रशासन की उपेक्षा पूर्ण रवैया देखते हुए शहीद परिवार ने शौर्य मेडल वापस करने का फैसला लिया है.

लखनऊः जिले के सरोजनी नगर क्षेत्र स्थित कृष्णा लोक कॉलोनी में रहने वाली शहीद विवेक सक्सेना का परिवार 17 सालों से सम्मान राशि पाने को पाने से वंचित है. साथ ही सरकार द्वारा उनके शहीद बेटे के लिए किए गए वादों को पूरा अभी तक पूरा नहीं किया किया है. नाराज शहीद की मां सरकार द्वारा दिए गए शौर्य मेडल को वापस करने का फैसला लिया है. शहीद की मां का कहना है कि जब सरकार द्वारा घोषित सम्मान राशि ही हमें नहीं मिल रही है तो इस मेडल का हम क्या करेंगे. यह मेडल जब तक हमारे घर में रहेगा. हमें अपने बेटे की याद आती रहेगी और जो सरकार ने उनके साथ नाइंसाफी की है. इसके लिए भी मन दुखी रहेगा. इसी को देखते हुए उन्होंने सरकार द्वारा दिए गए मैडम को वापस करने का फैसला लिया है.

शहीद विवेक सक्सेना के परिवार को नहीं मिली सम्मान राशि.

शहीद विवेक सक्सेना की मां ने बताया कि उनका बेटा मणिपुर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए 2003 में शहीद हो गया था. जिसके बाद प्रदेश की मायावती सरकार ने शहीद बेटे के लिए 10 लाख रुपये व जमीन देने का वादा किया था. 17 साल बीत जाने के बावजूद अभी तक शासन और प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिली है. जिससे सरकार द्वारा दिए गए शौर्य चक्र व पुलिस मेडल बेमानी साबित होते दिख रहे हैं.

शहीद की मां सावित्री ने बताया कि विवेक सक्सेना केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई में उत्तीर्ण होकर सेना को लेकर अपना मुख्य लक्ष्य बनाया. क्योंकि शहीद विवेक सक्सेना के पिता राम स्वरूप सक्सेना एयरफोर्स में फ्लाइट लेफ्टिनेंट पद पर रहकर देश के लिए 1965 और 1971 की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. उसके बाद विवेक सक्सेना ने अपनी पढ़ाई पूरी करके सेना का दामन थामा.

4 जनवरी 1999 में खुफिया विभाग आईबी को ज्वाइन किया. आईबी में कुछ समय रहने के बाद 22 जुलाई सन 2000 में सीमा सुरक्षा बल में दाखिला लिया और अपने कार्यों से चर्चित रहते हुए मणिपुर में तैनाती के दौरान खतरों के खिलाड़ी नाम से मशहूर विवेक सक्सेना 2 जनवरी सन 2003 में मणिपुर में आतंकवादियों की घुसपैठ में सेना ऑपरेशन ज्वाला चलाया गया. 7 दिन तक लगातार युद्ध के दौरान 8 जनवरी 2003 को राकेट लांचर से विवेक सक्सेना देश के लिए शहीद हो गए.

विवेक सक्सेना के शहीद होने के बाद उनका शव सम्मान पूर्वक उनके निवास स्थान राजधानी के सरोजनी नगर स्थित आवास कृष्णा लोक कॉलोनी लाया गया. जहां पूर्ण सम्मान देने के लिए प्रदेश के क्षेत्रीय विधायक और सेना के अधिकारी क्षेत्रवासियों ने वीर जवान की शहादत पर शोक व्यक्त किया. उसी दौरान कृष्णा लोक कॉलोनी में शहीद स्मारक बनाने तथा सरकार द्वारा तमाम सहायता राशि देने का पूर्ण आश्वासन दिया गया था, लेकिन 17 वर्ष बीतने पर भी परिवार को कोई सुविधा नहीं मिली है.

सरकार विवेक सक्सेना के परिवार को सहायता राशि दिए जाने के वायदे को पूरी तरह भूल चुकी है. यहां तक कि तहसील प्रशासन शहीद विवेक सक्सेना के परिवार को लखनऊ का निवासी नहीं मानता है. जिसके कारण तहसील प्रशासन ने कोई भी सहायता करने में अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. प्रशासन की उपेक्षा पूर्ण रवैया देखते हुए शहीद परिवार ने शौर्य मेडल वापस करने का फैसला लिया है.

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