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LU में लेक्चर टॉपिक में संस्कृत को बताया मृत, विरोध पर कार्यक्रम रद्द - विश्वविद्यालय शिक्षक संघ

लखनऊ विश्वविद्यालय में गुरुवार को संस्कृत भाषा को लेकर घमासान शुरू हो गया. प्रदेश भर के संस्कृत के विद्वान नाराज हो गए. दरअसल, लविवि के अंग्रेजी विभाग की ओर से एक व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसका टॉपिक ‘द राइज आफ मार्डन वर्नाकुलर एंड डेथ आफ संस्कृत: रीडिंग ईश्वर चंद्र विद्यासागर’ रखा गया. इस टॉपिक में संस्कृत को मृत बताने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है. मामला इतना बढ़ा कि ट्विटर के माध्यम से शिकायत मुख्यमंत्री तक पंहुच गई.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : Jul 8, 2021, 5:49 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में गुरुवार को संस्कृत भाषा को लेकर घमासान शुरू हो गया. विश्वविद्यालय में कुछ ऐसा हुआ कि प्रदेश भर के संस्कृत के विद्वान नाराज हो गए. असल में, लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की ओर से एक व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसका टॉपिक ‘द राइज आफ मार्डन वर्नाकुलर एंड डेथ आफ संस्कृत: रीडिंग ईश्वर चंद्र विद्यासागर’ रखा गया. लविवि के अंग्रेजी विभाग की ओर से गुरुवार शाम साढ़े चार बजे से लेक्चर सीरिज के तहत आनलाइन व्याख्यान होना प्रस्तावित किया गया. संस्कृत को मृत बताए जाने को लेकर विद्वान नाराज हैं

लखनऊ विश्वविद्यालय
लखनऊ विश्वविद्यालय



मुख्यमंत्री तक से की गई शिकायत


व्याख्यान में टॉपिक के नाम में संस्कृत को मृत बताने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. बाबा दौलत गिरी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य आचार्य विनोद कुमार मिश्र ने ट्वीटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत दर्ज की है. उन्होंने संस्कृत को मृत बताने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है. संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अशोक कुमार शतपथी ने बताया कि भारत के संविधान के अष्टम शेड्यूल में संस्कृत भाषा के रूप में विद्यमान है. ऐसे में उसे मृत बताना गलत है. लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की ओर से भी इसको लेकर नाराजगी जताई गई है. डा. सत्यकेतु ने लूटा के ग्रुप पर इसका सख्त विरोध किया.

बढ़ते विवाद के बाद फिलहाल कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है. आपको बता दें कि यह कार्यक्रम गुरुवार शाम 4:30 बजे से शुरू होना था. विवाद को बढ़ता देख दोपहर बाद विभाग अध्यक्ष की ओर से इसे स्थगित कर दिया गया.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में गुरुवार को संस्कृत भाषा को लेकर घमासान शुरू हो गया. विश्वविद्यालय में कुछ ऐसा हुआ कि प्रदेश भर के संस्कृत के विद्वान नाराज हो गए. असल में, लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की ओर से एक व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसका टॉपिक ‘द राइज आफ मार्डन वर्नाकुलर एंड डेथ आफ संस्कृत: रीडिंग ईश्वर चंद्र विद्यासागर’ रखा गया. लविवि के अंग्रेजी विभाग की ओर से गुरुवार शाम साढ़े चार बजे से लेक्चर सीरिज के तहत आनलाइन व्याख्यान होना प्रस्तावित किया गया. संस्कृत को मृत बताए जाने को लेकर विद्वान नाराज हैं

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मुख्यमंत्री तक से की गई शिकायत


व्याख्यान में टॉपिक के नाम में संस्कृत को मृत बताने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. बाबा दौलत गिरी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य आचार्य विनोद कुमार मिश्र ने ट्वीटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत दर्ज की है. उन्होंने संस्कृत को मृत बताने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है. संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अशोक कुमार शतपथी ने बताया कि भारत के संविधान के अष्टम शेड्यूल में संस्कृत भाषा के रूप में विद्यमान है. ऐसे में उसे मृत बताना गलत है. लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की ओर से भी इसको लेकर नाराजगी जताई गई है. डा. सत्यकेतु ने लूटा के ग्रुप पर इसका सख्त विरोध किया.

बढ़ते विवाद के बाद फिलहाल कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया है. आपको बता दें कि यह कार्यक्रम गुरुवार शाम 4:30 बजे से शुरू होना था. विवाद को बढ़ता देख दोपहर बाद विभाग अध्यक्ष की ओर से इसे स्थगित कर दिया गया.

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