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लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां, तलाक के लिए रोजाना कोर्ट पहुंच रहे इतने केस

आंकड़ों की बात करें तो लखनऊ के पारिवारिक न्यायालय में एक महीने में 1500 से दो हजार केस तलाक के लिए दर्ज होते हैं. इनमें से ज्यादातर केस लव मैरिज और लिव इन रिलेशनशिप के बाद हुए लव मैरिज के होते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 12, 2023, 8:27 PM IST

लखनऊ : बदलते समय के परिपेक्ष्य में जमाना आगे बढ़ रहा हैं, यही कारण है कि बड़े शहरों के रीति-रिवाज को भी लोग अपनाते जा रहे हैं. पहले अरेंज मैरिज फिर लव मैरिज और अब लिव इन रिलेशनशिप का चलन है. युवा वर्ग के लोग शादी करने से पहले एक दूसरे को समझने के लिए एक दूसरे के साथ अधिक से अधिक समय बिताने के लिए लिव इन रिलेशनशिप में रहना शुरू करते हैं. हालांकि लिव इन रिलेशनशिप भारत में सफल नहीं है.

लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां.
लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां.

हाल ही में लखनऊ में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे लड़के ने अपनी साथी का ही कत्ल कर दिया. लखनऊ के हजरतगंज स्थित पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार के मुताबिक इस समय तलाक का कारण बहुत ही मामूली होता है. जब अरेंज मैरिज में अब तलाक की स्थिति बन जा रही है तो सोच लव मैरिज और लिव इन रिलेशनशिप का क्या हाल होगा. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार के मुताबिक पारिवारिक न्यायालय में पति-पत्नी की नोंकझोंक के चलते तलाक के केस सामने आते हैं. समाज में अब पहले जैसा माहौल नहीं है. लोग छोटी सी बात का बतंगड़ बना देते हैं. शादी कोई भी हो, लेकिन अगर निभाने की इच्छा प्रबल हो तो कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन जब शादी का बंधन ही निभाने की इच्छा न हो तो वह रिश्ता चलता ही नहीं है. पारिवारिक न्यायालय में रोजाना लगभग 50 से अधिक केस तलाक के दर्ज होते हैं.

लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां.
लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां.

इनमें बहुत सारे ऐसे युवा कपल हैं जो पहले लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं फिर शादी करते हैं. इसके बावजूद यह रिश्ते अधिक समय तक नहीं चल पाए. क्योंकि इन रिश्तों में दोनों ही परिवार शामिल नहीं होते हैं और जिस रिश्ते में परिवार शामिल न हो वहां पर रिश्ते गहराई से नहीं जुड़ते हैं. अरेंज मैरिज में परिवार का दबाव बना रहता है. अरेंज मैरिज में बहुत ही कम केस तलाक के लिए आते हैं. वह भी ऐसे केस होते हैं जब पति अत्याचार कर रहा हो या फिर दोनों में से किसी का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हो. राजस्थानी लखनऊ में हाल ही में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे पार्टनर ने अपनी साथी की हत्या कर दी थी.

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लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां.
लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां.

हाल ही में लखनऊ में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे लड़के ने अपनी साथी का ही कत्ल कर दिया. लखनऊ के हजरतगंज स्थित पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार के मुताबिक इस समय तलाक का कारण बहुत ही मामूली होता है. जब अरेंज मैरिज में अब तलाक की स्थिति बन जा रही है तो सोच लव मैरिज और लिव इन रिलेशनशिप का क्या हाल होगा. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार के मुताबिक पारिवारिक न्यायालय में पति-पत्नी की नोंकझोंक के चलते तलाक के केस सामने आते हैं. समाज में अब पहले जैसा माहौल नहीं है. लोग छोटी सी बात का बतंगड़ बना देते हैं. शादी कोई भी हो, लेकिन अगर निभाने की इच्छा प्रबल हो तो कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन जब शादी का बंधन ही निभाने की इच्छा न हो तो वह रिश्ता चलता ही नहीं है. पारिवारिक न्यायालय में रोजाना लगभग 50 से अधिक केस तलाक के दर्ज होते हैं.

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लिव इन रिलेशनशिप के बावजूद सफल नहीं हो रहीं शादियां.

इनमें बहुत सारे ऐसे युवा कपल हैं जो पहले लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं फिर शादी करते हैं. इसके बावजूद यह रिश्ते अधिक समय तक नहीं चल पाए. क्योंकि इन रिश्तों में दोनों ही परिवार शामिल नहीं होते हैं और जिस रिश्ते में परिवार शामिल न हो वहां पर रिश्ते गहराई से नहीं जुड़ते हैं. अरेंज मैरिज में परिवार का दबाव बना रहता है. अरेंज मैरिज में बहुत ही कम केस तलाक के लिए आते हैं. वह भी ऐसे केस होते हैं जब पति अत्याचार कर रहा हो या फिर दोनों में से किसी का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर हो. राजस्थानी लखनऊ में हाल ही में लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे पार्टनर ने अपनी साथी की हत्या कर दी थी.

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