लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने महाराजगंज की नौतनवा सीट से अमनमणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया. इसके विरोध में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला और सारा सिंह की मां सीमा सिंह बीएसपी दफ्तर के बाहर गुरुवार को धरना शुरू कर दिया. अमनमणि की सास सीमा सिंह और निधि ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. सीमा सिंह ने बसपा अध्यक्ष मायावती पर निशाना साधा और कहा कि एक तरफ मायावती कानून की बात करती हैं, वहीं दूसरी तरफ वो कानून हाथ में लेने वाले को बसपा का उम्मीदवार बनाती हैं.
कवियत्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने अमनमणि त्रिपाठी को टिकट देने पर नाराजगी जाहिर की. निधि ने कहा कि जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब वो मधुमिता हत्याकांड में न्याय दिलवा रही थीं. आज उसी आरोपी को बसपा का टिकट दे रही हैं. ये कैसा न्याय है. निधि ने कहा कि मायावती ऐसे अपराधियों को पार्टी से निकालें. अगर ऐसा नहीं होता है, तो पूरे प्रदेश में ब्राह्मण और क्षत्रिय बसपा का विरोध करेंगे. 7 फरवरी को बसपा ने अमन मणि त्रिपाठी को महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया था. इस टिकट की घोषणा प्रदेश कार्यालय के बजाए जिला यूनिट से की गई थी.
सारा और निधि शुक्ला सुबह 11 बजे बसपा कार्यालय पहुंची थीं. इस दौरान स्टाफ ने दफ्तर के गेट बंद कर दिए. दोनों गेट पर ही प्रदर्शन करने लगीं. उन्होंने कहा कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने अम्बेडकर के संविधान को दरकिनार किया है. खुद महिला होकर महिलाओं पर अत्याचार करने वाले को टिकट दिया. उन्होंने पैसे के दम पर अमन मणि को टिकट मिलने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि मायावती से मिलने गई, मगर स्टाफ ने इनकार कर दिया.
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पिता अमरमणि पर कवित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के आरोप लगे. तब मायावती ने पार्टी के दामन को पाक-साफ बनाये रखने के लिए अमरमणि को बाहर का रास्ता दिखाया था. वहीं विवादों में रहे उनके बेटे अमनमणि से भी दूरी बनाए रखी. अब इस बाहुबली परिवार के लिए 19 साल के बाद बसपा का सियासी दरवाजा फिर से खुल गया.
2017 के विधानसभा चुनाव में महाराजगंज के नौतनवा से निर्दलीय खड़े हुए बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र अमन मणि त्रिपाठी ने जीत दर्ज की थी. अमनमणि त्रिपाठी पर अपनी पत्नी सारा की हत्या का भी आरोप है और वह जेल में बंद है. 9 जुलाई 2015 को संदिग्ध हालत में सारा सिंह की मौत हो गई थी. तब वह अमनमणि त्रिपाठी के साथ कार पर सवार होकर लखनऊ से दिल्ली की तरफ जा रही थीं. इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है. इसी मामले में जेल में रहते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अमनमणि ने जीत दर्ज की थी.
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