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मुख्यमंत्री जी, यूपी में चल रहे कई फर्जी शिक्षा बोर्ड

उत्तर प्रदेश में कई फर्जी शिक्षा बोर्ड चल रहे हैं. इनके संचालकों की पुलिस गिरफ्तारी भी कर चुकी है, इसके बावजूद इन बोर्ड का संचालन धड़ल्ले से जारी है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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Published : Apr 15, 2022, 6:40 PM IST

Updated : Apr 15, 2022, 7:37 PM IST

मुख्यमंत्री जी,  यूपी में तो ओपन स्कूलिंग के नाम पर चल रहे हैं कई फर्जी शिक्षा बोर्ड
मुख्यमंत्री जी, यूपी में तो ओपन स्कूलिंग के नाम पर चल रहे हैं कई फर्जी शिक्षा बोर्ड

लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में हैं. उन्होंने बिना मान्यता के चल रहे कॉलेजों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है. मुख्यमंत्री का कहना है कि ये छात्रों के भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में ऐसे कुछ बोर्ड सामने आए हैं जो बच्चों को फर्जी अंक तालिका दे रहे हैं. 15 से 20 हजार रुपए लेकर ये गांव-देहात के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. फर्जी बोर्ड का मामला माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से लगातार उठाया जा रहा है. चलिए जानते हैं संघ की ओर से किन फर्जी बोर्ड के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है.

उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद, प्रयागराज
इस बोर्ड का संचालन करीब 2017 से किया जा रहा है. पहले यह लखनऊ के मानस विहार इलाके से संचालित होता था. 2018 में इसके संचालक आरके गौड़ की एसटीएफ टीम ने गिरफ्तारी भी की लेकिन कुछ महीनों के बाद वह छूट गया. इस समय वह प्रयागराज के शांतिपुरम फाफामऊ इलाके से यह बोर्ड चल रहा है. यह पूरा रैकेट www.upsosb.ac.in नाम की वेबसाइट के माध्यम से चल रहा है. इसी से मिलती जुलती नाम की कुछ और वेबसाइट भी हैं जो इस बोर्ड के नाम पर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट से लेकर वोकेशनल एजुकेशन की डिग्री बांट रही हैं.

यूपी में चल रहे कई फर्जी बोर्ड.

बोर्ड ऑफ हायर सेकंडरी एजुकेशन, नई दिल्ली
इस बोर्ड की शुरुआत नई दिल्ली से हुई लेकिन उत्तर प्रदेश के शिक्षा माफिया इसे लखनऊ ले आए. लखनऊ के पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश त्रिपाठी और माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने 2012-13 में इस फर्जी बोर्ड के संचालन का खुलासा किया था. खुलासे के बाद से इनका रैकेट सरकार, विभाग और जनता के सामने आया तब से लगातार इसे बंद कराने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन शिक्षा माफियाओं की मदद से बार-बार नई-नई जगहों से इस फर्जी बोर्ड के नाम पर डिग्रियां और मार्कशीट बेची जा रही हैं. इस बोर्ड से जुड़े शिक्षा माफिया अपने धंधे को bhsedelhi.org और इससे मिलती जुलती वेबसाइट के नाम से चला रहे हैं. यह रैकेट पूरे उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है. फिलहाल bhsedelhi.org वेबसाइट पर इसका पता लखनऊ के खदरा में दिखाया गया है.

ग्रामीण मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान
यह फर्जी बोर्ड फिलहाल नई दिल्ली से संचालित हो रहा है लेकिन इसकी मार्कशीट भी पिछले कुछ दिनों से लखनऊ और उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों में देखने को मिल रही है. www.rios.ac.in और इससे मिलते जुलते नाम की वेबसाइट से यह बोर्ड संचालित किया जा रहा है.
राजकीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, लखनऊ
इस बोर्ड का संचालन riosup.org या इससे मिलते जुलते नाम की वेबसाइट से किया जा रहा है. इस नाम से कई वेबसाइट हैं जिन्हें अलग-अलग शिक्षा माफिया ऑपरेट कर रहे हैं. इनके संचालकों को कई बार पुलिस गिरफ्तारी कर चुकी है. फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज भी पकड़े गए लेकिन कुछ समय के बाद दोबारा यह धंधा शुरू हो जाता है.

