ETV Bharat / state

हाथरस मामले में हाईकोर्ट में पहले दिन हुई सुनवाई के मुख्य बिंदु - हाथरस मामले में सुनवाई

हाथरस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस राजन राय की पीठ ने सोमवार को सुनवाई की. कोर्ट ने 2 नवंबर को अगली तारीख दी है. हाईकोर्ट में पहले दिन सुनवाई के मुख्य बिंदु क्या रहे, देखिए इस रिपोर्ट में...

high court lucknow
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच.
author img

By

Published : Oct 12, 2020, 7:15 PM IST

Updated : Oct 12, 2020, 10:43 PM IST

लखनऊ: हाथरस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2 नवंबर को अगली तारीख दी है. अब दो नवंबर को कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने पीड़ित पक्ष के 5 सदस्यों की बात सुनी. कोर्ट ने ACS होम, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और हाथरस के जिलाधिकारी से सवाल किए. सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही ने पक्ष रखा.

high court lucknow
लखनऊ हाईकोर्ट.

कोट की कार्यवाही का बिंदु वॉर विवरण

  • सुबह 11:30 के करीब डीएसपी व एसडीएम के नेतृत्व में पीड़ित परिवार राजधानी लखनऊ पहुंचा.
  • परिवार को गोमती नगर स्थित उत्तराखंड भवन में ठहराया गया.
  • दोपहर 1:30 बजे पीड़ित परिवार कड़ी सुरक्षा के बीच हाईकोर्ट पहुंचा, जहां पर पांच नंबर गेट से पीड़ित परिवार को एंट्री दी गई.
  • दोपहर 2 बजकर 15 मिनट पर सुनवाई शुरू हुई.
  • कोर्ट ने पहले पीड़ित परिवार का पक्ष सुना.

हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए पीड़ित परिवार ने कहा, अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करना हमारा अधिकार था. पुलिस ने जबरन बेटी का अंतिम संस्कार किया. हम आखिरी बार अपनी बेटी को देखना चाहते थे. परिवार ने कोर्ट में अधिकारियों द्वारा कही गई बात कि परिवार की अनुमति से अंतिम संस्कार किया गया था, को खारिज कर दिया.

पीड़ित परिवार ने डीएम के बयान को कोर्ट के सामने रखा
पीड़िता की भाभी ने डीएम द्वारा दिए गए बयान 'पीड़िता को अगर कोविड-19 हो जाता और उससे उसकी मौत हो जाती तो क्या कंपनसेशन मिलता' इस बात को कोर्ट के सामने रखा. परिवार ने कहा कि इस तरह के अपराध की क्या कंपनसेशन से भरपाई हो सकती है. कोर्ट के सामने पीड़ित परिवार ने पुलिस कर्मचारियों व जिला प्रशासन के अधिकारियों के रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की.

high court lucknow
हाईकोर्ट.

सरकारी पक्ष की दलील को कोर्ट ने किया खारिज
कोर्ट ने बारी-बारी से परिवार के सभी सदस्यों की बातें सुनी. बचाव पक्ष की ओर से लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति का जिक्र करते हुए रात में शव का अंतिम संस्कार कराने की बात कही गई. परिवार की ओर से कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट सीमा कुशवाहा के अनुसार, सरकारी पक्ष की ओर से लॉ एंड ऑर्डर की दलील देने पर कोर्ट ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है. लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति तो पहले से खराब थी, जिसके चलते इस तरह की घटना हुई. अंतिम संस्कार के दौरान 50 से 60 पुलिस कर्मचारी नजर आ रहे हैं. ऐसे में लॉ एंड ऑर्डर का तर्क ठीक नहीं है.

high court lucknow
कोर्ट से बाहर निकला पीड़ित परिवार.

ये भी पढे़ं: हाथरस मामला: हाईकोर्ट ने सुनी पीड़ित परिवार की बात, अब 2 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
सरकार के पक्ष की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही मौजूद रहे. शाही की मौजूदगी में अधिकारियों ने अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगा. अधिकारियों की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने 2 नवंबर की तारीख दी है. शाम 4 बजकर 30 मिनट पर कोर्ट की पहले दिन की सुनवाई खत्म हुई. 2 नवंबर को कोर्ट में सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर व गृह विभाग से सचिव स्तर के अधिकारी मौजूद होंगे.

