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लखनऊ विश्वविद्यालय तय नहीं कर पा रहा चार जिलों के कॉलेजों की फीस, फंसा दिए दाखिले

लखनऊ विश्वविद्यालय की लापरवाही से हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी और रायबरेली के करीब 350 कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया फंस गई है. विश्वविद्यालय प्रशासन अभी तक इन कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं के परीक्षा शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क के संबंध में फैसला ही नहीं ले पाया.

विश्वविद्यालय तय नहीं कर पा रहा चार जिलों के कॉलेजों की फीस
विश्वविद्यालय तय नहीं कर पा रहा चार जिलों के कॉलेजों की फीस
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Published : Oct 9, 2021, 3:18 PM IST

लखनऊः एलयू की लापरवाही से हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी और रायबरेली के करीब 350 कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया फंस गई है. जबकि आधिकारिक तौर पर विश्वविद्यालय में एकेडमिक सत्र की शुरुआत कर दी गई है. अगले महीने यानी नवंबर में ही मिड सेमेस्टर एग्जाम भी होने हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर की जा रही इस देरी ने सैकड़ों कॉलेजों और लाखों छात्र-छात्राओं के सामने भविष्य का संकट खड़ा कर दिया है. ये कॉलेज अभीतक कानपुर विश्विविद्यालय से जुड़े थे. वहां के परीक्षा, पंजीकरण शुल्क और लखनऊ विश्वविद्यालय के शुल्क में काफी अंतर है. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉक्टर दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस पूरे प्रकरण को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से एक समिति का गठन किया गया है. समिति पूरे प्रकरण की समीक्षा कर रही है. जल्द ही इस संबंध में उचित फैसला लिया जाएगा.

यूपी सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय का दायरा और बढ़ा दिया है. कानपुर विश्वविद्यालय से 4 जिलों के कॉलेजों को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय में जोड़ दिया गया है. करीब 340 नए कॉलेज जुड़े हैं. जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय को तो फायदा हुआ, लेकिन अब इन जिलों के छात्र-छात्राओं से लेकर यहां के कॉलेज संचालकों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. कई कॉलेजों की फीस 2 गुना तक बढ़ गई है. कानपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्विविद्यालय के परीक्षा शुल्क, पंजीकरण शुक्ल समेत अन्य मदों में कॉलेजों से लिए जाने वाले शुल्क में बड़ा अंतर है. जिसका सीधा भार छात्रों और अभिवावकों पर पड़ता है.

लखीमपुर खीरी के एक निजी कॉलेज में B.A. की फीस करीब 5,000 रुपये थी. इसमें, करीब 500 रुपये परीक्षा शुल्क, कानपुर विश्वविद्यालय को जाता था. अब लखनऊ विश्वविद्यालय का परीक्षा शुल्क ही 4 से 5000 हजार रुपये के बीच में है. यही हाल बीएससी का भी है. बीएससी का शुल्क इन कॉलेजों में करीब 6,000 हजार रुपये प्रति वर्ष हुआ करता था. जो कि लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा शुल्क के आसपास ही है. बीए, बीएससी, बीकॉम पाठ्यक्रमों में लखीमपुर खीरी के महाविद्यालयों को कुल शुल्क 2500 रुपये से 4000 रुपये प्रति वर्ष तक ही छात्रों से प्राप्त हो पाता है. जिसमें छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर का परीक्षा शुल्क व नामांकन/आवेदन शुल्क लगभग 955 रुपये भी वार्षिक शिक्षण शुल्क में ही सम्मिलित है. इस प्रकार जनपद लखीमपुर खीरी के महाविद्यालय परीक्षा शुल्क और आवेदन शुल्क देने के बाद 1500 से 3000 रुपये प्रतिवर्ष प्रति छात्र में ही महाविद्यालय के वेतन, अवस्थापना संबंधी विकास, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, भवन मरम्मत, कामर्शियल बिजली के बिल आदि को व्यवस्थित कर रहें हैं. खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन का दावा है कि लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का वर्तमान शुल्क लागू किए जाने की दशा में महाविद्यालय दम तोड़ देंगे.

लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का बीए, बीएससी, बी.कॉम प्रथम वर्ष में परीक्षा शुल्क और नामांकन/पंजीकरण शुल्क 5000-6000 रुपये तक है. प्रतिवर्ष प्रतिछात्र को इस फीस के अतिरिक्त महाविद्यालयों पर लगाया गया शिक्षक अनुमोदन शुल्क, निरीक्षण शुल्क और सम्बद्धता शुल्क का आर्थिक भार भी छात्रों पर ही पड़ेगा.