माध्यमिक शिक्षक संघ ने फिर उठाई यह मांग
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ.आरपी मिश्रा ने यूपी में फर्जी शिक्षा बोर्ड के खिलाफ लंबा संघर्ष किया है. वह बताते हैं कि इन फर्जी शिक्षा बोर्ड के संचालकों की जड़े काफी गहरी हैं जबकि कानून में इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में पकड़े भी गए तो जेल से छूटने के बाद दोबारा इस धंधे में लग जाते हैं. कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां इनकी फर्जी मार्क्सशीट की वजह से सरकारी नौकरी तक छोड़नी पड़ गई है. इनके खिलाफ सरकार को गंभीर धाराओं में कार्रवाई करनी चाहिए.
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लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक्शन में हैं. उन्होंने बिना मान्यता के चल रहे कॉलेजों पर सख्त कार्रवाई की बात कही है. मुख्यमंत्री का कहना है कि ये छात्रों के भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में ऐसे कुछ बोर्ड सामने आए हैं जो बच्चों को फर्जी अंक तालिका दे रहे हैं. 15 से 20 हजार रुपए लेकर ये गांव-देहात के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं. फर्जी बोर्ड का मामला माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से लगातार उठाया जा रहा है. चलिए जानते हैं संघ की ओर से किन फर्जी बोर्ड के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है.

उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद, प्रयागराज
इस बोर्ड का संचालन करीब 2017 से किया जा रहा है. पहले यह लखनऊ के मानस विहार इलाके से संचालित होता था. 2018 में इसके संचालक आरके गौड़ की एसटीएफ टीम ने गिरफ्तारी भी की लेकिन कुछ महीनों के बाद वह छूट गया. इस समय वह प्रयागराज के शांतिपुरम फाफामऊ इलाके से यह बोर्ड चल रहा है. यह पूरा रैकेट www.upsosb.ac.in नाम की वेबसाइट के माध्यम से चल रहा है. इसी से मिलती जुलती नाम की कुछ और वेबसाइट भी हैं जो इस बोर्ड के नाम पर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट से लेकर वोकेशनल एजुकेशन की डिग्री बांट रही हैं.

यूपी में चल रहे कई फर्जी बोर्ड.

बोर्ड ऑफ हायर सेकंडरी एजुकेशन, नई दिल्ली
इस बोर्ड की शुरुआत नई दिल्ली से हुई लेकिन उत्तर प्रदेश के शिक्षा माफिया इसे लखनऊ ले आए. लखनऊ के पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश त्रिपाठी और माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने 2012-13 में इस फर्जी बोर्ड के संचालन का खुलासा किया था. खुलासे के बाद से इनका रैकेट सरकार, विभाग और जनता के सामने आया तब से लगातार इसे बंद कराने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन शिक्षा माफियाओं की मदद से बार-बार नई-नई जगहों से इस फर्जी बोर्ड के नाम पर डिग्रियां और मार्कशीट बेची जा रही हैं. इस बोर्ड से जुड़े शिक्षा माफिया अपने धंधे को bhsedelhi.org और इससे मिलती जुलती वेबसाइट के नाम से चला रहे हैं. यह रैकेट पूरे उत्तर प्रदेश में फैला हुआ है. फिलहाल bhsedelhi.org वेबसाइट पर इसका पता लखनऊ के खदरा में दिखाया गया है.

ग्रामीण मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान
यह फर्जी बोर्ड फिलहाल नई दिल्ली से संचालित हो रहा है लेकिन इसकी मार्कशीट भी पिछले कुछ दिनों से लखनऊ और उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों में देखने को मिल रही है. www.rios.ac.in और इससे मिलते जुलते नाम की वेबसाइट से यह बोर्ड संचालित किया जा रहा है.
राजकीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, लखनऊ
इस बोर्ड का संचालन riosup.org या इससे मिलते जुलते नाम की वेबसाइट से किया जा रहा है. इस नाम से कई वेबसाइट हैं जिन्हें अलग-अलग शिक्षा माफिया ऑपरेट कर रहे हैं. इनके संचालकों को कई बार पुलिस गिरफ्तारी कर चुकी है. फर्जी मार्कशीट और दस्तावेज भी पकड़े गए लेकिन कुछ समय के बाद दोबारा यह धंधा शुरू हो जाता है.

माध्यमिक शिक्षक संघ ने फिर उठाई यह मांग
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ.आरपी मिश्रा ने यूपी में फर्जी शिक्षा बोर्ड के खिलाफ लंबा संघर्ष किया है. वह बताते हैं कि इन फर्जी शिक्षा बोर्ड के संचालकों की जड़े काफी गहरी हैं जबकि कानून में इनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में पकड़े भी गए तो जेल से छूटने के बाद दोबारा इस धंधे में लग जाते हैं. कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां इनकी फर्जी मार्क्सशीट की वजह से सरकारी नौकरी तक छोड़नी पड़ गई है. इनके खिलाफ सरकार को गंभीर धाराओं में कार्रवाई करनी चाहिए.
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Last Updated : Apr 15, 2022, 7:37 PM IST
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