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रिवर फ्रंट घोटाला: जानिए किन लोगों पर है आरोप, बड़े अफसरों के नाम भी चर्चा में

रिवर फ्रंट घोटाला मामले में तत्कालीन सपा सरकार के तमाम अभियंताओं के भी नाम सामने आ रहे हैं. इसके अलावा इस घोटाले में प्रमुख सचिव आलोक रंजन भी जांच एजेंसी के रडार पर हैं.

रिवर फ्रंट घोटाला
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Published : Jul 5, 2021, 8:46 PM IST

लखनऊ: रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई द्वारा 40 ठिकानों पर एक साथ की गई कार्रवाई के बाद, अब परत-दर-परत नाम सामने आ रहे हैं. 1500 करोड़ रुपए की लागत से गोमती नदी पर बने रिवर फ्रंट मामले की जांच की आंच बढ़ती जा रही है. सीबीआई की तरफ से जिन लोगों को रिवर फ्रंट घोटाले में शामिल किया गया है, उनमें मुख्य रूप से सिंचाई विभाग के अभियंताओं और उस वक्त के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल हैं.

इनके ऊपर है जांच की आंच

रूप सिंह यादव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, शिवमंगल यादव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सिद्ध नारायण शर्मा तत्कालीन मुख्य अभियंता, ओम वर्मा तत्कालीन मुख्य अभियंता बरेली, काजिम अली तत्कालीन मुख्य अभियंता, जीवन राम यादव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सुरेंद्र कुमार पाल तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, कमलेश्वर सिंह तत्कालीन अधीक्षण अभियंता के नाम सामने आ रहे हैं. इसके अलावा कांट्रेक्टर पुनीत अग्रवाल और अखिलेश यादव सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त नितिन गुप्ता के नाम शामिल हैं.

बीजेपी विधायक के भाई का भी नाम आ रहा सामने

इस घोटाले में भारतीय जनता पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल के भाई का भी नाम सामने आ रहा है. इसी प्रकार मोहम्मद आसिफ खान मैसर्स तराई कंस्ट्रक्शन से जुड़े हैं, मोहन गुप्ता, अंकेश कुमार सिंह, सत्येंद्र त्यागी, विक्रम अग्रवाल, अखिलेश कुमार सिंह, नितिन गुप्ता के नाम मुख्य रूप से इस घोटाले से जुड़े हुए हैं. समाजवादी पार्टी सरकार में तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई विभाग दीपक सिंघल का नाम भी इस घोटाले से जोड़ा जा रहा है. चूंकि इनकी निगरानी में ही तमाम तरह की टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई थी.

तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन भी रडार पर

इसके अलावा तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन का भी नाम इस घोटाले में शामिल है. हालांकि ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि उन्हें इस घोटाले से कोई मतलब नहीं है और इसकी जिम्मेदारी विभागीय स्तर पर थी. ऐसे में उनका नाम इस घोटाले से अगर कोई जोड़ रहा है तो गलत है. वह किसी भी प्रकार की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

इसी प्रकार तत्कालीन प्रमुख सचिव वित्त विभाग राहुल भटनागर का नाम भी चर्चा में है. कहा जा रहा है कि इन बड़े अफसरों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं किया और इतनी बड़ी अनियमितता की गई. अगर इन अफसरों के स्तर पर बेहतर ढंग से अपने प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन किया गया होता तो इतना बड़ा घोटाला नहीं होता.

शिवपाल सिंह यादव की अध्यक्षता में तैयार किया गया था खाका

आपको बता दें कि रिवर फ्रंट का खाका अखिलेश यादव की सरकार में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अध्यक्षता में तैयार किया गया था. कैबिनेट से बकायदा इसका प्रस्ताव पास किया गया था. उस समय रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को लेकर सिंचाई विभाग ने टेंडर प्रक्रिया अपनाई थी, जिसमें विभाग के तमाम बड़े अभियंताओं और अधिकारियों के भी नाम शामिल हैं.

इसे भी पढ़ें: संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर मौलाना ने खड़े किए सवाल

लखनऊ: रिवरफ्रंट घोटाले में सीबीआई द्वारा 40 ठिकानों पर एक साथ की गई कार्रवाई के बाद, अब परत-दर-परत नाम सामने आ रहे हैं. 1500 करोड़ रुपए की लागत से गोमती नदी पर बने रिवर फ्रंट मामले की जांच की आंच बढ़ती जा रही है. सीबीआई की तरफ से जिन लोगों को रिवर फ्रंट घोटाले में शामिल किया गया है, उनमें मुख्य रूप से सिंचाई विभाग के अभियंताओं और उस वक्त के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल हैं.

इनके ऊपर है जांच की आंच

रूप सिंह यादव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, शिवमंगल यादव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सिद्ध नारायण शर्मा तत्कालीन मुख्य अभियंता, ओम वर्मा तत्कालीन मुख्य अभियंता बरेली, काजिम अली तत्कालीन मुख्य अभियंता, जीवन राम यादव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, सुरेंद्र कुमार पाल तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, कमलेश्वर सिंह तत्कालीन अधीक्षण अभियंता के नाम सामने आ रहे हैं. इसके अलावा कांट्रेक्टर पुनीत अग्रवाल और अखिलेश यादव सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त नितिन गुप्ता के नाम शामिल हैं.

बीजेपी विधायक के भाई का भी नाम आ रहा सामने

इस घोटाले में भारतीय जनता पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल के भाई का भी नाम सामने आ रहा है. इसी प्रकार मोहम्मद आसिफ खान मैसर्स तराई कंस्ट्रक्शन से जुड़े हैं, मोहन गुप्ता, अंकेश कुमार सिंह, सत्येंद्र त्यागी, विक्रम अग्रवाल, अखिलेश कुमार सिंह, नितिन गुप्ता के नाम मुख्य रूप से इस घोटाले से जुड़े हुए हैं. समाजवादी पार्टी सरकार में तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई विभाग दीपक सिंघल का नाम भी इस घोटाले से जोड़ा जा रहा है. चूंकि इनकी निगरानी में ही तमाम तरह की टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई थी.

तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन भी रडार पर

इसके अलावा तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन का भी नाम इस घोटाले में शामिल है. हालांकि ईटीवी भारत से फोन पर हुई बातचीत में पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि उन्हें इस घोटाले से कोई मतलब नहीं है और इसकी जिम्मेदारी विभागीय स्तर पर थी. ऐसे में उनका नाम इस घोटाले से अगर कोई जोड़ रहा है तो गलत है. वह किसी भी प्रकार की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

इसी प्रकार तत्कालीन प्रमुख सचिव वित्त विभाग राहुल भटनागर का नाम भी चर्चा में है. कहा जा रहा है कि इन बड़े अफसरों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं किया और इतनी बड़ी अनियमितता की गई. अगर इन अफसरों के स्तर पर बेहतर ढंग से अपने प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन किया गया होता तो इतना बड़ा घोटाला नहीं होता.

शिवपाल सिंह यादव की अध्यक्षता में तैयार किया गया था खाका

आपको बता दें कि रिवर फ्रंट का खाका अखिलेश यादव की सरकार में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव की अध्यक्षता में तैयार किया गया था. कैबिनेट से बकायदा इसका प्रस्ताव पास किया गया था. उस समय रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को लेकर सिंचाई विभाग ने टेंडर प्रक्रिया अपनाई थी, जिसमें विभाग के तमाम बड़े अभियंताओं और अधिकारियों के भी नाम शामिल हैं.

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