हैदराबादः यूपी के सियासी मंगल उत्सव यानी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में इस बार कई बड़े राजनीतिक चेहरे नजर नहीं आ रहे हैं. 2017 के चुनाव में इन राजनीतिक दिग्गजों ने यूपी के सियासी संग्राम को जोरशोर से लड़ा था. इस बार कई चेहरे यूपी विधानसभा चुनाव से दूर हैं. आखिर इस बार यूपी से दूरी में इनकी क्या मजबूरी है...चलिए जानते हैं.
सोनिया गांधी का एक भी दौरा नहीं
कभी यूपी की सियासत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रमुख चेहरा मानी जातीं थीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने जोरदार तरीके से यूपी में प्रचार किया था. इस बार उन्होंने अभी तक एक भी रैली नहीं की है. कांग्रेस की ओर से पूरा मोर्चा पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी संभाले हुए हैं. सोनिया गांधी की यूपी से दूरी कई सवाल छोड़ रही है.
राहुल गांधी भी दूर-दूर
2017 के चुनाव में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 45 जनसभाएं की थी. उस वक्त तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने 65 और वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने 45 जनसभाएं कीं थीं. इस बार ये तीनों ही नेता यूपी से दूर हैं. पिछली बार राहुल गांधी ने कई रोड शो भी किए थे. इस बार राहुल गांधी की दूर भी कई सवाल छोड़ रही है. कहा जा रहा है कि इसके पीछे कांग्रेस एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम कर ही है. कांग्रेस ने इस बार चुनाव का पूरा दारोमदार प्रियंका गांधी के कंधे पर रख दिया है. पार्टी नहीं चाहती है कि उनके अलावा किसी और को इसमें जोड़ा जाए. शायद यही वजह है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस बार यूपी के चुनाव प्रचार से दूर हैं. दूसरा कांग्रेस यह भी नहीं चाहती कि परिवारवाद या वंशवाद का मुद्दा उठे. इस वजह से भी सोनिया और राहुल प्रचार से दूर हैं.
सक्रिय नहीं हुईं डिंपल यादव
हर बार चुनाव में अपने पति अखिलेश यादव के साथ जोरदार प्रचार करने वाली डिंपल यादव इस बार चुनाव प्रचार से दूर हैं. इसके पीछे बताया जा रहा है कि बीते दिनों उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया था, शायद इस वजह से वह प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं. इसके पीछे एक और तर्क दिया जा रहा है कि इस बार सपा अपना पूरा चुनाव अखिलेश यादव के इर्दगिर्द रखना चाहती है इस वजह से डिंपल यादव को आगे नहीं किया गया.
अभी तक नहीं आए मुलायम
अपनी खास व्यंगत्माक शैली और चुटीले अंदाज से प्रचार करने वाले मुलायम सिंह यादव भी इस बार प्रचार से दूर हैं. अभी तक मुलायम यूपी के चुनाव प्रचार में सक्रिय नजर नहीं आए. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि बढ़ती उम्र की वजह से मुलायम राजनीति से दूर हो रहे हैं. कोविड संक्रमण की वजह से भी उनको प्रचार से दूर बताया जा रहा है. अगर इसका भी गहराई से आकलन करेंगे तो पाएंगे कि मुलायम कुनबे का कोई भी सदस्य अखिलेश यादव के साथ इस बार प्रचार नहीं कर रहा है. सभी चाहते हैं कि इस बार सपा के वन मैन शो अखिलेश यादव बने रहे ताकि परिवारवाद या वशंवाद के आरोप न लग सकें.
प्रो. रामगोपाल यादव भी चुपचाप
सपा के खास रणनीतिकार प्रो. रामगोपाल यादव भी इस बार चुप हैं. न तो उनकी कोई चुनावी रणनीति अभी तक सामने आई है और न ही वह प्रचार में दिखे हैं. उन्होंने भी इस बार प्रचार से दूरी बनाए रखी है.
मायावती ने भी तेजी नहीं दिखाई
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस बार रैलियों से दूरी बनाए रखी. वह वर्चुअली ही जनता के सामने आती रहीं. उनकी उदासीनता को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं. बीएसपी का कैडर वोट समझ नहीं पा रहा है कि आखिर इसकी वजह क्या है और आगे उसे क्या करना चाहिए. बीते चुनाव में मायावती ने करीब 52 रैलियों को संबोधित किया था.
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विनय कटियार भी गायब
बीजेपी के फायर ब्रांड नेता भी इस बार यूपी के चुनावी समर से दूर हैं. अगर बात विनय कटिय़ार की कि जाए तो उन्होंने भी भाजपा के किसी प्रचार में अभी तक भाग नहीं लिया है. हालांकि पिछली बार भी इतना सक्रिय नजर नहीं आए थे. कभी वह भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल रहते थे.
उमा भारती भी आगे नहीं आईं
भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती भी इस बार यूपी के चुनाव से दूर हैं. बुंदेलखंड क्षेत्र में अच्छा-खास दबदबा रखने वाली उमा भारती की ये उदासीनता भी जनता को रास नहीं आई है. अपनी चिरपरचित शैली से विरोधियों के हौसले पस्त करने वाली भाजपा की यह नेत्री आखिर यूपी के महासंग्राम से क्यों दूर है, इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल सका है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कम आए
वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगभग 80 रैलियों में भाग लिया था. वहीं केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इसी के बराबर चुनावी रैलियां थी. इस बार राजनाथ सिंह की सक्रियता यूपी के महासमर में कम नजर आई है.
2017 के चुनाव में ये थे बीजेपी के स्टार प्रचारक
नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, अरुण जेटली, वैंकया नायडू, रामलाल, स्मृति ईरानी, ओम माथुर, केशव प्रसाद मौर्य, कलराज मिश्र, उमा भारती, शिवराज चौहान, वसुंधरा राजे सिंधिया, पीयूष गोयल, महेश शर्मा, योगी आदित्यनाथ, संजीव बलियान, राम विलास पासवान, मुख्तार अब्बास नकवी, हेमा मालिनी, वीके सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति समेत कई दिगग्जों ने भाजपा के लिए जोरदार प्रचार किया था. इस बार इनमें से कई चेहरे प्रचार से दूर हैं. बीजेपी का मानना है कि पीएम मोदी, अमित शाह और सीएम योगी के प्रचार से पार्टी को जितना फायदा होगा उतना और किसी के प्रचार से नहीं. शायद इस वजह से इस बार पूरा चुनाव इन्ही पर फोकस रखा गया है.
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