लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं अगले महीने शुरू होने जा रही हैं, लेकिन अब अचानक विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रथम सेमेस्टर के छात्रों के सिलेबस में बदलाव करने का फैसला लिया है. सभी विभागों को सोमवार को ही बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक कर नए सिलेबस पर मुहर लगाने और अन्य औपचारिकताएं जल्द पूरा करने की हिदायत दी गई है. सोमवार को इसी सिलसिले में विश्वविद्यालय के कई विभागों में बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक कराई गई. मंगलवार को फैकल्टी बोर्ड की भी बैठक होगी.
विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले से छात्रों और शिक्षकों में नाराजगी
सेमेस्टर परीक्षा के एक महीने पहले लिए गए विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले को लेकर छात्रों और शिक्षकों दोनों में नाराजगी है. शिक्षकों का कहना है कि सेमेस्टर की पढ़ाई के दौरान इस तरह के फेरबदल से छात्रों को नुकसान हो सकता है. संशोधित पाठ्यक्रमों में कई विषयों में नया कंटेंट जोड़ा जा रहा है. वहीं, कई पेपर में टॉपिक्स घटाए जा रहे हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री डॉक्टर विनीत वर्मा का कहना है कि नए सत्र के दाखिले एक-दो महीने में शुरू होने जा रहे हैं. यह फेरबदल अगले सत्र से लागू किया जाना चाहिए था. जल्दबाजी का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ सकता है.
सिलेबस की हो रही रिस्ट्रक्चरिंग
विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि नया सिलेबस नहीं जोड़ा जा रहा है. सिर्फ नई शिक्षा नीति के अनुरूप सिलेबस की रिस्ट्रक्चरिंग की जा रही है. सिलेबस रिस्ट्रक्चरिंग समिति के सदस्य प्रोफेसर पीयूष भार्गव ने बताया कि पहले विभागों ने सीबीसीएस के हिसाब से अलग-अलग क्रेडिट पॉइंट्स के आधार पर सिलेबस को डिजाइन किया था. अब नई शिक्षा नीति को आधार बनाकर परास्नातक के सभी संकाय और सभी विभागों के पाठ्यक्रमों को 96 क्रेडिट के आधार पर रिस्ट्रक्चर किया जा रहा है. उनका कहना है कि कुछ फेरबदल होगा, लेकिन छात्रों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी. अभी यह सिर्फ परास्नातक पाठ्यक्रम पर लागू किया गया है. लखनऊ विश्वविद्यालय और अन्य महाविद्यालयों में करीब 50 हजार से ज्यादा छात्रों ने इस साल स्नातक और परास्नातक प्रथम सेमेस्टर में दाखिला लिया है. अचानक होने वाले इस फेरबदल के कारण हजारों छात्रों को परीक्षा में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.