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राज्य के सर्वोच्च खेल सम्मान के हकदार बने लखनऊ के सितारे

यूपी के लखनऊ में रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ योगी ने खिलाड़ियों को सर्वोच्च खेल सम्मान से नवाजा. इस दौरान राजधानी के तीन खिलाड़ी अबू हुबैदा, विमला सिंह और स्वर्णिमा को भी सम्मानित किया गया. इस दौरान उन्होंने अवार्ड पाने के बाद अपनी खुशी जाहिर की.

अबू हुबैदा को किया सम्मानित
अबू हुबैदा को किया सम्मानित
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Published : Jan 24, 2021, 10:51 PM IST

लखनऊः यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को जब राज्य के सर्वोच्च खेल सम्मान से प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सम्मानित किया तो इस समारोह में लखनऊ की अलग ही चमक थी. दरअसल, लक्ष्मण अवार्ड पाने वाले लखनऊ के अबु हुबैदा पैरा बैडमिंटन के इंटरनेशनल प्लेयर हैं और पहली बार ये पुरस्कार पाने वाले दिव्यांग खिलाड़ियों में से एक है.

खिलाड़ियों को तीन लाख की नगद धनराशि मिली
इसके साथ ही लखनऊ से ही एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड पाने वाली विमला सिंह वर्तमान में एथलेटिक्स की दिग्गज कोच हैं जिनके सिखाये खिलाड़ी आजकल देश-विदेश में चमक बिखेर रहे हैं. वहीं रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड पाने वाली लखनऊ की स्वर्णिमा जायसवाल हैंडबॉल की बेहतरीन खिलाड़ी हैं, जो अपनी काबिलियत का लोहा कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मनवा चुकी हैं. इन खिलाड़ियों को प्रशस्ति पत्र, रानी लक्ष्मीबाई और लक्ष्मण पुरस्कार की प्रतिमा तथा 3,11,000 हजार की नगद धनराशि देकर सम्मानित किया गया. इस दौरान अवार्ड पाने वाले खिलाड़ियों से गजब का उत्साह दिखा.

अबू ने परिजन और गुरु को दिया श्रेय
पैरा बैडमिंटन सर्किट में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर नाम रोशन कर चुके लखनऊ के अबू हुबैदा व्हीलचेयर वर्ग के खिलाड़ी हैं. अबू एक मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं जो आज इस मुकाम पर होने का श्रेय अपने परिवार के साथ अपने कोच द्रोणाचार्य अवार्डी गौरव खन्ना को भी देते हैं. अबू के पिता मोहम्मद कमर पीएसी में सिपाही हैं लेकिन अपने बेटे के सपने पूरे करने के लिए उन्होंने कभी काेई कसर नहीं छोड़ी. अबू ने बताया कि अगर परिवार सपोर्ट न करता तो मेरा खेल का सपना टूट जाता. इसके साथ ही मेरी मां नफीसा बानो ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया कि मैं आने वाले समय में कुछ भी कर सकता हूं.

मुश्किल घड़ी में परिजनों ने दिया साथः अबू हुबैदा
अबू के अनुसार बीबी अमीना ने भी हर मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया तो कोच गौरव सर ने भी हरदम बेहतरीन ट्रेनिंग दी. यह भी खास उपलब्धि है कि अबू यूपी के पहले व्हीलचेयर-2 वर्ग के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं. अबू ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन रजत, तीन कांस्य पदक देश को दिलाये हैं. अबू ने राष्ट्रीय स्तर पर चार स्वर्ण, आठ रजत, दो कांस्य भी जीते हैं.

कड़ी मेहनत कर रहे हैं अबू हुबैदा
अबू ने ब्राजील में हुई पैरा बैडमिंटन प्रतियोगिता-2020 में मिश्रित युगल में रजत पदक, थाईलैंड पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप-2019 में मिश्रित युगल में रजत पदक, युगांडा पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप-2017 में कांस्य पदक जीता. अबू ने चीन में हुई एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप-2016 में प्रतिभाग किया. इसके अलावा 2017 से 2019 तक पैरा नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में दो स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है. यहीं नहीं अबू कोरोना काल में वापसी के लिए कोच गौरव खन्ना के निर्देशन में कड़ा अभ्यास कर रहे हैं.

हैंडबॉल में स्वर्णिमा ने बिखेरी स्वर्णिम चमक
हैंडबॉल में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड पाने वाली स्वर्णिमा जायसवाल एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं. उन्होंने हैंडबॉल की बारीकियां चौक स्टेडियम में कोच सीमा भट्ट से सीखनी शुरू की थीं. स्वर्णिमा ने बताया कि परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया तभी यहां तक पहुंची हूं. उन्होंने कहा कि परिवार ने मेरे सपने को पूरा होने में कभी आर्थिक संकट आड़े नहीं आने दिया.

