लखनऊ : राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में नाकाम पुलिस अब प्राइवेट सुरक्षा गार्ड के सहारे है. शहर के 19 चौराहों पर इन सुरक्षा गार्ड्स की बकायदा ट्रेनिंग देकर तैनाती भी कर दी गई है. इन सुरक्षा गार्ड्स को ट्रैफिक मैनेजमेंट का जिम्मा लखनऊ के संयुक्त पुलिस कमिश्नर पीयूष mordiya ने सौंपा है. इसके लिए बकायदा एक एनजीओ से करार किया गया और फिर एनजीओ ने राजधानी की ही एक सिक्योरिटी एजेंसी को हायर किया है. एजेंसी द्वारा बकायदा इन गार्ड्स को 12 हजार रुपये वेतन भी भुगतान करने का भी वादा कर रही है.
संयुक्त पुलिस कमिश्नर ने दी है NGO को जिम्मेदारी : राजधानी के चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए लखनऊ पुलिस ने कानपुर की एनजीओ अच्युतम आत्मनिर्भर फाउंडेशन को शुरुवाती दौर में एक माह के लिए जिम्मेदारी दी है. संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था पियूष mordiya द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यदि एक माह में संस्था द्वारा किया गया कार्य संतोषजनक रहा तो कार्य की अवधि आगे भी बढ़ाई जाएगी. अच्युतम आत्मनिर्भर फाउंडेशन के डायरेक्टर सौरभ सिन्हा ने बताया कि वो पुलिस के साथ मिलकर राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना चाहते थे. जिसके लिए उन्होंने संयुक्त पुलिस कमिश्नर से संपर्क किया और उन्हें इस काम करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि अभी फिलहाल ये काम लखनऊ में शुरू किया गया है आगे पूरे प्रदेश में किया जाएगा. सिन्हा ने बताया कि चौराहों पर गार्ड्स तैनात करने के प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी के साथ करार किया है.
निजी एजेंसी गार्ड्स को देगी वेतन : राजधानी के 19 चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए 100 प्राइवेट सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए है. इन सभी गार्ड्स की नियुक्त 20 दिन पहले ही की गई है. जिन्हें राजधानी की प्राइवेट सुरक्षा एजेंसी पृथ्वी ने हायर किया है. इन गार्ड्स को काम के एवज में 12,700 रुपये वेतन के रूप में दिया जाएगा. एजेंसी के डायरेक्टर अनूप सिंह भदौरिया के मुताबिक एनजीओ ने उन्हें इन गार्ड को नियुक्ति और ट्रेनिंग करने के लिए करार किया है. इसका वेतन एनजीओ ही करेगा. अनूप सिंह ने बताया कि इन सभी गार्ड्स की पुलिस लाइन में बकायदा ट्रेनिंग दी गई है. यह ट्रेनिंग ट्रैफिक पुलिस के इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ने दिलाई है.
प्राइवेट गार्ड्स को मिल रही ड्यूटी : प्रदेश भर में ट्रैफिक व्यवस्था पुलिस और होमगार्डस के जवान संभाल रहे है. कई जिलों में कुछ एक पीआरडी जवानों को भी शामिल किया गया है. हालांकि विभाग के पास पीआरडी जवानों को उपलब्धता होने के बाद भी प्राइवेट गार्ड्स की मदद लेना सवालों के घेरे में है. पीआरडी संगठन के सदस्य सज्जाद कहते हैं कि वो और उनके साथ ड्यूटी के लिए इंतजार करते है. लेकिन महीनों उन्हें घर पर बैठना पड़ता है. जबकि पुलिस विभाग चाहे उन्हे आराम से समाहित कर सकता है. लेकिन पीआरडी जवानों के मौजूद होने पर भी ट्रैफिक व्यवस्था के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किए जा रहे. सज्जाद कहते हैं कि यदि वह पूरे माह ड्यूटी करते है तो उनकी मासिक तनख्वाह 11,850 रुपये बनती है. इन प्राइवेट सुरक्षा गार्ड की तनख्वाह 12,700 रुपये है. वो कहते हैं कि भले ही इन्हें एनजीओ भुगतान कर रही हो, लेकिन सेवा तो ट्रैफिक पुलिस ही ले रही है.
ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों को नही है सुरक्षा गार्ड्स की जानकारी : डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर से जब सड़कों पर ट्रैफिक कंट्रोल कर रहे इन निजी सुरक्षा गार्ड की जानकारी ली गई तो उन्होंने ऐसी किसी भी जानकारी होने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसी किसी भी सुरक्षा एजेंसी के गार्ड तैनात नहीं लिए है. एडीसीपी ट्रैफिक अजय कुमार के मुताबिक अच्युतम आत्मनिर्भर फाउंडेशन नाम की एनजीओ ने संयुक्त पुलिस कमिश्नर से ट्रैफिक कंट्रोल के लिए पुलिस की सहायता करने के लिए निवेदन किया था. जिन्हें संयुक्त पुलिस कमिश्नर के आदेश के बाद हर चौराहों पर तैनात किया गया है. इससे ट्रैफिक विभाग का कोई भी संबंध नहीं है.
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