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जनवरी में प्रस्तावित हैं परीक्षाएं, फिर गरमाया शुल्क कम करने का मामला

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Published : Jan 4, 2023, 8:35 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने दोबारा से कुलपति का कार्यभार संभाल लिया है. जिसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े चार अन्य जिलों के डिग्री कॉलेज के प्रतिनिधि मंडल ने अपनी मांगों को रखा है.

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लखनऊ : लविवि से संबद्ध हुए डिग्री कॉलेजों में एक बार फिर से परीक्षा शुल्क सहित अन्य मुद्दों की फीस कम करने का मामला गरमाता जा रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े चार अन्य जिलों के डिग्री कॉलेज का प्रतिनिधि मंडल विश्वविद्यालय प्रशासन से शैक्षणिक सत्र 2022 से परीक्षा शुल्क सहित अन्य शुल्क कम करने की मांग कर रहा है. लखनऊ यूनिवर्सिटी एफिलिएटेड कॉलेज एसोसिएशन (सेल्फ फाइनेंस) एक बार फिर से विश्वविद्यालय प्रशासन पर फीस सहित अन्य मांगों को लेकर बैठक कर निर्णय लेने की मांग कर रहा है. नव वर्ष के उपलक्ष्य में एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय अधिकारियों से मिलकर उनकी मांगों पर विचार करने को कहा है. बता दें प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने मंगलवार को कुलपति का कार्यभार संभाल लिया है.


लखनऊ यूनिवर्सिटी एफिलिएटेड कॉलेज एसोसिएशन (सेल्फ फाइनेंस) के प्रेसिडेंट रमेश सिंह ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने एक साल पहले हमारी विभिन्न मांगों को हल करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. शुरुआत में तो उस कमेटी की दो तीन बैठकें आयोजित हुईं, जिनमें सेमेस्टर परीक्षा फीस व पंजीकरण फीस मिलाकर कॉलेजों को 1250 की राहत प्रदान की गई. इसके बाद से अन्य मुद्दों को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ. यहां तक कि बीते एक साल से जो कमेटी कुलपति के कहने पर गठित हुई थी. उसकी एक भी बैठक नहीं आयोजित हुई. जिस कारण से एसोसिएशन की मांग पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि शासन ने कानपुर विश्वविद्यालय से हटाकर रायबरेली, हरदोई, सीतापुर व लखीमपुर के डिग्री कॉलेजों को लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध तो कर दिया, लेकिन हमारे फीस सहित दूसरे मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया. इसके लिए हमें लखनऊ विश्वविद्यालय के सहारे छोड़ दिया. एसोसिएशन ने फीस सहित अन्य मुद्दे को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय से मांग की कि हमारी फीस कानपुर विश्वविद्यालय के अनुरूप रखी जाए.


रमेश सिंह ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रथम व तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं जनवरी माह में प्रस्तावित हैं, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय ने अभी तक परीक्षा शुल्क के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया है, जबकि अन्य विश्वविद्यालयों ने शासनादेश के अनुरूप परीक्षा शुल्क निर्धारित करने का आदेश जारी कर दिया है. उन्होंने कहा कि डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा व छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के आदेश का हवाला देते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय की फीस भी उसी आधार पर कम करने मांग की है. इसके अलावा एसोसिएशन महाविद्यालयों की विभिन्न समस्याओं जैसे शिक्षक अनुमोदन, गेस्ट हाउस फीस, सम्बद्धता शुल्क आदि के सम्बन्ध में कुलपति ने चारों जिलों व विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति का गठन किया गया था, लेकिन कई बार अनुरोध करने के बाद भी पिछले लगभग एक वर्ष से कोई बैठक आहूत नहीं हुई है. ज्ञात हो कि लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक अनुमोदन के लिए करीब 1 लाख रुपए, गेस्ट हाउस फीस के नाम पर 5 हजार रुपए लेता है जो दूसरे विश्वविद्यालयों की तुलना में काफी अधिक है.

कुलसचिव डॉ. संजय मेधावी का कहना है कि जल्दी कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी. बीते दिनों यूनिवर्सिटी में कमेटी की बैठक नहीं हो पाई थी. दीक्षांत समारोह के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा.

यह भी पढ़ें : लखनऊ विश्वविद्यालय की विदेशों में शाखा खोलने की तैयारी, कुलपति ने कही ये बात

लखनऊ : लविवि से संबद्ध हुए डिग्री कॉलेजों में एक बार फिर से परीक्षा शुल्क सहित अन्य मुद्दों की फीस कम करने का मामला गरमाता जा रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े चार अन्य जिलों के डिग्री कॉलेज का प्रतिनिधि मंडल विश्वविद्यालय प्रशासन से शैक्षणिक सत्र 2022 से परीक्षा शुल्क सहित अन्य शुल्क कम करने की मांग कर रहा है. लखनऊ यूनिवर्सिटी एफिलिएटेड कॉलेज एसोसिएशन (सेल्फ फाइनेंस) एक बार फिर से विश्वविद्यालय प्रशासन पर फीस सहित अन्य मांगों को लेकर बैठक कर निर्णय लेने की मांग कर रहा है. नव वर्ष के उपलक्ष्य में एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने विश्वविद्यालय अधिकारियों से मिलकर उनकी मांगों पर विचार करने को कहा है. बता दें प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने मंगलवार को कुलपति का कार्यभार संभाल लिया है.


लखनऊ यूनिवर्सिटी एफिलिएटेड कॉलेज एसोसिएशन (सेल्फ फाइनेंस) के प्रेसिडेंट रमेश सिंह ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने एक साल पहले हमारी विभिन्न मांगों को हल करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था. शुरुआत में तो उस कमेटी की दो तीन बैठकें आयोजित हुईं, जिनमें सेमेस्टर परीक्षा फीस व पंजीकरण फीस मिलाकर कॉलेजों को 1250 की राहत प्रदान की गई. इसके बाद से अन्य मुद्दों को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ. यहां तक कि बीते एक साल से जो कमेटी कुलपति के कहने पर गठित हुई थी. उसकी एक भी बैठक नहीं आयोजित हुई. जिस कारण से एसोसिएशन की मांग पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि शासन ने कानपुर विश्वविद्यालय से हटाकर रायबरेली, हरदोई, सीतापुर व लखीमपुर के डिग्री कॉलेजों को लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध तो कर दिया, लेकिन हमारे फीस सहित दूसरे मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया. इसके लिए हमें लखनऊ विश्वविद्यालय के सहारे छोड़ दिया. एसोसिएशन ने फीस सहित अन्य मुद्दे को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय से मांग की कि हमारी फीस कानपुर विश्वविद्यालय के अनुरूप रखी जाए.


रमेश सिंह ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रथम व तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं जनवरी माह में प्रस्तावित हैं, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय ने अभी तक परीक्षा शुल्क के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया है, जबकि अन्य विश्वविद्यालयों ने शासनादेश के अनुरूप परीक्षा शुल्क निर्धारित करने का आदेश जारी कर दिया है. उन्होंने कहा कि डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा व छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के आदेश का हवाला देते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय की फीस भी उसी आधार पर कम करने मांग की है. इसके अलावा एसोसिएशन महाविद्यालयों की विभिन्न समस्याओं जैसे शिक्षक अनुमोदन, गेस्ट हाउस फीस, सम्बद्धता शुल्क आदि के सम्बन्ध में कुलपति ने चारों जिलों व विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति का गठन किया गया था, लेकिन कई बार अनुरोध करने के बाद भी पिछले लगभग एक वर्ष से कोई बैठक आहूत नहीं हुई है. ज्ञात हो कि लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक अनुमोदन के लिए करीब 1 लाख रुपए, गेस्ट हाउस फीस के नाम पर 5 हजार रुपए लेता है जो दूसरे विश्वविद्यालयों की तुलना में काफी अधिक है.

कुलसचिव डॉ. संजय मेधावी का कहना है कि जल्दी कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी. बीते दिनों यूनिवर्सिटी में कमेटी की बैठक नहीं हो पाई थी. दीक्षांत समारोह के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा.

यह भी पढ़ें : लखनऊ विश्वविद्यालय की विदेशों में शाखा खोलने की तैयारी, कुलपति ने कही ये बात

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