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लखनऊ विश्वविद्यालय में फिर से होगा छात्रसंघ चुनाव, रास्ता साफ

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Published : Dec 14, 2019, 4:54 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव से रोक हट गई है. एलयू के छात्रसंघ चुनाव संबंधी प्रावधान को चुनौती देने वाली एक याचिका पर लखनऊ हाईकोर्ट बेंच ने 17 अक्टूबर 2012 को रोक लगा दी थी.

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लखनऊ विश्वविद्यालय में फिर से होगा छात्रसंघ चुनाव, रास्ता साफ

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) के छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं को याचियों ने स्वयं वापस लेने की गुहार कोर्ट से लगाई. इसे लखनऊ हाईकोर्ट की बेंच ने स्वीकार करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया. याचिका खारिज होते ही एलयू में छात्रसंघ चुनाव का रास्ता साफ हो गया है.

एलयू के छात्रसंघ चुनाव सम्बंधी प्रावधान को चुनौती देने वाली एक याचिका पर न्यायालय ने 17 अक्टूबर 2012 को रोक लगा दी थी. कुछ वर्षों में अन्य याचिकाएं भी छात्रसंघ चुनाव को लेकर दाखिल की गईं. इन्हें न्यायालय ने 2012 की याचिका से सम्बद्ध कर दिया. उक्त सभी याचियों ने अपनी याचिकाएं वापस लेने की अनुमति मांगी. इसे न्यायालय ने मंजूर करते हुए, सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.

लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव पर कोर्ट की रोक हटी
यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी व न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वर्ष 2012 में दाखिल हेमंत सिंह, वर्ष 2016 में दाखिल संजय सिंह व वर्ष 2017 में दाखिल विवेक सिंह व हिमांशु सिंह की याचिकाओं पर दिया. हेमंत सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 17 अक्टूबर 2012 को एलयू के छात्रसंघ चुनावों पर अंतरिम तौर पर रोक लगा दी थी. याची ने शिक्षण सत्र शुरू करने की तारीख से प्रत्याशियों की उम्र की गणना करने और लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक चुनाव कराने की मांग की थी.

चुनाव पर लगी था रोक
याची की ओर से एलयू छात्रसंघ संविधान के नियम 8(बी)(9) को चुनौती देते हुए कहा गया था कि विश्वविद्यालय के चुनाव संबंधी कानून में प्रत्याशियों की उम्र की गणना उनकी नामांकन तिथि से करने का प्रावधान है. जबकि लिंगदोह समिति की सिफारिशों के तहत सत्र शुरू होने के छह से आठ सप्ताह के बीच चुनाव कराया जाना चाहिए. कहा गया कि इस आधार पर उक्त प्रावधान कानून की मंशा के खिलाफ है और इसे लागू करने से याची को चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ रहा है. न्यायालय ने इस विषय पर जवाबी हलफनामा तलब करते हुए चुनाव पर रोक लगा दी थी.

हालांकि याचिकाएं वापस लिए जाने के बाद न्यायालय का उक्त अंतरिम आदेश समाप्त हो गया है. संजय सिंह, विवेक सिंह व हिमांशु सिंह की याचिकाओं को वापस लिए जाने के अनुरोध के साथ-साथ वर्तमान अकादमिक सत्र अथवा आगामी अकादमिक सत्र के सम्बंध में याचिका दाखिल करने की छूट दिये जाने की भी मांग की गई, जिसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया है.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) के छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं को याचियों ने स्वयं वापस लेने की गुहार कोर्ट से लगाई. इसे लखनऊ हाईकोर्ट की बेंच ने स्वीकार करते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया. याचिका खारिज होते ही एलयू में छात्रसंघ चुनाव का रास्ता साफ हो गया है.

एलयू के छात्रसंघ चुनाव सम्बंधी प्रावधान को चुनौती देने वाली एक याचिका पर न्यायालय ने 17 अक्टूबर 2012 को रोक लगा दी थी. कुछ वर्षों में अन्य याचिकाएं भी छात्रसंघ चुनाव को लेकर दाखिल की गईं. इन्हें न्यायालय ने 2012 की याचिका से सम्बद्ध कर दिया. उक्त सभी याचियों ने अपनी याचिकाएं वापस लेने की अनुमति मांगी. इसे न्यायालय ने मंजूर करते हुए, सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.

लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव पर कोर्ट की रोक हटी
यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी व न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वर्ष 2012 में दाखिल हेमंत सिंह, वर्ष 2016 में दाखिल संजय सिंह व वर्ष 2017 में दाखिल विवेक सिंह व हिमांशु सिंह की याचिकाओं पर दिया. हेमंत सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 17 अक्टूबर 2012 को एलयू के छात्रसंघ चुनावों पर अंतरिम तौर पर रोक लगा दी थी. याची ने शिक्षण सत्र शुरू करने की तारीख से प्रत्याशियों की उम्र की गणना करने और लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक चुनाव कराने की मांग की थी.

चुनाव पर लगी था रोक
याची की ओर से एलयू छात्रसंघ संविधान के नियम 8(बी)(9) को चुनौती देते हुए कहा गया था कि विश्वविद्यालय के चुनाव संबंधी कानून में प्रत्याशियों की उम्र की गणना उनकी नामांकन तिथि से करने का प्रावधान है. जबकि लिंगदोह समिति की सिफारिशों के तहत सत्र शुरू होने के छह से आठ सप्ताह के बीच चुनाव कराया जाना चाहिए. कहा गया कि इस आधार पर उक्त प्रावधान कानून की मंशा के खिलाफ है और इसे लागू करने से याची को चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ रहा है. न्यायालय ने इस विषय पर जवाबी हलफनामा तलब करते हुए चुनाव पर रोक लगा दी थी.

हालांकि याचिकाएं वापस लिए जाने के बाद न्यायालय का उक्त अंतरिम आदेश समाप्त हो गया है. संजय सिंह, विवेक सिंह व हिमांशु सिंह की याचिकाओं को वापस लिए जाने के अनुरोध के साथ-साथ वर्तमान अकादमिक सत्र अथवा आगामी अकादमिक सत्र के सम्बंध में याचिका दाखिल करने की छूट दिये जाने की भी मांग की गई, जिसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया है.

छात्रसंघ चुनावों पर रोक सम्बंधी हाईकोर्ट का आदेश समाप्त
याचियों ने अपनी याचिकाएं वापस लीं, वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक
विधि संवाददाता
लखनऊ
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने सम्बंधी हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का अंतरिम आदेश समाप्त हो गया है एलयू के छात्रसंघ चुनाव सम्बंधी प्रावधान को चुनौती देने वाली एक याचिका पर न्यायालय ने 17 अक्टूबर 2012 को रोक लगा दी थी बाद के वर्षों में कुछ अन्य याचिकाएं भी इसी विषय पर दाखिल की गईं, जिन्हें न्यायालय ने 2012 की याचिका से सम्बद्ध कर दिया उक्त सभी याचिकाओं के याचियों ने याचिकाएं वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे न्यायालय ने मंजूर करते हुए, याचिकाओं को खारिज कर दिया
    यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी व न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वर्ष 2012 में दाखिल हेमंत सिंह, वर्ष 2016 में दाखिल संजय सिंह व वर्ष 2017 में दाखिल विवेक सिंह व हिमांशु सिंह की याचिकाओं पर पारित किया
हेमंत सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायालय ने 17 अक्टूबर 2012 को एलयू के छात्रसंघ चुनावों पर अंतरिम तौर पर रोक लगा दी थी याची ने शिक्षण सत्र शुरू करने की तारीख से प्रत्याशियों की उम्र की गणना करने और लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक चुनाव कराने की मांग की थी याची की ओर से एलयू छात्रसंघ संविधान के नियम 8(बी)(9) को चुनौती देते हुए कहा गया था कि विश्वविद्यालय के चुनाव संबंधी कानून में प्रत्याशियों की उम्र की गणना उनकी नामांकन तिथि से करने का प्रावधान है, जबकि लिंगदोह समिति की सिफारिशों के तहत सत्र शुरू होने के छह से आठ सप्ताह के बीच चुनाव कराया जाना चाहिए कहा गया कि इस आधार पर उक्त प्रावधान कानून की मंशा के खिलाफ है और इसे लागू करने से याची को चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ रहा है। न्यायालय ने इस विषय पर जवाबी हलफनामा तलब करते हुए, चुनाव पर रोक लगा दिया था 
    हालांकि याचिकाएं वापस लिए जाने के बाद, न्यायालय का उक्त अंतरिम आदेश समाप्त हो गया है
संजय सिंह, विवेक सिंह व हिमांशु सिंह की याचिकाओं को वापस लिए जाने के अनुरोध के साथ-साथ वर्तमान अकादमिक सत्र अथवा आगामी अकादमिक सत्र के सम्बंध में याचिका दाखिल करने की छूट दिये जाने की भी मांग की गई, जिसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया है   


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Chandan Srivastava
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