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जीत हो या हार, कांग्रेस में ये ऐसे परिवार जिनका जलवा बरकरार...पढ़िए पूरी खबर

कांग्रेस से जुड़े कई परिवार ऐसे हैं जिन पर बरसों से पार्टी भरोसा करती चली आ रही है. किसी का भी टिकट कटे इनका टिकट कभी नहीं कट सकता. इस वजह से इनका जलवा अभी भी बरकरार है. चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ परिवारों के बारे में.

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जीत हो या हार, कांग्रेस में ये ऐसे परिवार जिनका जलवा बरकरार
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Published : Feb 2, 2022, 4:24 PM IST

लखनऊ : चुनाव में जीत होने पर तो किसी नेता को पार्टी आगे भी चुनाव लड़ने का मौका देती है, हार जाने पर पत्ता कट ही जाता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में कुछ ऐसे खानदान हैं, जिन पर जीत या हार का कोई फर्क नहीं पड़ता. पार्टी में उनका कद ऊपर ही रहता है. किसी को टिकट मिले या नहीं मिले, उनका टिकट कट नहीं सकता है. फिर चाहे चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का. लोकसभा हारे तो विधानसभा का टिकट मिलेगा और विधानसभा हारे तो लोकसभा में भी प्रत्याशी बनना तय है. इन्हीं खानदान में से एक खानदान पीएल पुनिया का है. कांग्रेस पार्टी लोकसभा में भी पुनिया के बेटे तनुज को टिकट देती है, हारते हैं तो विधानसभा में टिकट मिलता है. यह क्रम पिछले कई चुनावों से जारी है. इसी तरह कई बार चुनाव में पटखनी खाने के बावजूद कई परिवारों का अभी भी कांग्रेस में जलवा बरकरार है.





पीएल पुनिया और तनुज पुनिया
कांग्रेस पार्टी में पिता पीएल पुनिया और बेटे तनुज पुनिया का भरपूर जलवा बरकरार है. पुनिया 2009 में कांग्रेस पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़े और बाराबंकी से सांसद बने. 2014 में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए भेजा. वर्तमान में छत्तीसगढ़ के प्रभारी हैं. कांग्रेस में उन्होंने राजनीति का भरपूर लुत्फ उठाया. इसके बाद अपने बेटे तनुज पुनिया को साल 2017 से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय कर दिया. तनुज पुनिया की एंट्री बाराबंकी की जैदपुर विधानसभा सीट से हुई. पहले ही चुनाव में तनुज पुनिया को शिकस्त खानी पड़ गई. उनकी बुरी तरह से हार हुई. पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर तनुज पुनिया इसके बाद साल 2019 में कांग्रेस पार्टी से ही लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए. इसके बाद जब भाजपा विधायक उपेंद्र रावत सांसद बन गए तो इस सीट पर उपचुनाव में भी पार्टी ने तनुज पुनिया को ही प्रत्याशी बनाया. इस बार भी तनुज पुनिया के हाथ जीत नहीं लगी. अब 2022 में पीएल पुनिया का लगातार चौथा चुनाव है और वह पार्टी से फिर से टिकट पाकर मैदान में हैं.

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रामपुर का नवाब खानदान, कांग्रेस की शान
कांग्रेस में खानदान की बात की जाए तो रामपुर का नवाब घराना कांग्रेस की शान रहा है. कांग्रेस की तरफ से बेगम नूर बानो सांसद हुआ करती थीं. इसके बाद उनके बेटे कासिम आज़मी की राजनीति शुरू हुई और अब पिता के साथ बेटे की भी कांग्रेस पार्टी से ही पॉलिटिक्स का आगाज हो गया है. कासिम आजमी 2017 में रामपुर के शहर विधानसभा सीट से अब्दुल्लाह आजम के सामने बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े थे लेकिन वे हार गए इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें हाथों-हाथ लिया. उन्हें 2022 विधानसभा चुनाव में रामपुर से टिकट देकर मैदान में उतारा है. इतना ही नहीं पार्टी ने पिता के साथ ही बेटे को भी टिकट दिया है. बेटे हैदर अली को कांग्रेस पार्टी ने स्वार विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया. पिता और बेटे दोनों को कांग्रेस से टिकट तो मिला लेकिन बेटे को कांग्रेस की टिकट रास नहीं आई और हैदर अली ने कांग्रेस का टिकट ठुकराकर भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल अपना दल (एस) ज्वाइन कर ली. इसके बाद अपना दल ने स्वार सीट से ही उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया.