हाथरस मामला : हाईकोर्ट ने सरकार को लगायी फटकार, कहा- 'लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर अधिकारों का नहीं हो सकता हनन'

हाथरस मामले में जस्टिस पंकज मित्तल व जस्टिस राजन राय की पीठ ने सुनवाई करते हुए 2 नवंबर की अगली तारीख तय की है. सरकार की ओर से कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता विनोद शाही सुनवाई के दौरान मौजूद रहे. सुनवाई खत्म होने के बाद विनोद शाही ने इस बात की पुष्टि की है. कोर्ट में सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने पक्ष रखा तो वहीं पीड़िता के परिवार की ओर से कोर्ट में अधिवक्ता सीमा कुशवाहा मौजूद रहीं.

सुबह 11:30 के करीब डीएसपी व एसडीएम के नेतृत्व में पीड़ित परिवार राजधानी लखनऊ पहुंचा. परिवार को गोमती नगर स्थित उत्तराखंड भवन में ठहराया गया. सोमवार दोपहर 1:30 बजे परिवार कड़ी सुरक्षा के बीच पीड़ित पक्ष हाईकोर्ट पहुंचा, जहां पर पांच नंबर गेट से उन्हें एंट्री दी गई. दोपहर 2:15 पर हाथरस के मामले में सुनवाई शुरू हुई. परिवार के सदस्यों में मृतका के माता-पिता, दो भाई और साथ में भाभी भी आई थी.

high court lucknow
अपर महाधिवक्ता विनोद शाही.

कोर्ट ने पहले पीड़ित परिवार का पक्ष सुना. पीड़ित परिवार ने कोर्ट को बताया कि अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करना उनका अधिकार था. पुलिस ने लड़की का अंतिम संस्कार किया. वे आखिरी बार अपनी मृत बेटी को देखना चाहते थे, जिसकी अनुमति उन्हें नहीं मिली. हालांकि इसके बाद भी अधिकारियों ने कोर्ट में दावा किया कि परिवार की अनुमति से अंतिम संस्कार किया गया था. कोर्ट ने पुलिस-प्रशासन के इस दावे को खारिज कर दिया.

पीड़िता की भाभी ने कोर्ट को हाथरस डीएम के पूर्व में दिए गए बयान की जानकारी दी. डीएम ने पीड़ित परिवार को कहा था कि पीड़िता को अगर कोविड-19 हो जाता और उससे उसकी मौत हो जाती तो क्या कंपनसेशन मिलता. कोर्ट के सामने पीड़ित परिवार ने पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की. सोमवार को कोर्ट ने बारी-बारी से पीड़ित परिवार के सभी सदस्यों की बातें सुनीं.

high court lucknow
पीड़ित पक्ष की वकील सीमा कुशवाहा.

सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही ने कोर्ट को बताया कि लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को देखते हुए रात में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया. पीड़ित परिवार की ओर से कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने ईटीवी भारत को कोर्ट में हुई प्रोसिडिंग की जानकारी दी. सीमा कुशवाहा के अनुसार, सरकारी पक्ष की दलील पर कोर्ट ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है. लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति तो पहले खराब थी, जिसके चलते इस तरह की घटना हुई. कोर्ट का कहना था कि पीड़िता के अंतिम संस्कार के दौरान 50 से 60 पुलिस कर्मचारी नजर आ रहे हैं, ऐसे में लॉ एंड ऑर्डर का तर्क ठीक नहीं है.

कोर्ट ने पीड़िता के शव को जलाए जाने के मामले में जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल किए हैं और यह कहा है कि अपने परिवार के सदस्य का अंतिम संस्कार करना सभी का अधिकार है. कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर का बहाना लेकर अंतिम संस्कार करना ठीक नहीं.

-सीमा कुशवाहा, पीड़ित पक्ष की वकील

सरकार के पक्ष की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही मौजूद रहे. शाही की मौजूदगी में अधिकारियों ने अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगा. अधिकारियों की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने 2 नवंबर की तारीख दी है. सोमवार शाम 4:30 बजे कोर्ट की पहले दिन की सुनवाई खत्म हुई. पीड़ित परिवार हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हाथरस रवाना हो गया है. इस केस की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.. दो नवंबर को कोर्ट में सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर व गृह विभाग से सचिव स्तर का अधिकारी मौजूद होंगे.

