लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय का सेमेस्टर एक्जाम दिसंबर में प्रस्तावित है. विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही के कारण अभी तक संबद्ध डिग्री कॉलेजों में लास्ट सेमेस्टर में के छात्रों को क्या करना है. इस पर अभी तक विश्वविद्यालय की तरफ से कोई स्पष्ट गाइडलाइन डिग्री कॉलेज को नहीं भेजी गई है. ऐसे में 5 वें सेमेस्टर की परीक्षा देने वाले छात्रों के इंटरनल असेसमेंट करने में डिग्री कॉलेज को काफी दिक्कतें हो रही हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय में वर्ष 2020 में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू हो गई थी. नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय का पहला बैच स्नातक के विभिन्न विषयों की पढ़ाई पूरी कर रहा है. नई शिक्षा नीति में तीसरे वर्ष के छठे सेमेस्टर में विद्यार्थियों को इंटर्नशिप और रिसर्च करने का प्रावधान किया गया है. किसी के आधार पर छात्रों के इंटरनल असेसमेंट भी होने हैं. पर विश्वविद्यालय की ओर से इस को लेकर कोई भी विषयवार स्पष्ट गाइडलाइन किसी भी डिग्री कॉलेज को नहीं भेजी गई है. जिस कारण सेमेस्टर एग्जाम करने से पहले सारे डिग्री कॉलेज में बच्चों के इंटरनल असेसमेंट और प्रोजेक्ट वर्क करने में आ रही है दिक्कत.
स्पष्ट गाइडलाइन नहीं : लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि छठे सेमेस्टर में छात्र को या तो इंटर्नशिप करना है या फिर उसे अपने संबंधित विषय में रिसर्च करना है. लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से स्नातक के विभिन्न विषयों में इंटर्नशिप कर पाना काफी मुश्किल हो रहा है. विशेष तौर पर जो चार नए जिले जो लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़े गए हैं. वहां पर इंटर्नशिप के लिए छात्रों के पास व्यापक इंडस्ट्री व सहूलियतें नहीं हैं और न ही विश्वविद्यालय की तरफ से यह बताया गया है कि अगर छात्र अपने संबंधित विषय में अगर रिसर्च करेंगा तो उनका मूल्यांकन किस आधार पर होगा और उस विषय का क्वेश्चन पेपर किस आधार पर तैयार किए जाएंगे. डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में मौजूदा समय में विश्वविद्यालय परिषद व 545 सम्बद्ध डिग्री कॉलेजो मैं पढ़ रहा है करीब 2 लाख से अधिक छात्रों के सामने यह चुनौती बनकर खड़ा हो गया है.
रिसर्च विकल्प और गाइडलाइन क्लियर करनी चाहिए : डॉ. मनोज पांडे का कहना है कि लखनऊ विश्वविद्यालय के स्नातक विषयों में कई विषय ऐसे हैं. जिसमें इंटर्नशिप के मौके बिल्कुल मौजूद नहीं हैं. ऐसे में इन विषयों के छात्रों के सामने केवल रिसर्च कहीं एक विकल्प बचता है. पर विश्वविद्यालय ने डिग्री कॉलेज को रिसर्च करने के मेथड और उसके मूल्यांकन के लिए जो जरूरी गाइडलाइन जारी की जानी है वह अभी तक उपलब्धि नहीं कराई गई है. हमारे लगातार दबाव देने पर कुछ विषयों के गाइडलाइन तो जारी हुए हैं. सभी कॉलेजों को हर विभाग की तरफ से रिसर्च और इंटर्नशिप की गाइडलाइन मुहैया कराया जाना है, पर अब जब सेमेस्टर एग्जाम सिर पर आ गए हैं तो विश्वविद्यालय प्रशासन के दर्जनों विभाग ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक डिग्री कॉलेज को कुछ भी सूचना नहीं दी है. उन्होंने कहा कि अगर समय रहते यह सूचना और गाइडलाइन नहीं मुहैया कराया गया तो सेमेस्टर एग्जाम से पहले छात्रों के रिसर्च और इंटर्नशिप कर पाना डिग्री कॉलेज के लिए संभव नहीं होगा.
लखनऊ विश्वविद्यालय में नए सत्र से बदलाव, हर सेमेस्टर में एक थ्योरी और एक प्रैक्टिकल का नियम