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बृजलाल खाबरी और उर्मिला खाबरी
कांग्रेस पार्टी ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पिता-पुत्र के साथ ही पति-पत्नी को भी टिकट से नवाजा है. यह पति-पत्नी हैं बृजलाल खाबरी और उर्मिला खाबरी. बृजलाल खाबरी कांग्रेस पार्टी से सांसद भी रहे हैं और उर्मिला खाबरी वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं. कांग्रेस पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए ललितपुर विधानसभा क्षेत्र में खाबरी पर दांव लगाया है. महरौनी विधानसभा से बृजलाल खाबरी मैदान में उतरेंगे तो उनकी पत्नी उर्मिला खाबरी को जालौन जिले की उरई विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.

प्रदीप माथुर जीतते रहे, टिकट पाते रहे
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदीप माथुर एक ऐसा नाम है जो कांग्रेस पार्टी के साथ पूरी वफादारी से जुड़ा है. प्रदीप माथुर मथुरा से चार बार विधायक रह चुके हैं और 2022 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने फिर से प्रदीप माथुर को मथुरा से इस उम्मीद के साथ उम्मीदवार बनाया है कि वह पांचवीं बार विधायक बनेंगे और पार्टी का परचम फ़हराएंगे. प्रदीप माथुर 1985 से 1989, 2002 से 2007, 2007 से 2012 और 2012 से 2017 तक विधायक रहे. हालांकि 2017 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा ने प्रदीप माथुर को हरा दिया था, लेकिन पार्टी को उन पर विश्वास है इसलिए 2022 में फिर उन्हीं को टिकट दिया है. प्रदीप माथुर विधानसभा में नेता विधानमंडल दल भी रहे हैं.



प्रमोद तिवारी, आराधना मिश्रा
उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के लिए रामपुर खास इतनी खास सीट है कि जिसका अपना स्वर्णिम इतिहास है. पार्टी के निष्ठावान वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने इस सीट को कांग्रेस के लिए हमेशा जीती हुई सीट बनाकर रखा. पार्टी ने लगातार नौ बार उन्हें टिकट दिया और हर बार उन्होंने कांग्रेस पार्टी का झंडा इस सीट पर बुलंद रखा. इसके बाद जब वे राज्यसभा सांसद बन गए तो उनकी बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' इस सीट पर कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार घोषित हुईं. पिता की तरह ही बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' भी यहां पर कांग्रेस पार्टी की जीत की इबारत लिख रही हैं. 2022 में फिर से रामपुर खास सीट से विधायक आराधना मिश्रा कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी हैं. वर्तमान में वे विधानसभा में कांग्रेस की नेता विधानमंडल दल भी हैं.

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लखनऊ : चुनाव में जीत होने पर तो किसी नेता को पार्टी आगे भी चुनाव लड़ने का मौका देती है, हार जाने पर पत्ता कट ही जाता है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में कुछ ऐसे खानदान हैं, जिन पर जीत या हार का कोई फर्क नहीं पड़ता. पार्टी में उनका कद ऊपर ही रहता है. किसी को टिकट मिले या नहीं मिले, उनका टिकट कट नहीं सकता है. फिर चाहे चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का. लोकसभा हारे तो विधानसभा का टिकट मिलेगा और विधानसभा हारे तो लोकसभा में भी प्रत्याशी बनना तय है. इन्हीं खानदान में से एक खानदान पीएल पुनिया का है. कांग्रेस पार्टी लोकसभा में भी पुनिया के बेटे तनुज को टिकट देती है, हारते हैं तो विधानसभा में टिकट मिलता है. यह क्रम पिछले कई चुनावों से जारी है. इसी तरह कई बार चुनाव में पटखनी खाने के बावजूद कई परिवारों का अभी भी कांग्रेस में जलवा बरकरार है.





पीएल पुनिया और तनुज पुनिया
कांग्रेस पार्टी में पिता पीएल पुनिया और बेटे तनुज पुनिया का भरपूर जलवा बरकरार है. पुनिया 2009 में कांग्रेस पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़े और बाराबंकी से सांसद बने. 2014 में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए भेजा. वर्तमान में छत्तीसगढ़ के प्रभारी हैं. कांग्रेस में उन्होंने राजनीति का भरपूर लुत्फ उठाया. इसके बाद अपने बेटे तनुज पुनिया को साल 2017 से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय कर दिया. तनुज पुनिया की एंट्री बाराबंकी की जैदपुर विधानसभा सीट से हुई. पहले ही चुनाव में तनुज पुनिया को शिकस्त खानी पड़ गई. उनकी बुरी तरह से हार हुई. पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर तनुज पुनिया इसके बाद साल 2019 में कांग्रेस पार्टी से ही लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए. इसके बाद जब भाजपा विधायक उपेंद्र रावत सांसद बन गए तो इस सीट पर उपचुनाव में भी पार्टी ने तनुज पुनिया को ही प्रत्याशी बनाया. इस बार भी तनुज पुनिया के हाथ जीत नहीं लगी. अब 2022 में पीएल पुनिया का लगातार चौथा चुनाव है और वह पार्टी से फिर से टिकट पाकर मैदान में हैं.

