लखनऊ: डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (dr. ram manohar lohia institute of medical sciences) से नौ कर्मचारियों को मंगलवार को कार्यमुक्त किए जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है. कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें लोहिया संस्थान (lohia institute) में प्रतिनियुक्ति प्रदान की गई थी. इन कर्मचारियों को मूल संवर्ग में वापस किए जाने के विरोध में लोहिया कर्मचारी 'अस्तित्व बचाओ मोर्चा' ने आदेश निरस्त करने की मांग की है और निरस्त न होने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है.
विलय से बिगड़े हालात
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को सुपर स्पेशलिटी संस्थान के रूप में 2017 में मान्यता मिली थी. 2017 में ही यहां एमबीबीएस के कोर्स प्रारंभ किए गए. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानक को पूरा करने के लिए 2019 में इसके बगल में ही बने डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय को संस्थान से संबद्ध कर दिया गया. अस्पताल सुचारू रूप से चलता रहे, इसके लिए यहां तैनात कर्मचारियों और चिकित्सकों को लोहिया संस्थान में प्रतिनियुक्ति प्रदान कर दी गई. अब जबकि इन्हें इनके मूल विभागों में वापस भेजा जा रहा है तो कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है.
इन कर्मचारियों को किया गया था कार्य मुक्त
संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजन भटनागर ने रामगोपाल त्रिपाठी फार्मासिस्ट को लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय, सरिता कुमारी को ईसीजी टेक्निशियन व कुमारी सपना वर्मा को बलरामपुर चिकित्सालय, सुधा सिंह को लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय, शशि प्रकाश वर्मा डार्क्रूम सहायक को अवंती बाई महिला चिकित्सालय, डार्क्रूम सहायक महेश कुमार वर्मा को मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ के अधीन, डेंटल हाइजीनिस्ट देश दीपक त्रिपाठी को लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय, लैब टेक्नीशियन नरेंद्र प्रताप सिंह को लोकबंधु राजनारायण संयुक्त चिकित्सालय भेज दिया था. कर्मचारी इसी आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
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दी आंदोलन की चेतावनी
लोहिया कर्मचारी 'अस्तित्व बचाओ मोर्चा' के मंत्री राजेश कुमार श्रीवास्तव ने नौ कर्मचारियों को कार्य मुक्त करने के आदेश पर कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारियों को संयुक्त चिकित्सालय के विलय के बाद संस्थान के तत्कालीन निदेशक द्वारा प्रतिनियुक्ति प्रदान की गई थी. इसलिए आदेश को तुरंत निरस्त कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि यह आदेश जारी कर कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ने की साजिश की जा रही है. चेतावनी दी कि यदि एक जून को जारी आदेश को निरस्त नहीं किया गया तो मोर्चा को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा.