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अखंड सुहाग की लंबी कामना के लिए सुहागिनों ने की वट वृक्ष की पूजा - वट वृक्ष पूजा

शुक्रवार को लखनऊ में महिलाओं ने पति की लंबी उम्र और संतान के सुनहरे भविष्य के लिए वट सावित्री का पूजन किया. मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की लंबी आयु होती है.

vat savitri puja
वट सावित्री की पूजा
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Published : May 22, 2020, 12:48 PM IST

लखनऊः पति की लंबी उम्र और संतान के सुनहरे भविष्य के लिए सुहागिनों ने शुक्रवार सुबह वट सावित्री का पूजन किया. वट सावित्री पूजा सोमवती अमावस्या तक मनाई जाती है. शुक्रवार 22 मई को ही शनि अमावस्या होने पर शनि जयंती भी मनाई जा रही है.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र.

जेठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होती है वट सावित्री पूजा
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने ईटीवी भारत को बताया की जेठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति के लिए अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. इस बार वट सावित्री व्रत 22 मई शुक्रवार को मनाई जा रही है.

शोभन योग में होगी पूजा
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया इस बार वट सावित्री पूजन और शनि जयंती पर शुभ और कल्याणकारी कृतिका नक्षत्र शुभ योग बन रहा है. उन्होंने कहा ऐसी मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे तपस्या की थी, इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा.

अर्पित की जाती है सामग्री
ज्योतिषाचार्य ने कहा की इस पूजन में सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष को जल से सिंचित उसमें हल्दी लगा कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी परिक्रमा करती हैं. इसके साथ-साथ पूजन से संबंधित सामग्री भी अर्पित की जाती है.

जेठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को शनि जयंती भी मनाई जाती है. शनिदेव सूर्यदेव और माता छाया के पुत्र हैं. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शनि महाराज का जन्म जेष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था. शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा करने से सभी ग्रह शांत होते हैं. इस दिन संध्या के समय काली सरसों के तेल का दीपक शनि प्रतिमा के सामने या पीपल के पेड़ के नीचे जलाना लाभकारी होता है.

सुहाग की कुशलता और समृद्धि की कामना के लिए सुहागिने शुक्रवार को वट सावित्री व्रत कर रही हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया की आज ही के दिन सावित्री कठोर तपस्या के चलते अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस लाई थीं.

लखनऊः पति की लंबी उम्र और संतान के सुनहरे भविष्य के लिए सुहागिनों ने शुक्रवार सुबह वट सावित्री का पूजन किया. वट सावित्री पूजा सोमवती अमावस्या तक मनाई जाती है. शुक्रवार 22 मई को ही शनि अमावस्या होने पर शनि जयंती भी मनाई जा रही है.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र.

जेठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होती है वट सावित्री पूजा
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने ईटीवी भारत को बताया की जेठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति के लिए अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. इस बार वट सावित्री व्रत 22 मई शुक्रवार को मनाई जा रही है.

शोभन योग में होगी पूजा
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया इस बार वट सावित्री पूजन और शनि जयंती पर शुभ और कल्याणकारी कृतिका नक्षत्र शुभ योग बन रहा है. उन्होंने कहा ऐसी मान्यता है कि सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे तपस्या की थी, इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा.

अर्पित की जाती है सामग्री
ज्योतिषाचार्य ने कहा की इस पूजन में सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष को जल से सिंचित उसमें हल्दी लगा कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी परिक्रमा करती हैं. इसके साथ-साथ पूजन से संबंधित सामग्री भी अर्पित की जाती है.

जेठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को शनि जयंती भी मनाई जाती है. शनिदेव सूर्यदेव और माता छाया के पुत्र हैं. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शनि महाराज का जन्म जेष्ठ अमावस्या के दिन हुआ था. शनि जयंती के दिन शनिदेव की पूजा करने से सभी ग्रह शांत होते हैं. इस दिन संध्या के समय काली सरसों के तेल का दीपक शनि प्रतिमा के सामने या पीपल के पेड़ के नीचे जलाना लाभकारी होता है.

सुहाग की कुशलता और समृद्धि की कामना के लिए सुहागिने शुक्रवार को वट सावित्री व्रत कर रही हैं. ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया की आज ही के दिन सावित्री कठोर तपस्या के चलते अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस लाई थीं.

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