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लंबे समय से वेटिंग में हैं कई IAS अधिकारी, कुछ पर हैं भ्रष्टाचार के आरोप तो कई हैं 'बेदाग'

प्रदेश में प्रतीक्षारत नौकरशाहों की तैनाती को लेकर ईटीवी भारत ने प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से खास बातचीत की. बातचीत में उन्होंने बताया कि प्रशासनिक कामकाज के लिहाज से अफसरों को वेटिंग में नहीं रखा जाना चाहिए. उन्हें कोई न कोई पोस्टिंग देकर काम लेते रहना चाहिए.

उत्तर प्रदेश
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Published : Jun 2, 2020, 10:29 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नौकरशाहों की तैनाती को लेकर असमंजस में नजर आ रही है. प्रतीक्षारत नौकरशाहों की तैनाती में कोई मानक लागू होता नजर नहीं आ रहा है. एक तरफ प्रदेश में कई अफसरों को 4 से 5 महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा सौंपा गया है, वहीं कई ऐसे अफसर हैं जो लंबे समय से वेटिंग में हैं. पोस्टिंग की प्रतीक्षा में कई अफसर ऐसे हैं जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन कुछ ऐसे अफसर भी हैं जो बेदाग होकर भी लंबे समय से वेटिंग में हैं. अफसरों की पोस्टिंग न हो पाने को लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से खास बातचीत की.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से खास बातचीत.
जांच के चलते वेटिंग में हैं ये अफसर

प्रदेश में पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय कई जिलों में हुए अवैध खनन के चलते भ्रष्टाचार के आरोप कुछ अफसरों पर लगे थे. इनमें मुख्य रूप से अजय कुमार सिंह, अभय सिंह, देवी शरण उपाध्याय, विवेक कुमार, पवन कुमार, संतोष कुमार राय शामिल थे. इन लोगों को आरोपों के चलते राज्य सरकार ने जुलाई 2019 को प्रतीक्षारत कर दिया था. सीबीआई ने इन अफसरों पर लगे आरोपों की जांच की शुरुआत भी की थी, लेकिन कुछ समय बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई. राज्य सरकार भी इन्हें कोई पोस्टिंग नहीं दे रही है. उत्तर प्रदेश के नियुक्ति विभाग के अफसर इनके खिलाफ जांच होने की बात कह रहे हैं. इसके अलावा खनन घोटाले के आरोपों से घिरी आईएएस बी चंद्रकला 2 साल से अधिक समय से स्टडी लीव पर हैं. सरकार अब उन्हें कोई पोस्टिंग नहीं दे रही है.


इन अफसरों की न कोई जांच न कोई आरोप, फिर भी वेटिंग में
वहीं 2 आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके खिलाफ किसी प्रकार की न कोई जांच चल रही है और न ही कोई जांच लंबित है. इन अफसरों पर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार के कोई आरोप भी नहीं हैं. बावजूद इसके आईएएस शीतल वर्मा और प्रशांत शर्मा को भी लंबे समय से प्रतीक्षारत किया गया है. प्रशांत शर्मा युवा आईएएस अफसर हैं. कोरोना के संकट काल में उन्होंने वायरस के प्रति जागरूकता को लेकर कई काम किए हैं. लोगों को कोरोना वायरस की सही और सटीक जानकारी और उससे बचाव की जानकारी देने को लेकर उन्होंने हिंदी में एक वेबसाइट भी बनाई थी. बावजूद इसके राज्य सरकार ने अभी ऐसे अफसरों को प्रतीक्षारत ही रखा है.

यह अफसर इस समय से है वेटिंग में-

  • अजय कुमार सिंह अक्टूबर 2019 से
  • अभय सिंह जुलाई 2019 से
  • देवी शरण उपाध्याय जुलाई 2019 से
  • विवेक जुलाई 2019 से
  • पवन कुमार जुलाई 2019 से
  • संतोष कुमार राय जुलाई 2019 से
  • बी चंद्रकला स्टडी लीव पर जुलाई 2018 से
  • शीतल वर्मा फरवरी 2019 से
  • प्रशांत शर्मा नवंबर 2019 से

क्या बोले पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन

प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो किसी भी अफसर को लंबे समय तक वेटिंग में नहीं रखा जा सकता है. हर अधिकारी का उपयोग किया जाना चाहिए. जिन अफसरों को बिना जांच और आरोप के काफी समय से पोस्टिंग नहीं दी गई है ऐसे अफसरों को तत्काल पोस्टिंग दी जानी चाहिए. इस संकट के समय जब कोरोना महामारी फैली हुई है, अफसरों की सख्त जरूरत है. ऐसे अफसरों को तैनाती देकर इनका उपयोग किया जाना चाहिए और प्रशासनिक काम कराने चाहिए.


ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि इसके अलावा जिन लोगों पर भ्रष्टाचार से संबंधित जांच चल रही है, उनकी जांच अगर पूरी हो गई है तो उन्हें दंड दिया जाना चाहिए. अगर सिर्फ जांच चल रही है तो भी उन्हें प्रशासनिक काम में लगाया जाना चाहिए. उनकी जांच जल्दी करा कर उसके परिणाम के आधार पर काम किया जाना चाहिए, लेकिन सिर्फ वेटिंग में रखा जाना प्रशासनिक दृष्टिकोण से ठीक नहीं माना जाता है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार नौकरशाहों की तैनाती को लेकर असमंजस में नजर आ रही है. प्रतीक्षारत नौकरशाहों की तैनाती में कोई मानक लागू होता नजर नहीं आ रहा है. एक तरफ प्रदेश में कई अफसरों को 4 से 5 महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा सौंपा गया है, वहीं कई ऐसे अफसर हैं जो लंबे समय से वेटिंग में हैं. पोस्टिंग की प्रतीक्षा में कई अफसर ऐसे हैं जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन कुछ ऐसे अफसर भी हैं जो बेदाग होकर भी लंबे समय से वेटिंग में हैं. अफसरों की पोस्टिंग न हो पाने को लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से खास बातचीत की.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से खास बातचीत.
जांच के चलते वेटिंग में हैं ये अफसर

प्रदेश में पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय कई जिलों में हुए अवैध खनन के चलते भ्रष्टाचार के आरोप कुछ अफसरों पर लगे थे. इनमें मुख्य रूप से अजय कुमार सिंह, अभय सिंह, देवी शरण उपाध्याय, विवेक कुमार, पवन कुमार, संतोष कुमार राय शामिल थे. इन लोगों को आरोपों के चलते राज्य सरकार ने जुलाई 2019 को प्रतीक्षारत कर दिया था. सीबीआई ने इन अफसरों पर लगे आरोपों की जांच की शुरुआत भी की थी, लेकिन कुछ समय बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई. राज्य सरकार भी इन्हें कोई पोस्टिंग नहीं दे रही है. उत्तर प्रदेश के नियुक्ति विभाग के अफसर इनके खिलाफ जांच होने की बात कह रहे हैं. इसके अलावा खनन घोटाले के आरोपों से घिरी आईएएस बी चंद्रकला 2 साल से अधिक समय से स्टडी लीव पर हैं. सरकार अब उन्हें कोई पोस्टिंग नहीं दे रही है.


इन अफसरों की न कोई जांच न कोई आरोप, फिर भी वेटिंग में
वहीं 2 आईएएस अफसर ऐसे हैं जिनके खिलाफ किसी प्रकार की न कोई जांच चल रही है और न ही कोई जांच लंबित है. इन अफसरों पर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार के कोई आरोप भी नहीं हैं. बावजूद इसके आईएएस शीतल वर्मा और प्रशांत शर्मा को भी लंबे समय से प्रतीक्षारत किया गया है. प्रशांत शर्मा युवा आईएएस अफसर हैं. कोरोना के संकट काल में उन्होंने वायरस के प्रति जागरूकता को लेकर कई काम किए हैं. लोगों को कोरोना वायरस की सही और सटीक जानकारी और उससे बचाव की जानकारी देने को लेकर उन्होंने हिंदी में एक वेबसाइट भी बनाई थी. बावजूद इसके राज्य सरकार ने अभी ऐसे अफसरों को प्रतीक्षारत ही रखा है.

यह अफसर इस समय से है वेटिंग में-

  • अजय कुमार सिंह अक्टूबर 2019 से
  • अभय सिंह जुलाई 2019 से
  • देवी शरण उपाध्याय जुलाई 2019 से
  • विवेक जुलाई 2019 से
  • पवन कुमार जुलाई 2019 से
  • संतोष कुमार राय जुलाई 2019 से
  • बी चंद्रकला स्टडी लीव पर जुलाई 2018 से
  • शीतल वर्मा फरवरी 2019 से
  • प्रशांत शर्मा नवंबर 2019 से

क्या बोले पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन

प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो किसी भी अफसर को लंबे समय तक वेटिंग में नहीं रखा जा सकता है. हर अधिकारी का उपयोग किया जाना चाहिए. जिन अफसरों को बिना जांच और आरोप के काफी समय से पोस्टिंग नहीं दी गई है ऐसे अफसरों को तत्काल पोस्टिंग दी जानी चाहिए. इस संकट के समय जब कोरोना महामारी फैली हुई है, अफसरों की सख्त जरूरत है. ऐसे अफसरों को तैनाती देकर इनका उपयोग किया जाना चाहिए और प्रशासनिक काम कराने चाहिए.


ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि इसके अलावा जिन लोगों पर भ्रष्टाचार से संबंधित जांच चल रही है, उनकी जांच अगर पूरी हो गई है तो उन्हें दंड दिया जाना चाहिए. अगर सिर्फ जांच चल रही है तो भी उन्हें प्रशासनिक काम में लगाया जाना चाहिए. उनकी जांच जल्दी करा कर उसके परिणाम के आधार पर काम किया जाना चाहिए, लेकिन सिर्फ वेटिंग में रखा जाना प्रशासनिक दृष्टिकोण से ठीक नहीं माना जाता है.

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