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Lucknow University: यूजी की पढ़ाई में होगा यह बदलाव, 4 साल में बैचलर इन रिसर्च की डिग्री - lucknow university news

लखनऊ विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति के तहत यूजी की पढ़ाई में बदलाव करने का फैसला किया है. यूपी में दाखिला लेने के बाद अगर छात्र एक साल बाद पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे प्रमाण पत्र दिया जाए. इसी तरह 2 साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा और 3 साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री दी जाएगी.

Lucknow University
लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : Jun 14, 2021, 8:29 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) शैक्षिक सत्र 2021-22 में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत यूजी (स्नातक) की पढ़ाई में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. यूपी में दाखिला लेने के बाद अगर छात्र एक साल बाद पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे प्रमाण पत्र दिया जाए. इसी तरह 2 साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा और 3 साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री दी जाएगी. अगर छात्र 4 साल की पढ़ाई पूरी कर लेता है तो उसे बैचलर्स इन रिसर्च की डिग्री मिलेगी. इसे लेकर विभागों में बैठकों का दौर तेज हो गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त तक उसकी तस्वीर साफ हो जाएगी.

पीजी में पहले ही दिया विकल्प

नई शिक्षा नीति में छात्रों को पढ़ाई के दौरान मल्टीपल एंट्री (multiple entry) और एग्जिट दिए जाने की व्यवस्था की गई है. इसके तहत यदि कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ कर जाता है तो उसका नुकसान नहीं होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय शैक्षिक सत्र 2020-21 में पहले ही परास्नातक यानी पीजी की पढ़ाई व्यवस्था को लागू कर चुका है. अब यूजी में इसे लागू करने की तैयारी की जा रही है.

चौथे साल में छात्र जानेंगे शोध के तरीके

लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से नए सत्र में यूजी को 4 साल का किए जाने की तैयारियां चल रही हैं. जानकारों की मानें तो इस नए प्रारूप में शोध को शामिल किया गया है. स्नातक के पहले 3 वर्षों में जहां छात्र को विषय के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी, वहीं चौथे वर्ष उन्हें शोध के बारे में सीखने को मिलेगा. इसका फायदा लखनऊ विश्वविद्यालय और उससे जुड़े सभी महाविद्यालयों के छात्रों को मिल सकेगा.


कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर बना चुनौती

विश्वविद्यालय प्रशासन इस व्यवस्था को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयारियों में जुटा हुआ है. इसीलिए सबसे बड़ी चुनौती कॉलेजों में संसाधनों का अभाव है. अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो कॉलेजों के स्तर पर लाइब्रेरी से लेकर रिसर्च सेल तक का गठन करना होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े लखनऊ में कॉलेजों की संख्या करीब 170 है. प्रदेश की राजधानी में संचालित उन कॉलेजों में भी अभी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, जबकि विश्वविद्यालय की ओर से इस नई व्यवस्था को लखीमपुर खीरी, सीतापुर, रायबरेली, हरदोई के कॉलेजों में भी लागू किया जाएगा. ऐसे में यह कॉलेजों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

इसे भी पढ़ें- नौकरी से निकाले जाने पर युवक ने ऐसे लिया मालिक से बदला, सहम गए लोग

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) शैक्षिक सत्र 2021-22 में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत यूजी (स्नातक) की पढ़ाई में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. यूपी में दाखिला लेने के बाद अगर छात्र एक साल बाद पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे प्रमाण पत्र दिया जाए. इसी तरह 2 साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा और 3 साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री दी जाएगी. अगर छात्र 4 साल की पढ़ाई पूरी कर लेता है तो उसे बैचलर्स इन रिसर्च की डिग्री मिलेगी. इसे लेकर विभागों में बैठकों का दौर तेज हो गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त तक उसकी तस्वीर साफ हो जाएगी.

पीजी में पहले ही दिया विकल्प

नई शिक्षा नीति में छात्रों को पढ़ाई के दौरान मल्टीपल एंट्री (multiple entry) और एग्जिट दिए जाने की व्यवस्था की गई है. इसके तहत यदि कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ कर जाता है तो उसका नुकसान नहीं होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय शैक्षिक सत्र 2020-21 में पहले ही परास्नातक यानी पीजी की पढ़ाई व्यवस्था को लागू कर चुका है. अब यूजी में इसे लागू करने की तैयारी की जा रही है.

चौथे साल में छात्र जानेंगे शोध के तरीके

लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से नए सत्र में यूजी को 4 साल का किए जाने की तैयारियां चल रही हैं. जानकारों की मानें तो इस नए प्रारूप में शोध को शामिल किया गया है. स्नातक के पहले 3 वर्षों में जहां छात्र को विषय के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी, वहीं चौथे वर्ष उन्हें शोध के बारे में सीखने को मिलेगा. इसका फायदा लखनऊ विश्वविद्यालय और उससे जुड़े सभी महाविद्यालयों के छात्रों को मिल सकेगा.


कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर बना चुनौती

विश्वविद्यालय प्रशासन इस व्यवस्था को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयारियों में जुटा हुआ है. इसीलिए सबसे बड़ी चुनौती कॉलेजों में संसाधनों का अभाव है. अगर यह व्यवस्था लागू होती है तो कॉलेजों के स्तर पर लाइब्रेरी से लेकर रिसर्च सेल तक का गठन करना होगा. लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े लखनऊ में कॉलेजों की संख्या करीब 170 है. प्रदेश की राजधानी में संचालित उन कॉलेजों में भी अभी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, जबकि विश्वविद्यालय की ओर से इस नई व्यवस्था को लखीमपुर खीरी, सीतापुर, रायबरेली, हरदोई के कॉलेजों में भी लागू किया जाएगा. ऐसे में यह कॉलेजों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

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