स्वर्णिमा जायसवाल को हैंडबॉल में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला.
स्वर्णिमा जायसवाल को हैंडबॉल में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला.

देश के नाम कराए कई पदक
बता दें कि स्वर्णिमा कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में चमक बिखेर चुकी हैं. स्वर्णिमा 2018 से लेकर 2020 तक राष्ट्रीय चैंपियनशिप में यूपी टीम का अहम हिस्सा रहीं. स्वर्णिमा 2017 में थाईलैंड में हुई आईएचएफ कांटिनेंटल ट्रॉफी में कांस्य पदक टीम की सदस्य थीं. इसके साथ ही स्वर्णिमा ने लखनऊ में हुई साउथ एशियन महिला हैंडबॉल चैंपियनशिप-2017-18 के साथ नेपाल में हुए साउथ एशियन गेम्स-2019 में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई. स्वर्णिमा जापान में हुई एशियन चैंपियनशिप-2018-19 में भारतीय टीम की तरफ से खेल चुकी हैं. स्वर्णिमा की बहन सुप्रिया भी नेशनल हैंडबॉल प्लेयर है.

जीवन का सर्वोच्च सम्मान मिला: विमला सिंह
राजधानी की ही विमला सिंह को एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला. खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन का सर्वोच्च खेल सम्मान है. इस समय अमेठी में उपक्रीड़ाधिकारी पद पर तैनात विमला सिंह ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेश सरकार व अपने खेल विभाग के अधिकारियों को धन्यवाद दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी सभी महिला खिलाड़ियों को यही सलाह है कि मेहनत करते रहें, मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती है.

विमला सिंह को एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड.
विमला सिंह को एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला.

खिलाड़ी करियर में विमला सिंह ने बनाए कई रिकॉर्ड
बता दें कि एथलेटिक्स की बेहतरीन कोच विमला सिंह 2003 से 2017 तक लखनऊ में तैनात रहीं थी. विमला सिंह ने अपने खिलाड़ी करियर में कई नेशनल रिकॉर्ड भी बनाए हैं. विमला सिंह ने दिल्ली में हुई अंतरराष्ट्रीय परमिट मीट-1990 में 100 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता था. इसके साथ विमला सिंह ने 29वीं आल इंडिया ओपन चैंपियनशिप-1990 में स्वर्ण पदक, दिल्ली में हुई 28वीं इंटरस्टेट चैंपियनशिप-1990 में रजत पदक, बेंगलुरू में हुई 33वीं इंटरस्टेट चैंपियनशिप-1995 में कांस्य पदक हासिल किया है.

लखनऊः यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को जब राज्य के सर्वोच्च खेल सम्मान से प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सम्मानित किया तो इस समारोह में लखनऊ की अलग ही चमक थी. दरअसल, लक्ष्मण अवार्ड पाने वाले लखनऊ के अबु हुबैदा पैरा बैडमिंटन के इंटरनेशनल प्लेयर हैं और पहली बार ये पुरस्कार पाने वाले दिव्यांग खिलाड़ियों में से एक है.

खिलाड़ियों को तीन लाख की नगद धनराशि मिली
इसके साथ ही लखनऊ से ही एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड पाने वाली विमला सिंह वर्तमान में एथलेटिक्स की दिग्गज कोच हैं जिनके सिखाये खिलाड़ी आजकल देश-विदेश में चमक बिखेर रहे हैं. वहीं रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड पाने वाली लखनऊ की स्वर्णिमा जायसवाल हैंडबॉल की बेहतरीन खिलाड़ी हैं, जो अपनी काबिलियत का लोहा कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मनवा चुकी हैं. इन खिलाड़ियों को प्रशस्ति पत्र, रानी लक्ष्मीबाई और लक्ष्मण पुरस्कार की प्रतिमा तथा 3,11,000 हजार की नगद धनराशि देकर सम्मानित किया गया. इस दौरान अवार्ड पाने वाले खिलाड़ियों से गजब का उत्साह दिखा.

अबू ने परिजन और गुरु को दिया श्रेय
पैरा बैडमिंटन सर्किट में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर नाम रोशन कर चुके लखनऊ के अबू हुबैदा व्हीलचेयर वर्ग के खिलाड़ी हैं. अबू एक मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं जो आज इस मुकाम पर होने का श्रेय अपने परिवार के साथ अपने कोच द्रोणाचार्य अवार्डी गौरव खन्ना को भी देते हैं. अबू के पिता मोहम्मद कमर पीएसी में सिपाही हैं लेकिन अपने बेटे के सपने पूरे करने के लिए उन्होंने कभी काेई कसर नहीं छोड़ी. अबू ने बताया कि अगर परिवार सपोर्ट न करता तो मेरा खेल का सपना टूट जाता. इसके साथ ही मेरी मां नफीसा बानो ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया कि मैं आने वाले समय में कुछ भी कर सकता हूं.

