लखनऊ: समाजवादी कुनबे में अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच जो रिश्ते खराब है. उसको दोबारा जोड़ने का आखिरी मौका मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव हो सकता है. अगर उपचुनाव में अखिलेश यादव ने शिवपाल सिंह यादव को इस सीट पर टिकट दे दिया तो निश्चित तौर पर एक बार फिर शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के साथ खड़े हुए नजर आ सकते हैं लेकिन अखिलेश यादव ने अगर शिवपाल सिंह यादव की जगह अपनी पत्नी डिंपल यादव या कुनबे में से किसी और को टिकट दिया तो चाचा की बगावत और बुलंद हो सकती है.
राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार, समाजवादी पार्टी पर सबसे बड़ा खतरा मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में खराब प्रदर्शन का होगा. निश्चित है कि शिवपाल यादव समाजवादी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगे. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी इस मामले में समाजवादी पार्टी के टिकट को लेकर वेट एंड वॉच की स्थिति में रहेगी. अगर शिवपाल यादव को टिकट नहीं मिलता है तो इस मौके को भुनाने का पूरा प्रयास भाजपा कर सकती है.
चुनाव आयोग ने घोषित की उपचुनाव की तिथिः गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई है. नियम के अनुसार अगले 6 महीने में इस सीट पर उपचुनाव होने थे. इसकी घोषणा शुक्रवार को चुनाव आयोग ने कर दी है और 5 दिसंबर की तिथि फाइनल हो गई है. तारीख की घोषणा के साथ ही अब समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के दिवंगत होने के बाद परिवार की एकता का वास्तविक हाल क्या है यह स्पष्ट हो जाएगा.
शिवपाल यादव इशारों-इशारों में सीट के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर चुके हैं. इसके बाद अखिलेश यादव पर दबाव है कि अपने पिता की मृत्यु के बाद भी परिवार में एकता के लिए शिवपाल यादव को यह टिकट ऑफर कर दें. मगर समाजवादी पार्टी के सूत्रों का यह भी कहना है कि अखिलेश यादव इस सीट से अपनी पत्नी डिंपल यादव को लड़ाना चाहते हैं. ऐसे में अगर डिंपल यादव का नाम फाइनल होता है तो चाचा शिवपाल का भड़कना लाजमी है.
भाजपा की अपनी सियासी गणितः भले ही यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में रही हो, मगर 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की अग्निपरीक्षा होगी. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने जोरदार जीत हासिल की है. ऐसे में मैनपुरी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए जीत हासिल करना उसका प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. इस सीट पर 2019 में भाजपा ने 2015 में हुए उपचुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया था.
बता दें कि भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया था. प्रेम सिंह शाक्य को चार लाख से भी अधिक वोट मिले थे. अब मुलायम सिंह यादव की गैर मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी निश्चित तौर पर यहां पर जीत हासिल करने की कोशिश करेगी. माना जा रहा है कि इस चुनाव में मैनपुरी में भाजपा बड़ा दांव खेलेगी. इसमें कई तरह के विकल्प बताए जा रहे हैं. एक विकल्प के तौर पर भारतीय जनता पार्टी यहां पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव को मौका दे सकती है.
अगर शिवपाल यादव को भारतीय जनता पार्टी अपना समर्थन देकर यहां से अपना प्रत्याशी नहीं उतारती है तो इसके बाद सीधा मुकाबला अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के बीच हो जाएगा. इससे यादव वोटों में जबरदस्त बंटवारा देखने को मिल सकता है. दूसरा विकल्प यह है कि भारतीय जनता पार्टी यहां पर एक बार फिर से प्रेम सिंह शाक्य को उतारकर और कुछ यादव मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर सकती है. अगर यह समीकरण फिट बैठा तो मैनपुरी सीट पर समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किल होगी. तीसरे विकल्प के तौर पर यह भी कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी मैनपुरी लोकसभा सीट पर किसी कद्दावर यादव नेता को भी उतार सकती है. जिससे इस सीट का गणित और भी रोचक हो सकता है.
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