लखनऊ: हाथरस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2 नवंबर को अगली तारीख दी है. अब दो नवंबर को कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने पीड़ित पक्ष के 5 सदस्यों की बात सुनी. कोर्ट ने ACS होम, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और हाथरस के जिलाधिकारी से सवाल किए. सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही ने पक्ष रखा.

high court lucknow
लखनऊ हाईकोर्ट.

कोट की कार्यवाही का बिंदु वॉर विवरण

  • सुबह 11:30 के करीब डीएसपी व एसडीएम के नेतृत्व में पीड़ित परिवार राजधानी लखनऊ पहुंचा.
  • परिवार को गोमती नगर स्थित उत्तराखंड भवन में ठहराया गया.
  • दोपहर 1:30 बजे पीड़ित परिवार कड़ी सुरक्षा के बीच हाईकोर्ट पहुंचा, जहां पर पांच नंबर गेट से पीड़ित परिवार को एंट्री दी गई.
  • दोपहर 2 बजकर 15 मिनट पर सुनवाई शुरू हुई.
  • कोर्ट ने पहले पीड़ित परिवार का पक्ष सुना.

हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए पीड़ित परिवार ने कहा, अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करना हमारा अधिकार था. पुलिस ने जबरन बेटी का अंतिम संस्कार किया. हम आखिरी बार अपनी बेटी को देखना चाहते थे. परिवार ने कोर्ट में अधिकारियों द्वारा कही गई बात कि परिवार की अनुमति से अंतिम संस्कार किया गया था, को खारिज कर दिया.

पीड़ित परिवार ने डीएम के बयान को कोर्ट के सामने रखा
पीड़िता की भाभी ने डीएम द्वारा दिए गए बयान 'पीड़िता को अगर कोविड-19 हो जाता और उससे उसकी मौत हो जाती तो क्या कंपनसेशन मिलता' इस बात को कोर्ट के सामने रखा. परिवार ने कहा कि इस तरह के अपराध की क्या कंपनसेशन से भरपाई हो सकती है. कोर्ट के सामने पीड़ित परिवार ने पुलिस कर्मचारियों व जिला प्रशासन के अधिकारियों के रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की.

high court lucknow
हाईकोर्ट.

सरकारी पक्ष की दलील को कोर्ट ने किया खारिज
कोर्ट ने बारी-बारी से परिवार के सभी सदस्यों की बातें सुनी. बचाव पक्ष की ओर से लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति का जिक्र करते हुए रात में शव का अंतिम संस्कार कराने की बात कही गई. परिवार की ओर से कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट सीमा कुशवाहा के अनुसार, सरकारी पक्ष की ओर से लॉ एंड ऑर्डर की दलील देने पर कोर्ट ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है. लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति तो पहले से खराब थी, जिसके चलते इस तरह की घटना हुई. अंतिम संस्कार के दौरान 50 से 60 पुलिस कर्मचारी नजर आ रहे हैं. ऐसे में लॉ एंड ऑर्डर का तर्क ठीक नहीं है.

high court lucknow
कोर्ट से बाहर निकला पीड़ित परिवार.

ये भी पढे़ं: हाथरस मामला: हाईकोर्ट ने सुनी पीड़ित परिवार की बात, अब 2 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
सरकार के पक्ष की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही मौजूद रहे. शाही की मौजूदगी में अधिकारियों ने अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगा. अधिकारियों की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने 2 नवंबर की तारीख दी है. शाम 4 बजकर 30 मिनट पर कोर्ट की पहले दिन की सुनवाई खत्म हुई. 2 नवंबर को कोर्ट में सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर व गृह विभाग से सचिव स्तर के अधिकारी मौजूद होंगे.