मुश्किल घड़ी में परिजनों ने दिया साथः अबू हुबैदा
अबू के अनुसार बीबी अमीना ने भी हर मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया तो कोच गौरव सर ने भी हरदम बेहतरीन ट्रेनिंग दी. यह भी खास उपलब्धि है कि अबू यूपी के पहले व्हीलचेयर-2 वर्ग के खिलाड़ी हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं. अबू ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन रजत, तीन कांस्य पदक देश को दिलाये हैं. अबू ने राष्ट्रीय स्तर पर चार स्वर्ण, आठ रजत, दो कांस्य भी जीते हैं.

कड़ी मेहनत कर रहे हैं अबू हुबैदा
अबू ने ब्राजील में हुई पैरा बैडमिंटन प्रतियोगिता-2020 में मिश्रित युगल में रजत पदक, थाईलैंड पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप-2019 में मिश्रित युगल में रजत पदक, युगांडा पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप-2017 में कांस्य पदक जीता. अबू ने चीन में हुई एशियन पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप-2016 में प्रतिभाग किया. इसके अलावा 2017 से 2019 तक पैरा नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में दो स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है. यहीं नहीं अबू कोरोना काल में वापसी के लिए कोच गौरव खन्ना के निर्देशन में कड़ा अभ्यास कर रहे हैं.

हैंडबॉल में स्वर्णिमा ने बिखेरी स्वर्णिम चमक
हैंडबॉल में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड पाने वाली स्वर्णिमा जायसवाल एक मध्यमवर्गीय परिवार से आती हैं. उन्होंने हैंडबॉल की बारीकियां चौक स्टेडियम में कोच सीमा भट्ट से सीखनी शुरू की थीं. स्वर्णिमा ने बताया कि परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया तभी यहां तक पहुंची हूं. उन्होंने कहा कि परिवार ने मेरे सपने को पूरा होने में कभी आर्थिक संकट आड़े नहीं आने दिया.

स्वर्णिमा जायसवाल को हैंडबॉल में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला.
स्वर्णिमा जायसवाल को हैंडबॉल में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला.

देश के नाम कराए कई पदक
बता दें कि स्वर्णिमा कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में चमक बिखेर चुकी हैं. स्वर्णिमा 2018 से लेकर 2020 तक राष्ट्रीय चैंपियनशिप में यूपी टीम का अहम हिस्सा रहीं. स्वर्णिमा 2017 में थाईलैंड में हुई आईएचएफ कांटिनेंटल ट्रॉफी में कांस्य पदक टीम की सदस्य थीं. इसके साथ ही स्वर्णिमा ने लखनऊ में हुई साउथ एशियन महिला हैंडबॉल चैंपियनशिप-2017-18 के साथ नेपाल में हुए साउथ एशियन गेम्स-2019 में भारतीय टीम को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई. स्वर्णिमा जापान में हुई एशियन चैंपियनशिप-2018-19 में भारतीय टीम की तरफ से खेल चुकी हैं. स्वर्णिमा की बहन सुप्रिया भी नेशनल हैंडबॉल प्लेयर है.

जीवन का सर्वोच्च सम्मान मिला: विमला सिंह
राजधानी की ही विमला सिंह को एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला. खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि यह मेरे जीवन का सर्वोच्च खेल सम्मान है. इस समय अमेठी में उपक्रीड़ाधिकारी पद पर तैनात विमला सिंह ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेश सरकार व अपने खेल विभाग के अधिकारियों को धन्यवाद दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी सभी महिला खिलाड़ियों को यही सलाह है कि मेहनत करते रहें, मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती है.

विमला सिंह को एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड.
विमला सिंह को एथलेटिक्स वेटरन में रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड मिला.

खिलाड़ी करियर में विमला सिंह ने बनाए कई रिकॉर्ड
बता दें कि एथलेटिक्स की बेहतरीन कोच विमला सिंह 2003 से 2017 तक लखनऊ में तैनात रहीं थी. विमला सिंह ने अपने खिलाड़ी करियर में कई नेशनल रिकॉर्ड भी बनाए हैं. विमला सिंह ने दिल्ली में हुई अंतरराष्ट्रीय परमिट मीट-1990 में 100 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीता था. इसके साथ विमला सिंह ने 29वीं आल इंडिया ओपन चैंपियनशिप-1990 में स्वर्ण पदक, दिल्ली में हुई 28वीं इंटरस्टेट चैंपियनशिप-1990 में रजत पदक, बेंगलुरू में हुई 33वीं इंटरस्टेट चैंपियनशिप-1995 में कांस्य पदक हासिल किया है.

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