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Makar Sankranti 2022: जानिए क्यों खास है इस बार की मकर संक्रांति

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Published : Jan 14, 2022, 8:41 PM IST

श्री सोना देवी मेमोरियल ट्रस्ट उदयपुर हाउस ट्रस्ट (Shri Sona Devi Memorial Trust Udaipur House Trust) में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. सूर्य की राशि परिवर्तन की प्रक्रिया अनवरत चली आ रही है.

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जानिए क्यों खास है इस बार की मकर संक्रांति

लखनऊ: श्री सोना देवी मेमोरियल ट्रस्ट उदयपुर हाउस ट्रस्ट (Shri Sona Devi Memorial Trust Udaipur House Trust) में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मकर संक्रांति पर्व सूर्य के 12 राशियों में संक्रमण करने के काल को पर्व के रूप में मनाया जाता है. सूर्य मेष राशि से लेकर मीन राशि तक 12 राशियों में हर माह की 14 या 15 तारीख को प्रवेश करते हैं. इसी को संक्रमण या संक्रांति कहते हैं. सूर्य की राशि परिवर्तन की प्रक्रिया अनवरत चली आ रही है.

ज्योतिष वाचस्पति आचार्य दिनेश बताते हैं कि इन 12 राशियों में सूर्य के संक्रमण में विशेष दो संक्रमण को पर्व के रूप में लिया जाता है. पहली कर्क संक्रांति जिसमें सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करता है और दूसरी मकर संक्रांति जिसमें सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है.

वे कहते हैं कि यूं तो सूर्य 12 राशियों में संक्रांति करता है पर यह दो अधिक महत्वपूर्ण क्यों? यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि यहीं से सूर्यायन भी परिवर्तन करता है सूर्य कर्क राशि में दक्षिणायन हो जाते हैं. 6 संक्रांति तक दक्षिणायन रहते हैं और मकर संक्रांति से सूर्य की स्थिति उत्तरायण हो जाती है यहां से शुभ कार्यों का आरंभ हो जाता है. पहले लोग इसी पर्व को नव वर्ष के रूप में मनाते थे‌. सनातन धर्मी लोगों को भी नववर्ष सूर्य के उत्तरायण में मनाना चाहिए.

इसे भी पढ़ेंः Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति पर्व से जुड़ी हैं विभिन्न परंपराएं, स्नान के साथ करें राशि के अनुसार दान

14 जनवरी को सूर्योदय 6:00 बज कर 58 मिनट 21 सेकंड पर हो रहा है और सूर्य का मकर संक्रांति का प्रवेश 8:25 और 9 सेकेंड पर लखनऊ में हो रहा है इसीलिए यह पर्व दोनों दिन मनाया जाएगा.

15 जनवरी 2022 को सुबह का पुण्य काल स्नान दान का मिलेगा सनातन शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल 6 घंटे 24 मिनट पहले शुरू हो जाता है.

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस बार संक्रांति का पर्व रोहणी नक्षत्र और शुक्ल नाम के योग में हो रहा है मकर लग्न में सूर्य, बुध, शनि है, गुरु कुंभ राशि का द्वितीय में चंद्र, राहु वृष राशि का पंचम में केतु, मंगल वृश्चिक राशि का एकादश में और शुक्र धनु राशि का द्वादश में धनु का है. ग्रह स्थिति के अनुसार इस वर्ष आश्चर्यचकित राजनीति में परिवर्तन देखने को मिलेंगे. मनोस्थिति राहु चंद्र के ग्रहण योग पंचम में होने से अच्छी नहीं रहेगी. लग्जरी पर लोग इस वर्ष अधिक खर्च करेंगे.

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लखनऊ: श्री सोना देवी मेमोरियल ट्रस्ट उदयपुर हाउस ट्रस्ट (Shri Sona Devi Memorial Trust Udaipur House Trust) में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. मकर संक्रांति पर्व सूर्य के 12 राशियों में संक्रमण करने के काल को पर्व के रूप में मनाया जाता है. सूर्य मेष राशि से लेकर मीन राशि तक 12 राशियों में हर माह की 14 या 15 तारीख को प्रवेश करते हैं. इसी को संक्रमण या संक्रांति कहते हैं. सूर्य की राशि परिवर्तन की प्रक्रिया अनवरत चली आ रही है.

ज्योतिष वाचस्पति आचार्य दिनेश बताते हैं कि इन 12 राशियों में सूर्य के संक्रमण में विशेष दो संक्रमण को पर्व के रूप में लिया जाता है. पहली कर्क संक्रांति जिसमें सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करता है और दूसरी मकर संक्रांति जिसमें सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है.

वे कहते हैं कि यूं तो सूर्य 12 राशियों में संक्रांति करता है पर यह दो अधिक महत्वपूर्ण क्यों? यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि यहीं से सूर्यायन भी परिवर्तन करता है सूर्य कर्क राशि में दक्षिणायन हो जाते हैं. 6 संक्रांति तक दक्षिणायन रहते हैं और मकर संक्रांति से सूर्य की स्थिति उत्तरायण हो जाती है यहां से शुभ कार्यों का आरंभ हो जाता है. पहले लोग इसी पर्व को नव वर्ष के रूप में मनाते थे‌. सनातन धर्मी लोगों को भी नववर्ष सूर्य के उत्तरायण में मनाना चाहिए.

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14 जनवरी को सूर्योदय 6:00 बज कर 58 मिनट 21 सेकंड पर हो रहा है और सूर्य का मकर संक्रांति का प्रवेश 8:25 और 9 सेकेंड पर लखनऊ में हो रहा है इसीलिए यह पर्व दोनों दिन मनाया जाएगा.

15 जनवरी 2022 को सुबह का पुण्य काल स्नान दान का मिलेगा सनातन शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल 6 घंटे 24 मिनट पहले शुरू हो जाता है.

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस बार संक्रांति का पर्व रोहणी नक्षत्र और शुक्ल नाम के योग में हो रहा है मकर लग्न में सूर्य, बुध, शनि है, गुरु कुंभ राशि का द्वितीय में चंद्र, राहु वृष राशि का पंचम में केतु, मंगल वृश्चिक राशि का एकादश में और शुक्र धनु राशि का द्वादश में धनु का है. ग्रह स्थिति के अनुसार इस वर्ष आश्चर्यचकित राजनीति में परिवर्तन देखने को मिलेंगे. मनोस्थिति राहु चंद्र के ग्रहण योग पंचम में होने से अच्छी नहीं रहेगी. लग्जरी पर लोग इस वर्ष अधिक खर्च करेंगे.

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