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सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य, मंदिर निर्माण में सभी करें सहयोग: महंत देव्या गिरी

अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की ओर आए फैसले का मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी ने स्वागत किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह फैसला सर्वमान्य है और इसे सभी को मानना चाहिए.

महंत देव्या गिरी
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Published : Nov 9, 2019, 3:06 PM IST

लखनऊ: अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी ने स्वागत किया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए महंत देव्या गिरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है. सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सत्य ही तो है. जिन तथ्यों और साक्ष्यों को सुप्रीम कोर्ट ने लिया है इस पर कोई संदेह की बात होनी ही नहीं चाहिए थी. उन्होंने कहा कि फैसला अच्छा है और सभी के स्वागत योग्य है. सभी लोग मिल-जुल कर मंदिर निर्माण में सहयोग दें.

महंत देव्या गिरी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत.

मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन दिए जाने पर महंत देव्या गिरी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय इस तरह की कोई बात कर रहा है तो आप सोचिए कि कहीं न कहीं वह भारत में सामाजिक सौहार्द बनाने की भावना को ध्यान में रखते हुए किया है. यह सच है जो विवादित भूमि थी वह रामलला की है, जो कि उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास को दे दी है. साथ ही अयोध्या में 5 एकड़ जमीन उन्हें दी जाएगी तो यह बेहतरीन बात है. हम दूसरे पक्ष की भावनाओं को ध्यान में रख रहे हैं. अगर नहीं रख रहे होते तो न्यायालय ऐसा फैसला नहीं देता. यानी फैसला सर्वमान्य है, स्वागत योग्य है.

इसे भी पढ़ें- Exclusive : इकबाल अंसारी बोले, बहुत लड़ाई लड़ ली अब जो फैसला आया वह मंजूर

वहीं जफरयाब जिलानी के असंतुष्ट होने और रिव्यू पिटीशन की बात कहे जाने पर महंत देव्या गिरी ने कहा कि उन्हें अब ऐसी कोई बात करनी ही नहीं चाहिए थी. अब कुछ भी संदेहास्पद है ही नहीं, जिस पर हम बात कर सकें. अगर ऐसा कहा जा रहा है तो हम अदालत के निर्णय को कहीं न कहीं चैलेंज कर रहे हैं. साक्ष्यों के आधार पर, तथ्यों के आधार पर सब कुछ ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय लिया है. मुझे लगता है उन्हें भी मानना चाहिए था.

लखनऊ: अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी ने स्वागत किया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए महंत देव्या गिरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है. सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सत्य ही तो है. जिन तथ्यों और साक्ष्यों को सुप्रीम कोर्ट ने लिया है इस पर कोई संदेह की बात होनी ही नहीं चाहिए थी. उन्होंने कहा कि फैसला अच्छा है और सभी के स्वागत योग्य है. सभी लोग मिल-जुल कर मंदिर निर्माण में सहयोग दें.

महंत देव्या गिरी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत.

मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन दिए जाने पर महंत देव्या गिरी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय इस तरह की कोई बात कर रहा है तो आप सोचिए कि कहीं न कहीं वह भारत में सामाजिक सौहार्द बनाने की भावना को ध्यान में रखते हुए किया है. यह सच है जो विवादित भूमि थी वह रामलला की है, जो कि उन्होंने राम जन्मभूमि न्यास को दे दी है. साथ ही अयोध्या में 5 एकड़ जमीन उन्हें दी जाएगी तो यह बेहतरीन बात है. हम दूसरे पक्ष की भावनाओं को ध्यान में रख रहे हैं. अगर नहीं रख रहे होते तो न्यायालय ऐसा फैसला नहीं देता. यानी फैसला सर्वमान्य है, स्वागत योग्य है.

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वहीं जफरयाब जिलानी के असंतुष्ट होने और रिव्यू पिटीशन की बात कहे जाने पर महंत देव्या गिरी ने कहा कि उन्हें अब ऐसी कोई बात करनी ही नहीं चाहिए थी. अब कुछ भी संदेहास्पद है ही नहीं, जिस पर हम बात कर सकें. अगर ऐसा कहा जा रहा है तो हम अदालत के निर्णय को कहीं न कहीं चैलेंज कर रहे हैं. साक्ष्यों के आधार पर, तथ्यों के आधार पर सब कुछ ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय लिया है. मुझे लगता है उन्हें भी मानना चाहिए था.

Intro:अयोध्या फैसले पर 'ईटीवी भारत' से बोलीं महंत देवयागिरी: फैसला स्वागतयोग्य, जिलानी को भी मानना चाहिए फैसला

लखनऊ। अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम निर्णय का मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरी ने स्वागत किया है। 'ईटीवी भारत' से बातचीत करते हुए महंत देव्या गिरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो यही कि यह जो फैसला हुआ है इससे लोगों में संस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया है सत्य तो है ही। जिन तथ्य और साक्ष्यों को सुप्रीम कोर्ट ने लिया है जिस तरह से वहां पर, इस पर कोई संदेह की कुछ भी बात होनी ही नहीं चाहिए थी। फैसला अच्छा है,सभी के स्वागत योग्य है। सभी लोग मिलजुलकर मंदिर में सहयोग दें।


Body:मुस्लिम पक्ष को भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा पांच एकड़ जमीन दिए जाने पर महंत देव्यागिरी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय इस तरह की कोई बात कर रहा है तो आप सोचिए कि कहीं न कहीं वह भारत में सामाजिक सौहार्द्र बनाने की भावना को ध्यान में रखते हुए किया है। यह सच है जो विवादित भूमि थी वो राम लला की है। राम जन्मभूमि न्यास को उन्होंने दे दी है। यह भी कि अयोध्या में 5 एकड़ जमीन उन्हें भी दी जाएगी तो यह बेहतरीन बात है। किस तरह हम दूसरे पक्ष की भावनाओं को ध्यान में रख रहे हैं। अगर नहीं रख रहे होते तो न्यायालय ऐसा फैसला नहीं देता। यानी सर्वमान्य है, स्वागत योग्य है।


Conclusion:रामजन्म भूमि न्यास के पक्ष में निर्णय से जहां हिंदू पक्ष का काफी खुश हैं वहीं जफरयाब जिलानी असंतुष्ट हैं, वे रिव्यू पिटीशन की बात कह रहे हैं इस पर महंत देव्यागिरी ने कहा कि उन्हें ऐसी बात अब कुछ करनी ही नहीं चाहिए थी। अब तो कुछ संदेहास्पद है ही नहीं जिस पर हम बात कर सकें। अगर ऐसा कहा जा रहा है तो हम अदालत के निर्णय को कहीं न कहीं चैलेंज कर रहे हैं। साक्ष्यों के आधार पर तथ्यों के आधार पर सब कुछ ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय लिया है, मुझे लगता है उन्हें भी मानना चाहिए था।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 9336864096



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