लखनऊः राजधानी वीरता की कहानियों से भरी हुई है. ऑपेरशन विजय को लेकर रविवार को कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मनाई गई है. अदम्य शौर्य, साहस और पराक्रम से कैप्टन मनोज पांडेय ने अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए प्राण न्योछावर कर दिए. ऑपरेशन विजय परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पांडे की वीरता से की कहानियों से भरा हुआ है.
राजधानी में एकमात्र परमवीर चक्र विजेता
परमवीर चक्र विजेता और अमर शहीद कैप्टेन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद पांडेय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कारगिल के हीरो कैप्टन मनोज पांडेय के नाम से शहर का नाम रोशन हो रहा है. उन्होंने कहा कि यूपी सैनिक स्कूल की वह शान रहे और आज यह स्कूल इन्हीं के नाम से जाना जा रहा है. गोपीचंद पांडे ने कहा कारगिल युद्ध शुरू होने पर उन्हें मई 1999 को कारगिल में भारतीय पोस्टों को खाली करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वह सेना में पांच नंबर प्लाटून का नेतृत्व कर रहे थे.
आगे बढ़ते हुए लगी गोली
भावुक होते हुए शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता ने कहा कि बेटे ने दुश्मनों के 4 बंकरों को ध्वस्त कर दिया था. इसी बीच दुश्मन की गोली से वह बुरी तरह घायल हो गए और वीरगति को प्राप्त हुए. उन्होंने कहा कि वह राजधानी के इकलौते ऐसे शहीद है जिन्हें परमवीर चक्र प्रदान किया गया है. बेटे को खोने की टीस का ताउम्र सताती रहेगी. उन्होंने कहा कि मनोज हमेशा अपने मां का दिया रक्षा कवच पहना करते थे. उनका मानना था कि वह उसकी रक्षा करता है. वह हमेशा कहते थे कि अगर अपनी बहादुरी साबित करने से पहले मेरे सामने मौत भी आ गई तो मैं उसे खत्म कर दूंगा.
मेयर और नगरायुक्त ने दिया सम्मान
कारगिल दिवस की 21वीं वर्षगांठ पर लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी ने परमवीर चक्र विजेता और अमर शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपीचंद पांडे को शॉल और एक स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.