लखनऊ: उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर सतर्कता अधिष्ठान यानी विजिलेंस विभाग ने 22 अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. 22 अधिकारियों पर हजारों उद्यमियों पर मेहरबानी करने के आरोप के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है. आरोप के अनुसार, विजिलेंस विभाग में उद्यमियों के नाम पता सहित अन्य जानकारी का पता लगाए बगैर लोन स्वीकृत करने और उसकी वसूली न करने की बात सामने आई है. उत्तर प्रदेश वित्तीय निगम के मुख्य प्रबंधक सहित 22 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
विजिलेंस विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2009 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में कैग रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी. कंपोजिट लोन स्कीम में इस तरह की अनियमितताओं का खुलासा हुआ था. इसके बाद विधानमंडल की सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति के सामने इस विषय को रखा गया था. बाद में बिजनेस विभाग की खुली जांच के आदेश दिए गए थे. विजिलेंस विभाग ने पिछले साल जुलाई महीने में अपनी विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपी थी, जिसके बाद शासन के निर्देश पर अब मुकदमा दर्ज किया गया है.
विजिलेंस विभाग की जांच में यह बात सामने आई थी कि सुलतानपुर, लखीमपुर, हरदोई, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, गोंडा, बहराइच, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, देहरादून, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, मुजफ्फरनगर और शामली के करीब 800 उद्यमियों को लोन दिया गया था. इनमें से 387 से इसकी वसूली ही नहीं की गई थी. इसी तरह अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस सहित कई अन्य जगहों के 284 से अधिक उद्यमियों में से 73 उद्यमियों से लोन की वसूली भी नहीं की गई. फिरोजाबाद, मैनपुरी, आगरा, मथुरा में 930 उद्यमियों में से करीब 326 से वसूली नहीं हुई. हापुड़ और गाजियाबाद में करीब 503 से वसूली नहीं की गई, जिसके बाद एफआईआर कराई गई है.
दर्ज की गई एफआईआर में उत्तर प्रदेश वित्तीय निगम के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक डी के माथुर, क्षेत्रीय प्रबंधक डीके महल, बीके चौधरी, पीएस लाल, बीएल यादव, एससी शर्मा, आई पी सेंगर, एससी शर्मा, एमएम बंका, एस चंद्रा, डीके सक्सेना, आर के पांडे, आरबी कुमार, अरुण प्रकाश सहित 22 अधिकारी शामिल हैं.
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