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रामपुर का नवाब खानदान, कांग्रेस की शान
कांग्रेस में खानदान की बात की जाए तो रामपुर का नवाब घराना कांग्रेस की शान रहा है. कांग्रेस की तरफ से बेगम नूर बानो सांसद हुआ करती थीं. इसके बाद उनके बेटे कासिम आज़मी की राजनीति शुरू हुई और अब पिता के साथ बेटे की भी कांग्रेस पार्टी से ही पॉलिटिक्स का आगाज हो गया है. कासिम आजमी 2017 में रामपुर के शहर विधानसभा सीट से अब्दुल्लाह आजम के सामने बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़े थे लेकिन वे हार गए इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उन्हें हाथों-हाथ लिया. उन्हें 2022 विधानसभा चुनाव में रामपुर से टिकट देकर मैदान में उतारा है. इतना ही नहीं पार्टी ने पिता के साथ ही बेटे को भी टिकट दिया है. बेटे हैदर अली को कांग्रेस पार्टी ने स्वार विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया. पिता और बेटे दोनों को कांग्रेस से टिकट तो मिला लेकिन बेटे को कांग्रेस की टिकट रास नहीं आई और हैदर अली ने कांग्रेस का टिकट ठुकराकर भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल अपना दल (एस) ज्वाइन कर ली. इसके बाद अपना दल ने स्वार सीट से ही उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया.

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बृजलाल खाबरी और उर्मिला खाबरी
कांग्रेस पार्टी ने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पिता-पुत्र के साथ ही पति-पत्नी को भी टिकट से नवाजा है. यह पति-पत्नी हैं बृजलाल खाबरी और उर्मिला खाबरी. बृजलाल खाबरी कांग्रेस पार्टी से सांसद भी रहे हैं और उर्मिला खाबरी वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य हैं. कांग्रेस पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए ललितपुर विधानसभा क्षेत्र में खाबरी पर दांव लगाया है. महरौनी विधानसभा से बृजलाल खाबरी मैदान में उतरेंगे तो उनकी पत्नी उर्मिला खाबरी को जालौन जिले की उरई विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.

प्रदीप माथुर जीतते रहे, टिकट पाते रहे
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदीप माथुर एक ऐसा नाम है जो कांग्रेस पार्टी के साथ पूरी वफादारी से जुड़ा है. प्रदीप माथुर मथुरा से चार बार विधायक रह चुके हैं और 2022 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने फिर से प्रदीप माथुर को मथुरा से इस उम्मीद के साथ उम्मीदवार बनाया है कि वह पांचवीं बार विधायक बनेंगे और पार्टी का परचम फ़हराएंगे. प्रदीप माथुर 1985 से 1989, 2002 से 2007, 2007 से 2012 और 2012 से 2017 तक विधायक रहे. हालांकि 2017 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा ने प्रदीप माथुर को हरा दिया था, लेकिन पार्टी को उन पर विश्वास है इसलिए 2022 में फिर उन्हीं को टिकट दिया है. प्रदीप माथुर विधानसभा में नेता विधानमंडल दल भी रहे हैं.



प्रमोद तिवारी, आराधना मिश्रा
उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के लिए रामपुर खास इतनी खास सीट है कि जिसका अपना स्वर्णिम इतिहास है. पार्टी के निष्ठावान वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने इस सीट को कांग्रेस के लिए हमेशा जीती हुई सीट बनाकर रखा. पार्टी ने लगातार नौ बार उन्हें टिकट दिया और हर बार उन्होंने कांग्रेस पार्टी का झंडा इस सीट पर बुलंद रखा. इसके बाद जब वे राज्यसभा सांसद बन गए तो उनकी बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' इस सीट पर कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार घोषित हुईं. पिता की तरह ही बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' भी यहां पर कांग्रेस पार्टी की जीत की इबारत लिख रही हैं. 2022 में फिर से रामपुर खास सीट से विधायक आराधना मिश्रा कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी हैं. वर्तमान में वे विधानसभा में कांग्रेस की नेता विधानमंडल दल भी हैं.

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