हाथरस मामला : हाईकोर्ट ने सरकार को लगायी फटकार, कहा- 'लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर अधिकारों का नहीं हो सकता हनन'

हाथरस मामले में जस्टिस पंकज मित्तल व जस्टिस राजन राय की पीठ ने सुनवाई करते हुए 2 नवंबर की अगली तारीख तय की है. सरकार की ओर से कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए अपर महाधिवक्ता विनोद शाही सुनवाई के दौरान मौजूद रहे. सुनवाई खत्म होने के बाद विनोद शाही ने इस बात की पुष्टि की है. कोर्ट में सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने पक्ष रखा तो वहीं पीड़िता के परिवार की ओर से कोर्ट में अधिवक्ता सीमा कुशवाहा मौजूद रहीं.

सुबह 11:30 के करीब डीएसपी व एसडीएम के नेतृत्व में पीड़ित परिवार राजधानी लखनऊ पहुंचा. परिवार को गोमती नगर स्थित उत्तराखंड भवन में ठहराया गया. सोमवार दोपहर 1:30 बजे परिवार कड़ी सुरक्षा के बीच पीड़ित पक्ष हाईकोर्ट पहुंचा, जहां पर पांच नंबर गेट से उन्हें एंट्री दी गई. दोपहर 2:15 पर हाथरस के मामले में सुनवाई शुरू हुई. परिवार के सदस्यों में मृतका के माता-पिता, दो भाई और साथ में भाभी भी आई थी.

high court lucknow
अपर महाधिवक्ता विनोद शाही.

कोर्ट ने पहले पीड़ित परिवार का पक्ष सुना. पीड़ित परिवार ने कोर्ट को बताया कि अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करना उनका अधिकार था. पुलिस ने लड़की का अंतिम संस्कार किया. वे आखिरी बार अपनी मृत बेटी को देखना चाहते थे, जिसकी अनुमति उन्हें नहीं मिली. हालांकि इसके बाद भी अधिकारियों ने कोर्ट में दावा किया कि परिवार की अनुमति से अंतिम संस्कार किया गया था. कोर्ट ने पुलिस-प्रशासन के इस दावे को खारिज कर दिया.

पीड़िता की भाभी ने कोर्ट को हाथरस डीएम के पूर्व में दिए गए बयान की जानकारी दी. डीएम ने पीड़ित परिवार को कहा था कि पीड़िता को अगर कोविड-19 हो जाता और उससे उसकी मौत हो जाती तो क्या कंपनसेशन मिलता. कोर्ट के सामने पीड़ित परिवार ने पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के रवैये को लेकर नाराजगी जाहिर की. सोमवार को कोर्ट ने बारी-बारी से पीड़ित परिवार के सभी सदस्यों की बातें सुनीं.

high court lucknow
पीड़ित पक्ष की वकील सीमा कुशवाहा.

सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही ने कोर्ट को बताया कि लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को देखते हुए रात में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया गया. पीड़ित परिवार की ओर से कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट सीमा कुशवाहा ने ईटीवी भारत को कोर्ट में हुई प्रोसिडिंग की जानकारी दी. सीमा कुशवाहा के अनुसार, सरकारी पक्ष की दलील पर कोर्ट ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है. लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति तो पहले खराब थी, जिसके चलते इस तरह की घटना हुई. कोर्ट का कहना था कि पीड़िता के अंतिम संस्कार के दौरान 50 से 60 पुलिस कर्मचारी नजर आ रहे हैं, ऐसे में लॉ एंड ऑर्डर का तर्क ठीक नहीं है.

कोर्ट ने पीड़िता के शव को जलाए जाने के मामले में जिम्मेदार अधिकारियों से सवाल किए हैं और यह कहा है कि अपने परिवार के सदस्य का अंतिम संस्कार करना सभी का अधिकार है. कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों को फटकार भी लगाई है. कोर्ट ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर का बहाना लेकर अंतिम संस्कार करना ठीक नहीं.

-सीमा कुशवाहा, पीड़ित पक्ष की वकील

सरकार के पक्ष की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही मौजूद रहे. शाही की मौजूदगी में अधिकारियों ने अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगा. अधिकारियों की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने 2 नवंबर की तारीख दी है. सोमवार शाम 4:30 बजे कोर्ट की पहले दिन की सुनवाई खत्म हुई. पीड़ित परिवार हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच हाथरस रवाना हो गया है. इस केस की अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.. दो नवंबर को कोर्ट में सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर व गृह विभाग से सचिव स्तर का अधिकारी मौजूद होंगे.

Last Updated : Oct 12, 2020, 10:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.