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एलयू के छात्र पढ़ेंगे कार्ल मार्क्स के वामपंथी सिद्धांत

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Published : Feb 21, 2021, 9:26 AM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय अब अपने छात्रों को कार्ल मार्क्स के वामपंथी सिद्धांतों को पढ़ाएगा. राजनीति शास्त्र के छात्र पढ़ेंगे कि कैसे जयप्रकाश नारायण के समाजवादी सिद्धांतों ने युवाओं को राष्ट्रव्यापी आंदोलन खड़ा करने के लिए तैयार किया.

लखनऊ विश्वविद्यालय
लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग ने अपने सिलेबस में बदलाव किया है. यह पहली बार है जब विश्वविद्यालय के पीजी पाठ्यक्रम में अब राजनीतिक सिद्धांतों और विचारधारा को जगह दी गई है. विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के छात्रों को अब कार्ल मार्क्स के वामपंथी सिद्धांतों को जानने का मौका मिलेगा.

सिलेबस में बड़ा बदलाव
राजनीति शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शशि शुक्ला ने बताया कि सिलेबस में बदलाव से पहले छात्रों और दूसरे विश्वविद्यालयों से फीडबैक लिया गया. यूजीसी नेट, सिविल सेवा जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किए गए. प्रोफेसर शशि शुक्ला ने बताया कि पहली बार पीजी के सिलेबस में राजनीतिक सिद्धांत और विचारधाराओं को शामिल किया गया है. इसे पीजी के पहले सेमेस्टर में जोड़ा गया.

मनु, कौटिल्य और पंडित दीनदयाल भी शामिल
अब छात्रों को मनु, कौटिल्य, शुक्र जैसे प्राचीन राजनीतिक चिंतकों से लेकर विवेकानंद, अरविंद घोष, रविंद्र नाथ टैगोर, बाल गंगाधर तिलक, जवाहरलाल नेहरू, ज्योतिबा फूले, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे राजनीतिक चिंतकों को जोड़ा गया है. छात्रों को महात्मा गांधी के स्वशासन और लोकतांत्रिक प्रशासन से भी रूबरू कराया जाएगा. छात्रों को मार्क्सवाद से लेकर उदारवाद, समाजवाद, आधुनिकतावाद, बहुसंस्कृतिवाद और राष्ट्रवाद को भी पढ़ने का मौका मिलेगा.

भारत-पाक की विदेश नीति भी सिलेबस में शामिल
अभी तक विश्वविद्यालय में छात्रों को पश्चिम एशिया यानी ईरान, इराक, इजरायल की विदेश नीति पढ़ाई जाती रही है. लेकिन अब उन्हें पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत की विदेश नीति का अध्ययन करने का मौका मिलेगा. इसे पीजी के चौथे सेमेस्टर में शामिल किया गया है.

लखनऊः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग ने अपने सिलेबस में बदलाव किया है. यह पहली बार है जब विश्वविद्यालय के पीजी पाठ्यक्रम में अब राजनीतिक सिद्धांतों और विचारधारा को जगह दी गई है. विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के छात्रों को अब कार्ल मार्क्स के वामपंथी सिद्धांतों को जानने का मौका मिलेगा.

सिलेबस में बड़ा बदलाव
राजनीति शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शशि शुक्ला ने बताया कि सिलेबस में बदलाव से पहले छात्रों और दूसरे विश्वविद्यालयों से फीडबैक लिया गया. यूजीसी नेट, सिविल सेवा जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किए गए. प्रोफेसर शशि शुक्ला ने बताया कि पहली बार पीजी के सिलेबस में राजनीतिक सिद्धांत और विचारधाराओं को शामिल किया गया है. इसे पीजी के पहले सेमेस्टर में जोड़ा गया.

मनु, कौटिल्य और पंडित दीनदयाल भी शामिल
अब छात्रों को मनु, कौटिल्य, शुक्र जैसे प्राचीन राजनीतिक चिंतकों से लेकर विवेकानंद, अरविंद घोष, रविंद्र नाथ टैगोर, बाल गंगाधर तिलक, जवाहरलाल नेहरू, ज्योतिबा फूले, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे राजनीतिक चिंतकों को जोड़ा गया है. छात्रों को महात्मा गांधी के स्वशासन और लोकतांत्रिक प्रशासन से भी रूबरू कराया जाएगा. छात्रों को मार्क्सवाद से लेकर उदारवाद, समाजवाद, आधुनिकतावाद, बहुसंस्कृतिवाद और राष्ट्रवाद को भी पढ़ने का मौका मिलेगा.

भारत-पाक की विदेश नीति भी सिलेबस में शामिल
अभी तक विश्वविद्यालय में छात्रों को पश्चिम एशिया यानी ईरान, इराक, इजरायल की विदेश नीति पढ़ाई जाती रही है. लेकिन अब उन्हें पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत की विदेश नीति का अध्ययन करने का मौका मिलेगा. इसे पीजी के चौथे सेमेस्टर में शामिल किया गया है.

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