इसे भी पढ़ें- मायावती को जनता के दुख दर्द से लेना-देना नहीं, घृणा की दृष्टि से देखते हैं उनके समाज के लोग: कांग्रेस

खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश कुमार सिंह का कहना है कि इतनी अधिक बढ़ी हुई फीस दे पाना यहां के छात्रों और अभिभावकों के लिए संभव ही नहीं है. जब तक विश्वविद्यालय की तरफ से फीस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होती है, तब तक इन कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाएगी.

लखनऊः एलयू की लापरवाही से हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी और रायबरेली के करीब 350 कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया फंस गई है. जबकि आधिकारिक तौर पर विश्वविद्यालय में एकेडमिक सत्र की शुरुआत कर दी गई है. अगले महीने यानी नवंबर में ही मिड सेमेस्टर एग्जाम भी होने हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर की जा रही इस देरी ने सैकड़ों कॉलेजों और लाखों छात्र-छात्राओं के सामने भविष्य का संकट खड़ा कर दिया है. ये कॉलेज अभीतक कानपुर विश्विविद्यालय से जुड़े थे. वहां के परीक्षा, पंजीकरण शुल्क और लखनऊ विश्वविद्यालय के शुल्क में काफी अंतर है. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉक्टर दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस पूरे प्रकरण को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से एक समिति का गठन किया गया है. समिति पूरे प्रकरण की समीक्षा कर रही है. जल्द ही इस संबंध में उचित फैसला लिया जाएगा.

यूपी सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय का दायरा और बढ़ा दिया है. कानपुर विश्वविद्यालय से 4 जिलों के कॉलेजों को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय में जोड़ दिया गया है. करीब 340 नए कॉलेज जुड़े हैं. जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय को तो फायदा हुआ, लेकिन अब इन जिलों के छात्र-छात्राओं से लेकर यहां के कॉलेज संचालकों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. कई कॉलेजों की फीस 2 गुना तक बढ़ गई है. कानपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्विविद्यालय के परीक्षा शुल्क, पंजीकरण शुक्ल समेत अन्य मदों में कॉलेजों से लिए जाने वाले शुल्क में बड़ा अंतर है. जिसका सीधा भार छात्रों और अभिवावकों पर पड़ता है.

लखीमपुर खीरी के एक निजी कॉलेज में B.A. की फीस करीब 5,000 रुपये थी. इसमें, करीब 500 रुपये परीक्षा शुल्क, कानपुर विश्वविद्यालय को जाता था. अब लखनऊ विश्वविद्यालय का परीक्षा शुल्क ही 4 से 5000 हजार रुपये के बीच में है. यही हाल बीएससी का भी है. बीएससी का शुल्क इन कॉलेजों में करीब 6,000 हजार रुपये प्रति वर्ष हुआ करता था. जो कि लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा शुल्क के आसपास ही है. बीए, बीएससी, बीकॉम पाठ्यक्रमों में लखीमपुर खीरी के महाविद्यालयों को कुल शुल्क 2500 रुपये से 4000 रुपये प्रति वर्ष तक ही छात्रों से प्राप्त हो पाता है. जिसमें छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर का परीक्षा शुल्क व नामांकन/आवेदन शुल्क लगभग 955 रुपये भी वार्षिक शिक्षण शुल्क में ही सम्मिलित है. इस प्रकार जनपद लखीमपुर खीरी के महाविद्यालय परीक्षा शुल्क और आवेदन शुल्क देने के बाद 1500 से 3000 रुपये प्रतिवर्ष प्रति छात्र में ही महाविद्यालय के वेतन, अवस्थापना संबंधी विकास, प्रयोगशाला, पुस्तकालय, भवन मरम्मत, कामर्शियल बिजली के बिल आदि को व्यवस्थित कर रहें हैं. खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन का दावा है कि लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का वर्तमान शुल्क लागू किए जाने की दशा में महाविद्यालय दम तोड़ देंगे.

लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ का बीए, बीएससी, बी.कॉम प्रथम वर्ष में परीक्षा शुल्क और नामांकन/पंजीकरण शुल्क 5000-6000 रुपये तक है. प्रतिवर्ष प्रतिछात्र को इस फीस के अतिरिक्त महाविद्यालयों पर लगाया गया शिक्षक अनुमोदन शुल्क, निरीक्षण शुल्क और सम्बद्धता शुल्क का आर्थिक भार भी छात्रों पर ही पड़ेगा.

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खीरी सेल्फ फाइनेंस डिग्री कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश कुमार सिंह का कहना है कि इतनी अधिक बढ़ी हुई फीस दे पाना यहां के छात्रों और अभिभावकों के लिए संभव ही नहीं है. जब तक विश्वविद्यालय की तरफ से फीस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होती है, तब तक इन कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाएगी.

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