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प्रधान की लापरवाही से श्रम पाने को लेकर भटक रहे हैं मनरेगा जॉब कार्ड धारक - लखनऊ का समाचार

लखनऊ के मड़ियांव थाना के तहत धोलैबा गांव के प्रधान द्वारा मनरेगा के नाम पर लापरवाही की जा रही है. जिससे मनरेगा के जॉब कार्ड धारकों को काम के बदले पैसे लेकर बैंक से लेकर प्रधान के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

काम किया, मेहनताना नहीं मिला
काम किया, मेहनताना नहीं मिला
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Published : Aug 22, 2021, 4:18 PM IST

लखनऊः लखनऊ के ग्राम पंचायत धोबैला गांव के प्रधान मधुराम द्वारा गांव के रहने वाले ग्रामीणों के नाम से पहले तो मनरेगा जॉब कार्ड बनाया गया. उसके बाद मनरेगा जॉब कार्ड धारकों से मनरेगा में चल रही योजनाओं पर प्रधान द्वारा करीब 1 से 2 महीने तक काम लिया गया. उसके बाद भीम, रामलखन, गणेश, रीमा, कोमल सहित करीब एक दर्जन मनरेगा जॉब कार्ड धारकों के पैसे खाते में न पहुंचने को लेकर लापरवाही बरती गई. जिसके बाद जॉब कार्ड धारक लगातार अपने श्रम को पाने को लेकर प्रधान का चक्कर लगाते रहे. इसके बावजूद भी समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पाया.

जिसको लेकर मनरेगा में काम करने वाले श्रमिक अपने श्रम को लेकर गुहार लगा रहे हैं. जहां सरकार द्वारा मनरेगा के लागू किए जाने के बाद पंचायती राज व्यवस्था में काफी मजबूती आई. सबसे ज्यादा फायदा ये हुआ कि ग्रामीण का पलायन रुका है. लोगों को घर बैठे काम मिल रहा है और निर्धारित मजदूरी भी मिल रहा है. मजदूरों में इस बात की खुशी भी है, कि उन्हें काम के साथ सम्मान भी मिला है. वही एक तरफ सरकार द्वारा कार्यस्थल पर उनकी आधारभूत जरूरतों का भी ध्यान रखा है. अब गांव के हर नागरिक के जुबां पर मनरेगा का नाम सुनने में आया है. उन्हें विश्वास है कि मनरेगा के जरिए वे कम से कम दो वक्त की रोटी का इंतजाम जरूर कर पाएंगे. उन्हें यह कहते हुए गर्व होता है कि अब गांव शहर एक साथ चलेगा.

भटक रहे हैं मनरेगा जॉब कार्ड धारक
लेकिन दूसरी तरफ यह भी देखने को मिल रहा है कि मौजूदा प्रधान निषाद द्वारा मनरेगा के नाम पर लीपापोती किया जा रहा है. ताजा मामला मड़ियांव थाना अंतर्गत धुबैला गांव के मौजूदा प्रधान द्वारा मनरेगा जॉब कार्ड धारकों से मनरेगा में करीब महीनों तक उनसे काम लिया गया. उसके बाद भी उनको आज तक पैसा नहीं दिया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां तक कि उनके जॉब कार्ड में उपस्थिति भरने को लेकर भी लापरवाही बरती गई. वहीं बताया कि इसको लेकर कई बार प्रधान मधुराम को शिकायत भी की गई. लेकिन इसके बावजूद भी समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ और प्रधान द्वारा बैंक जाने की नसीहत दी गई. जब बैंक पहुंचे तो वहां पर बैंक कर्मियों ने बताया कि आपका पैसा खाते में नहीं आया है. इस तरह कई चक्कर प्रधान और बैंक के लगाने पड़ रहे हैं. वही लोगों का कहना है कि इसको लेकर जिम्मेदार अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक
भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक

मजदूरी भुगतान के तौर तरीके

मजदूरी भुगतान मनरेगा के तहत सप्ताहिक आधार पर किया जाता है. किसी भी काम के लिए अधिकतम 15 दिन के भीतर मजदूरी भुगतान करना अनिवार्य है. अधिनियम में पहले यह व्यवस्था दी गई थी, कि काम शुरू होते वक्त मजदूरों की संख्या कम से कम 50 होनी चाहिए. लेकिन इसमें बदलाव किया गया है, अब मजदूरों की संख्या 10 कर दी गई है. मजदूरों का भुगतान मेट की ओर से तैयार की गई मास्टर रोल के हिसाब से दिया जाएगा. इसको लेकर जॉब कार्ड धारी का खाता पोस्ट ऑफिस या बैंक में खोला जाता है.

भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक
भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक
मनरेगा में होने वाले काम1-जल संरक्षण2- सूखे के रोकथाम के लिए वृक्षारोपण3-बाढ़ नियंत्रण4-भूमि विकास5- अलग-अलग तरह के आवास निर्माण 6-लघु सिंचाई 7-बागवानी8- ग्रामीण संपर्क मार्ग का निर्माण9-ऐसा कोई कार्य जिसे केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सलाह से अधिसूचित किया गया हो.

लखनऊः लखनऊ के ग्राम पंचायत धोबैला गांव के प्रधान मधुराम द्वारा गांव के रहने वाले ग्रामीणों के नाम से पहले तो मनरेगा जॉब कार्ड बनाया गया. उसके बाद मनरेगा जॉब कार्ड धारकों से मनरेगा में चल रही योजनाओं पर प्रधान द्वारा करीब 1 से 2 महीने तक काम लिया गया. उसके बाद भीम, रामलखन, गणेश, रीमा, कोमल सहित करीब एक दर्जन मनरेगा जॉब कार्ड धारकों के पैसे खाते में न पहुंचने को लेकर लापरवाही बरती गई. जिसके बाद जॉब कार्ड धारक लगातार अपने श्रम को पाने को लेकर प्रधान का चक्कर लगाते रहे. इसके बावजूद भी समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पाया.

जिसको लेकर मनरेगा में काम करने वाले श्रमिक अपने श्रम को लेकर गुहार लगा रहे हैं. जहां सरकार द्वारा मनरेगा के लागू किए जाने के बाद पंचायती राज व्यवस्था में काफी मजबूती आई. सबसे ज्यादा फायदा ये हुआ कि ग्रामीण का पलायन रुका है. लोगों को घर बैठे काम मिल रहा है और निर्धारित मजदूरी भी मिल रहा है. मजदूरों में इस बात की खुशी भी है, कि उन्हें काम के साथ सम्मान भी मिला है. वही एक तरफ सरकार द्वारा कार्यस्थल पर उनकी आधारभूत जरूरतों का भी ध्यान रखा है. अब गांव के हर नागरिक के जुबां पर मनरेगा का नाम सुनने में आया है. उन्हें विश्वास है कि मनरेगा के जरिए वे कम से कम दो वक्त की रोटी का इंतजाम जरूर कर पाएंगे. उन्हें यह कहते हुए गर्व होता है कि अब गांव शहर एक साथ चलेगा.

भटक रहे हैं मनरेगा जॉब कार्ड धारक
लेकिन दूसरी तरफ यह भी देखने को मिल रहा है कि मौजूदा प्रधान निषाद द्वारा मनरेगा के नाम पर लीपापोती किया जा रहा है. ताजा मामला मड़ियांव थाना अंतर्गत धुबैला गांव के मौजूदा प्रधान द्वारा मनरेगा जॉब कार्ड धारकों से मनरेगा में करीब महीनों तक उनसे काम लिया गया. उसके बाद भी उनको आज तक पैसा नहीं दिया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां तक कि उनके जॉब कार्ड में उपस्थिति भरने को लेकर भी लापरवाही बरती गई. वहीं बताया कि इसको लेकर कई बार प्रधान मधुराम को शिकायत भी की गई. लेकिन इसके बावजूद भी समस्याओं का निस्तारण नहीं हुआ और प्रधान द्वारा बैंक जाने की नसीहत दी गई. जब बैंक पहुंचे तो वहां पर बैंक कर्मियों ने बताया कि आपका पैसा खाते में नहीं आया है. इस तरह कई चक्कर प्रधान और बैंक के लगाने पड़ रहे हैं. वही लोगों का कहना है कि इसको लेकर जिम्मेदार अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक
भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक

मजदूरी भुगतान के तौर तरीके

मजदूरी भुगतान मनरेगा के तहत सप्ताहिक आधार पर किया जाता है. किसी भी काम के लिए अधिकतम 15 दिन के भीतर मजदूरी भुगतान करना अनिवार्य है. अधिनियम में पहले यह व्यवस्था दी गई थी, कि काम शुरू होते वक्त मजदूरों की संख्या कम से कम 50 होनी चाहिए. लेकिन इसमें बदलाव किया गया है, अब मजदूरों की संख्या 10 कर दी गई है. मजदूरों का भुगतान मेट की ओर से तैयार की गई मास्टर रोल के हिसाब से दिया जाएगा. इसको लेकर जॉब कार्ड धारी का खाता पोस्ट ऑफिस या बैंक में खोला जाता है.

भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक
भटक रहे मनरेगा जॉब कार्ड धारक
मनरेगा में होने वाले काम1-जल संरक्षण2- सूखे के रोकथाम के लिए वृक्षारोपण3-बाढ़ नियंत्रण4-भूमि विकास5- अलग-अलग तरह के आवास निर्माण 6-लघु सिंचाई 7-बागवानी8- ग्रामीण संपर्क मार्ग का निर्माण9-ऐसा कोई कार्य जिसे केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सलाह से अधिसूचित किया गया हो.
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